शशांकासन कैसे करते हैं (Shashank asana kaise karte hai) इसके द्वारा कौन से रोग दूर होते हैं

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 शशांकासन क्या है(Shashank asana kya hai)


शशकासन  बहुत ही आसान आसन है इस आसन को वज्र आसन में बैठकर किया जाता है। शशांकासन शब्द संस्कृत शब्द से लिया गया है इसका अर्थ होता है खरगोश इस आसन को करते समय खरगोश की स्थिति बन जाती है इसलिए इस आसन को खरगोश आसन भी कहते हैं।


शशांकासन कैसे करते है। (Shashank asana kaise karte hai)

  1. खुले वातावरण में योगा चटाई के ऊपर वज्रासन में बैठजाएं।
  2. अपने दोनों हाथ को सांस भरते हुए ऊपर की ओर ले जाएं।
  3. कंधे कान को सटाकर के ऊपर की ओर रखें । 
  4. फिर दोनों हाथों को सास छोड़ते हुए आगे की ओर झुकते हुए अपने हाथों को जमीन पर स्पर्श कराएं। 
  5. हाथ समानांतर स्थित में रहेंगे ध्यान रखने योग्य बात यह है कि ठोड़ी (Chin) योगा मैटी पर स्पर्श हो सामने की तरफ देखने का प्रयास करे।
  6. शशकासन क्रिया संपन्न हुआ। प्रारंभिक दौर में शशांक आसन दूर से तीन बार ही दोहराएं।

शशांकासन करने के लाभ। (Shashank asana karane ke labh)


  • हृदय रोग में लाभ शशक का आसन करने से हृदय रोग के मित्र को लाभ पहुंचता है यह आसन बहुत आराम से आसान होता है।
  • कमर दर्द में लाभ शशक आसन करने वाले साधकों को कमर दर्द में आराम मिलता है जिन साधको के कमर में नियमित दर्द बना रहता है उनको शशकासन करने से लाभ प्राप्त होता है।
  • पेट की चर्बी कम करने में लाभ नियमित अभ्यास करने से पेट पर जमी हुई चर्बी कम हो जाती है शरीर को फिट एव स्लिम शशकासन बनाने में लाभदायक होता है।
  • अग्नाशय की समस्या में लाभ जिन व्यक्तियों के पैंक्रियाज से इंसुलिन का रिसाव कम या ज्यादा होता है आसन का नियमित अभ्यास करने से अनियमित इंसुलिन का रिसाव नियमित होने लगता है प्रतिदिन अभ्यास करने से पैंक्रियाज में आई हुई समस्या दूर हो सकती हैं।
  • यकृत को मजबूत बनाने में लाभ मानव शरीर में यकृत फिल्टर का काम करता है यह शरीर और रक्त की आई हुई अशुद्धियों को शुद्ध करने का काम करता है। शशक आसन करते समय आगे की ओर जब झुकते हैं तब यकृत पर बल लगता है जिसकी वजह से यकृत पर क्रिया प्रतिक्रिया होती है इसी वजह से यकृत मजबूत होता है।
  • तनाव में लाभदायक होता है यह आसन करने से मानसिक तनाव दूर होता है और शरीर को तनावमुक्त रखता है। नियमित अभ्यास करने से तनाव की समस्या दूर हो जाती है।
  • चिड़चिड़ापन मिलाप में लाभ मानसिक तनाव की वजह से शरीर में चिड़चिड़ापन हो जाता है या कभी-कभी अधिक काम के दबाव में चिड़चिड़ापन होना स्वाभाविक है ऐसी स्थिति में अगर प्रतिदिन साधक शशक आसन का अभ्यास करता है तो चिड़चिड़ापन से मुक्ती मिल सकती है।
  • मानसिक रोग में लाभ शुरुआती दौर में मानसिक रोग हो तो नियमित अभ्यास करने से मानसिक रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है मानसिक रोग आज के समय में बहुत ही चिंता का विषय है हर व्यक्ति तनाव व चिंता अत्यधिक करता है जिसकी वजह से मानसिक विकार उत्पन्न हो जाता है या विकार मानसिक रोग उत्पन्न कर देता है चिंता या तनाव अधिक लंबा चला तो मानसिक रोग होना निश्चित ही हो जाता है।
  • प्रजनन अंगों में लाभ नियमित अभ्यास करने से प्रजनन अंगों को पुष्टि मिलती है प्रजनन अंगों में आए विकार को यह दुरुस्त कर लेता है। 
  • यौन विकार में लाभ आसन का नियमित अभ्यास करने से यौन विकार दूर हो जाता है।
  • याददाश्त दुरुस्त करने में लाभ आसन के नियमित अभ्यास से हैं आंख की समस्या एवं याददाश्त (याद करने की क्षमता) ठीक करता है । मस्तिष्क और आंखों में रक्त संचार की पूर्ति यथासंभव होने लगती है। इस वजह से आंख और मस्तिष्क की समस्या दूर हो सकती है।
  • फेफड़े को स्वस्थ बनाने में लाभ यह आसन फेफड़े को तंदुरुस्त बनाने में लाभदायक है।
  • महिलाओं को मासिक धर्म में लाभ जिन महिलाओं को मासिक धर्म समय पर नहीं आता है उन महिलाओं के लिए शशांक आसन लाभदायक हो सकता है नियमित अभ्यास करने से महिलाओं में पीरियड सही समय पर प्रारंभ हो सकता है।

 शशांकासन करने में सावधानियां। (Shashank asana karane me savdhaniya)


कंधे दर्द में सावधानी अत्यधिक कंधों में दर्द होने पर इस आसन का अभ्यास ना करें जब दर्द सामान्य हो जाए तब इस आसन को करना आरंभ करें।

रीड की हड्डी में समस्या जिन व्यक्तियों के रीढ़ में किसी भी प्रकार की चोट य ऑपरेशन य अन्य प्रकार की समस्या है असम को ना करें।

गर्भवती महिलाएं जो महिलाएं गर्भ से है उन महिलाओं को शशक आसन नहीं करना चाहिए। आसन करते समय आगे की तरफ झुकना पड़ता है जिससे महिला के गर्भ में पल रहा शिशु पर दबाव पड सकता है जिससे जच्चा और बच्चा दोनों को खतरा हो सकता है यह आसन ऐसी महिलाएं न करें जो गर्भवती है गर्व के शुरुआती महीने में इस आसन को किया जा सकता है परंतु 2 महीने के बाद इस आसन को करना बंद कर दें।

उच्च रक्तचाप होने पर जिन व्यक्तियों को उच्च रक्तचाप की समस्या हो वह यहां सन ना करें रक्तचाप सामान्य होने पर इस आसन को अपना अभ्यास में ला सकते हैं।

चक्कर आने पर आसन ना करें अत्यधिक कमजोरी या अन्य किसी कारण से चक्कर आ रहा हो तो इस आसन को ना करें।

समतल स्थान पर योगासन करें शशांक आसन का अभ्यास ऐसे स्थान पर बैठकर करें जहां की जमीन समतल हो उबड़ खाबड़ ना हो।

ढीले वस्त्र पहनकर योगासन करें शशांक आसन ही नहीं किसी भी आसन को करते समय दो सावधानियों को हमेशा ध्यान में रखें पहला तो वस्तुओं का सही चुनाव करना और दूसरा आसन करने से पहले योगा अभ्यास । शशांक आसन करते समय साधक को चाहिए कि ढीले ढाले वस्त्र पहनकर अभ्यास करें।

सांसो की गति पर ध्यान देना शशांक आसन करते समय सांसो की गति पर ध्यान देना अति आवश्यक है शशांक आसन को प्रारंभ करते समय वज्रासन में बैठने के बाद अपने दोनों हाथों को सांस भरकर ऊपर की तरफ उठाते हैं और जैसे सांस भरकर दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाते हैं वैसे ही सांसो को छोड़ते हुए आगे की तरफ झुकते हुए जमीन पर दोनों हाथों को स्पर्श कराते हुए आगे की तरफ बढ़ते हैं ठोड़ी को जमीन स्पर्श करा देते हैं इसमें सांसो की गति सामान्य हो जाती है।

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