कोहलर का सिद्धांत (सूझ,अंतर्दृष्टि एवं गेस्टाल्ट वाद ) kohler’s sense and Insight learning यूपीटेट, सीटेट नोट्स

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सूझ विधि/अंतर्दृष्टि सिद्धांत/गेस्टाल्ट वाद सिद्धांत ।

अंतर्दृष्टि अथवा सूझ के सिद्धांत का प्रतिपादन गेस्टाल्ट वादियों ने किया था इसलिए इस सिद्धांत को गेस्टाल्ट सिद्धांत भी कहते हैं गेस्टाल्ट सिद्धांत एक जर्मन स्कूल के थे। 
इस सिद्धांत के प्रतिपादक बाद में अमेरिका चले गए। गेस्टाल्ट स्कूल का जन्म सन 1920 में हुआ। इस स्कूल से संबंधित व्यक्ति मेक्सी वर्दीमर कोहला तथा कोफका है। वर्धमान इस सिद्धांत के प्रवर्तक है और कोफका तथा कोहलर ने इस सिद्धांत को आगे बढ़ाने का कार्य किया।
गेस्टाल्ट किसी व्यक्ति या स्थान का नाम नहीं है, यह जर्मनी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है  समग्राकृति या पूर्ण आकार । पूर्णाकारवाद के अनुसार व्यक्ति किसी वस्तु को आंशिक रूप में नहीं अपितु पूर्ण रूप में देखता एवं सीखता है इसलिए कहा भी गया है कि संपूर्ण अथवा समग्र उसके खंडों के योग की तुलना में बड़ा होता है गेस्टाल्ट स्कूल सांख्यिकी में विश्वास नहीं करता। लेकिन समाकृतिका के सिद्धांत को मानता है। साथ ही गेस्टाल्ट वादी मनोवैज्ञानिक वातावरण पर भी बहुत अधिक बल देता है।

कोहलर सिद्धांत का सूझ विधि / अंतर्दृष्टि सिद्धांत / गैस्टॉट वॉल्ट सिद्धांत

कोहलर के सिद्धांत का अर्थ(Meaning of Kohler's theory)




कोहलर का सिद्धांत के अनुसार प्राणी जो कुछ सीखते सुनते अनुभव करते हैं उनकी एक पूर्ण आकृति बनती है गेस्टाल्ट वादियों के विचार में यह गेस्टाल्ट या आकृति एक समग्र है जिसकी विशेषताएं सामग्र की आंतरिक प्राकृतिक लगाई जाती है न कि उसके विगत तत्वों की विशेषताओं द्वारा व्यक्ति जब किसी नवीन परिस्थिति में आता है या उसके समझ कोई समस्या आती है तो वह उस परिस्थिति या समस्या के विभिन्न अंगों में पारस्परिक संबंध स्थापित करता है तथा वह संपूर्ण परिस्थिति को समझ जाता है और तभी वह उसके अनुसार प्रतिक्रिया करता है परिस्थिति को ठीक से समझ जाना ही उसकी सोच का परिचायक है।
प्रत्येक कार्य या क्रिया को सीखने में स्कूल का प्रयोग करना पड़ता है जब हम किसी समस्या का हल सरलता से नहीं निकाल पाते तब हम सूझ द्वारा ही उसे हल करने का प्रयास करते हैं किसी ऊंचे स्थान पर रखी मिठाई को देखकर बालक उसे प्राप्त करने का प्रयास करता है परंतु वह उसका हाथ नहीं पहुंचता ऐसी दशा में वह मिठाई प्राप्त करने के लिए सोच से काम लेता है वह आस-पास कि मेज य कुर्सी पर चढ़कर मिठाई प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार थोड़े से समय में एक इंजीनियर अपनी सूज से एक विशाल भवन निर्माण कर देता है तथा युद्ध स्थल पर भी सोच से ही काम लिया जाता है विद्वान कोफका का कहना है कि सूझ के में व्यक्ति हाथ पैरों की अपेक्षा चिंतन तर्क देता कल्पना आदि से अधिक काम लेता है। संपूर्ण परिस्थितियों को समझना और फिर व्यवहार करना अंतर्दृष्टि या सूझ का परिचायक है इस प्रकार सूझ में व्यक्ति का व्यवहार ध्येय निर्देशित होता है। वाह अधाधुंध व्यवहार नहीं करता है वास्तव में अंतर्दष्टि तब पैदा होती है जब सीखने वाला कार्य में छिपे हुए संबंध  सहचर्य को देख लेता है कुछ लोग इसे 'आहा' अनुभव भी कहते हैं इसमें आप अनुभव करते हैं ।

कोहलर सिद्धांत के नियम (Laws of Kohler's Principle )

अंतर्दृष्टि अथवा शूज संपूर्ण आकार के मूल में निहित होता है और इस सूझ की कसौटी है किसी क्षेत्र की समग्र अवस्था के संदर्भ में समस्या के पूर्ण निराकरण का अभिव्यक्ति होना पूर्णा कारवाद के कुछ प्रमुख नियम अगर प्रकार हैं।

संरचनात्मकता (Law of Contrast)

गेस्टाल्ट वाद के इस सिद्धांत के अनुसार सीखने की प्रक्रिया को उस समय पूरा माना जाता है। जब अधिगम प्रक्रिया का निश्चित स्वरूप अभिव्यक्त होता है इस नियम का तात्पर्य यह है कि समग्र हमें सबसे पहले दिखाई देता है इसी प्रकार कभी-कभी चित्र के छोटे-मोटे दोस्त भी ओर देखने वाले का ध्यान नहीं जाता। यदि आप प्रयास करके याद करें तो भी आपको अपने चेहरे पर चेहरे मैं आंख नाक आदि की अलग-अलग विशेषताएं याद नहीं आएगी जब तक की आप ने जानबूझकर उसकी ओर ध्यान ना दिया हो इसका कारण यह है आपने समग्र चेहरे को एक साथ देखा है चेहरे के विशेष अंग अंगों की ओर ध्यान नहीं दिया है।




समानता (Law of Similarity) 

इस नियम के अनुसार जो उद्दीपक एक दूसरे के समान होता है वे आसानी से समूह बाद या संगठित हो जाते हैं अर्थात जो वस्तुएं समान आकार की होती हैं सूझ में उनका संपूर्ण रूप उसी प्रकार का होता है। यह समानता किसी भी प्रकार की हो सकती है जैसे आकार, रंग, चमक आदि समान विचार आसानी से जुड़ जाते हैं और इसलिए एक वस्तु दूसरी वस्तु का आभास आसानी से कर लेती है। उदाहरणार्थ फोटो से किसी की याद तुरंत ताजा हो जाती है एक व्यक्ति को देखकर तुरंत उसके दोस्त की भी याद आ जाती है।

समीपता (Law of Proximity)

इस नियम के अनुसार उद्दीपक के वे अवयव जो एक दूसरे से समय बहुत हैं वह उस समय पता के कारण उप समूहों में संगठित हो जाते हैं और व्यक्ति उन्हें एक संगठित रूप में देखता है अर्थात समान व्यवहार वाली वस्तुएं एक समूह के रूप में आसानी से देखी जाती हैं उदाहरण के तौर पर एक त्रिभुज तथा वृद्धि की समीप ता का उदाहरण इस नियम को समझने के लिए पर्याप्त है।

समापन (Law of Closure)

इस नियम के अनुसार जब किसी उद्दीपक के अवयव एक दूसरे से अच्छा दिन अखबार गिरे हुए होते हैं तो इस प्रकार गिरे हुए भावों का संगठन या सपना करण हो जाता है और हम इनका ज्ञान एक आकृति विशेष के रूप में करते हैं कहने का तात्पर्य यह है कि इस नियम के अंतर्गत किसी एक समस्या का ध्यान लगाना होता है दूसरे बंद आकृतियां खुली आकृतियों की अपेक्षाकृत वही अधिक स्थाई होती है साथ ही वे समूह का आकार भी शीघ्र ही ग्रहण कर लेती हैं।

निरंतरता (Law of Continuity) 

कोहलर का सिद्धांत नियम के अनुसार उद्दीपक के जिन अवयवों में निरंतरता होती है। वह निरंतरता के कारण आसानी से समूह या संगठित हो जाते हैं और व्यक्ति उन्हें एक उद्दीपक के रूप में ही देखता है। कहने का तात्पर्य यह है कि निरंतरता के इस नियम के अनुसार स्वयं के दृश्य वस्तुओं से प्रत्यक्षीकरण के संबंध आसानी से स्थापित होता है उदाहरण के तौर पर वे अनुभव जो एक के बाद एक एकत्रित होते रहते हैं आसानी से एक दूसरे का स्मरण दिलाते रहते हैं जैसे एक पके हुए आम को देखकर उसके मीठे स्वाद एवं मनमोहक सुगंध का हमें सहज ही ज्ञान हो जाता है अथवा स्याही की दवात का विचार आते ही हमें पेन का स्मरण हो जाता है निरंतरता के आधार पर ही सातत्य का नियम बनता है।




कोहलर का प्रयोग (kohler experiment)

कोहलर ने सुल्तान नामक चिंपैंजी पर अपना प्रयोग किया था साथ में ही कोहलर ने 6 चिंपैंजी ऊपर प्रयोग किया था।

पूछे जाने वाले प्रश्न इस प्रकार हैं।

1. गेस्टाल्ट वाद- यह जर्मनी शब्द है
2. अर्थ-पूर्ण आकृति संपूर्ण आकार
3. प्रतिपादक- वर्दीमर
4. गेस्टाल्टवाद प्रयोग करता- कोहलर
5. संपूर्णवाद सिद्धांत- कोहलर
6. समग्रवाद सिद्धांत- कोहलर
7. अवयववाद सिद्धांत -कोहलर
8.गेस्टाल्टवाद- जब तक समस्या दिखाई नहीं पड़ती तब तक हल नहीं होगा।
कोहलर- कोहला में सुल्तान नाम चिंपैंजी पर प्रयोग किया कोहलर ने कुल 6 चिंपैंजी पर प्रयोग किया।

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सुल्तान चिंपैंजी- भूखा बंदर

बॉक्स समस्या-ऊपर बहुत सारे केले कमरे की छत पर टांग दिया गया और कमरा बंद कर दिया गया चिंपैंजी ने प्राप्त करने की कोशिश की लेकिन थक गया बाद में शूझ से बॉक्स को रखकर चढ़कर लक्ष्य प्राप्त किया।

छड़ी का प्रयोग- चिंपैंजी को पिंजरे में बंद कर दिया केले ऊपर, प्राप्त करने में सफल ना रहा बैठ गया थक गया फिर सूझ के द्वारा छवियों को जोड़कर प्राप्त किया।

मुख्य बिंदु गेस्टाल्ट वादी ने यहां स्पष्ट किया कोई भी व्यक्ति अधिगम है तो प्रयास रुके नहीं करता लेकिन मानसिक शक्ति का प्रयोग करके अधिगम करता है

इस सिद्धांत से- समस्या विधि व विश्लेषण बुध का जन्म हुआ।

शिक्षा के क्षेत्र में सूत्र का जन्म - (संपूर्ण से अंश की ओर)

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सिद्धांत की विशेषता
1. सीखने की प्रक्रिया संज्ञानात्मक होती है।
2. सीखने की प्रक्रिया धीरे-धीरे ना होकर अचानक आती है।
3. सूझ अचानक आती है।
4. सूझ के लिए समस्या का होना अति आवश्यक है।
शिक्षा में महत्व
1.सूझ के द्वारा बालक समस्या का हल कर सकता है।
2.कल्पना करना ,तुलना करना ,तर्क करना महत्व है।

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