The beginning of the first ancient Olympic Games in 776 BC has been found in writing.
प्राचीन ओलंपिक खेलों का इतिहास (Ancient Olympic Games)
प्राचीन ओलंपिक खेलों का इतिहास: 776 ईसा पूर्व में प्रथम प्राचीन ओलंपिक खेलों का प्रारंभ लिखित रूप में पाया गया है जो हर 4 वर्ष बाद आयोजित किए जाते थे यूनान वासी खेलों को बहुत प्यार करते थे और उन्हें अपने धर्म का ही एक अंग मानते थे पुरातन यूनान के पैलोपोनिस (Peloponnese) के उत्तर पश्चिम में एलिस (Elis) नाम के राज्य में एक मनोरथ पवित्र घाटी सेक्रेड ऑफ ऐल्टीस (Sacred of Altis) में ओलंपिया नामक स्थान था। ओलंपिया नामक नगर के पास माउंट ओलंपस नामक पर्वत था यह यूनान का सबसे ऊंचा पर्वत था यूनानी पौराणिक कथाओं में इसे 12 देवी देवताओं का वास बताया गया। एलिस राज्य के पास में एलफियास (Alfeios) तथा क्लाडियस (Kladeos) नामक नदियां बहती थी यूनान के इस भाग को पैलोपोनीस (Peloponnese) कहा जाता था इन्हीं स्थान के नाम पर ही इस महान खेल उत्सव का नाम ओलंपिक पड़ा।
ओलंपिया नामक स्थान में ओलंपिक खेल महीनों तक चलते थे। और हजारों की संख्या में लोग एकत्रित होकर खेलों का आनंद लेते थे। ओलंपिक खेल केवल पुरुषों के लिए ही आयोजित होते थे। महिलाओं इसमें नहीं भाग ले सकती थी और ना ही प्रदर्शन के रूप में इसे देख सकती थी और इन नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता था। इसके परिणाम स्वरूप खेलों के प्रति उच्च नैतिक दृष्टिकोण अपनाया जाता था। खेलों का शुभारंभ ओलंपिक शपथ से होता था खिलाड़ियों और निर्णायक जीसस के मंदिर के समक्ष शपथ लेते थे। खिलाड़ी शपथ लेते थे कि वह खेल नियमों का पालन करेंगे, निर्णायक निष्पक्ष रहने की शपथ लेते थे। सब अपनी व्यक्तिगत सफलता और खेलों की सफलता के लिए प्रार्थनाएं करते थे खेलों की पूरी अवधि में जीसस की देवी मूर्ति पर एक पवित्र मशाल जलती रहती थी।
एलिस(Elis) नगर में असंख्य धन ग्रह मंदिर तथा अनगिनत धार्मिक भवन थे जिनमें सबसे सुंदर व महत्वपूर्ण ओलंपियम(Olympium) था। जिसक ठीक मध्य में एक बहुत विशाल 40 फुट ऊंची जीसस देवता की मूर्ति थी। जिसे ओलंपियम(Olympium) कहा जाता था। यह मूर्ति संसार के सात आश्चर्य में एक थी। हाथी दांत की बनी एक स्वर्ण आभूषणों और आवरण से ढकी हुई इस भीम काय मूर्ति को देखकर ऐसा प्रतीत होता था मानो साक्षात यूनानी देवता स्वयं अपने सिंहासन पर विराजमान हो उस काल में यूनान में छोटे-छोटे नगर राज्य थे जो आपस में सदा संघर्ष करते थे परंतु ओलंपिक खेलों के दिनों में आपसी संघर्ष छोड़ व खेलों में भाग लेते थे। सभी प्रतिभागी सुरक्षित रहते थे इस व्यवस्था को ओलंपिक ट्रूस (Olympic Truce) कहा जाता था।
प्राचीन ओलंपिक खेल का सम्मान
किसी भी यूनानी के लिए यह सबसे बड़ा सम्मान होता था कि वह खेलों में विजई होने वाले व्यक्ति को मिलने वाली जैतून वृक्ष की छोटी सी टहनी प्राप्त करें सामान्य लोगों के साथ-साथ राजा भी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया करते थे और रूम के सम्राटों ने 37 से 68 ईसा पूर्व तक ओलंपिक प्रतियोगिताओं में विजय सम्मान प्राप्त करने का भी प्रयास किया था विजेता अपने देश के वीर नायक बना करते थे नायक उनकी प्रशंसा में गीत गाते थे और मूर्तिकार उनकी शक्ति एवं सुंदरता को संगमरमर में साकार कर देते थे यूनान के ओलैकिक जीवन का मुख्य उद्देश मानसिक तथा शारीरिक पक्षों में एक शारदा बनाए रखना था ओलंपिक खेलों में विजय रहना उस समय एक बहुत बड़ा आदर सम्मान माना जाता था। जिसे प्राप्त करना हर व्यक्ति का प्रमुख उद्देश्य था यहां तक की प्लेटो जैसे महान विद्वान ने भी मल्लयुद्ध/कुश्ती (Wrestling) प्रतियोगिताओं में पुरस्कार प्राप्त किया था शारीरिक सौंदर्य तथा युद्ध के लिए तैयार ओलंपिक के पीछे छिपे हुए उद्देश्य थे। Olympic खेल प्रत्येक 4 वर्ष बाद आयोजित किए जाते थे एक ओलंपिक से दूसरे ओलंपिक खेल के बीच के समय को ओलंपियाड बोला जाता था।
394 ईस्वी में यूनान पर रोम का अधिकार होते ही इन खेलों में प्रतिरोध उत्पन्न हो गया रोम के तत्कालीन सम्राट थियोडोसियस प्रथम (Theodosius 1st) ने राज्य आदेश द्वारा प्राचीन ओलंपिक खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया।
थियोडोसियस प्रथम (Theodosius 1st) के प्रतिबंध लगाने के पश्चात भी रूम के शासकों ने ओलंपिक खेलों पर कहर ढाया 426 ईसवी में थियोडोसियस द्वितीय (Theodosius 2nd) ने ओलंपिक स्टेडियम को ही ध्वस्त करने का आदेश जारी किया। ओलंपिक खेलों की जीवंत एवं उचित प्रक्रिया पर रूम के शासकों को के अलावा प्रकृति ने भी खिलवाड़ किया यूं तो रोम के शासकों ने यूनान की पवित्र नगर ओलंपिया को बर्बाद ही कर दिया था रही सही कसर कालांतर में आए भीषण भूकंप में भी पूरी कर दी इस विनाशकारी भूकंप ने ओलंपिया नगर पूरी तरह नष्ट हो गया। इसी क्रम में एल्फियस नामक नदी ने ओलंपिया को अपने आगोश में ले लिया। इस प्रकार ना केवल ओलंपिक खेलों की भावनाओं पर प्रहार हुआ अपितु जीसस एवं क्रोनोस देवताओं के पवित्र मंदिर भी नष्ट हो गए।
प्राचीन कालीन ओलंपिक से संबंधित कुछ तथ्य (Facts about Ancient Olympic Games)
- ओलंपिक खेलों के बीच की 4 वर्ष की अवधि को ओलंपियाड कहा जाता था।
- ओलंपिक खेलों की दर्शक दीर्घा में तथा खेलों में भाग लेना महिलाओं के लिए वर्जित था।
- खेलों में सभी खिलाड़ी निर्वस्त्र भाग लेते थे।
- ओलंपिक खेलों में विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कार में जैतून की टहनी देकर सम्मानित किया जाता था।
- ओलंपिक खेलों के निर्णय को को हेलनोडिकाई (Hellanodikai) कहा जाता था।
- ओलंपिक खेलों के उद्देश्योंको को स्पोंडीफोर (Spondiphori) कहा जाता था।
- पिंडार (Pindar) नामक एक कवि विजेताओं के सम्मान में कविताएं गाया करता था।
- फिडियास (Phidias) मूर्तिकार विजेताओं की संगमरमर की मूर्ति बनाया करता था।
- ओलंपिक खेल महिलाओं के लिए वर्जित था परंतु फैरानाईस (Pheranice) नामक महिला ने अपने पुत्र पिसिडोरस (Pisidorus) जो एक बॉक्सिंग का खिलाड़ी था को प्रतियोगिता में भाग लेते हुए देखने के लिए इस नियम को भंग किया विजेता की मां होने के कारण ओलंपिक खेल में इसके पति वा भाई के स्वर्ण पदक विजेता होने के कारण उसे माफ कर दिया गया।
- खेल स्थल के समीप नियमानुसार केवल एक ही स्त्री प्रवेश करती थी जो जीसस देवता के मंदिर की पुजारिन थी जिसे डैमेतरा (Demetra) कहा जाता था।