अधिगम की विशेषताएँ:
1. अधिगम व्यवहार में परिवर्तन है ।
2. अधिगम वातावरण के साथ समायोजन है ।
3. अधिगम अनुभवों का संगठन है ।
4. अधिगम उद्देश्यपरक होता है।
5. अधिगम क्रियाशील होता है।
6. अधिगम व्यक्तिगत व सामाजिक दोनो प्रकार के होते हैं।
7. अधिगम वातावरण के परिणाम स्वरूप होता है।
8. अधिगम व्यक्ति के आचरण को प्रभावित करता है।
प्रभावशाली अधिगम के घटक (Factors of EffectiveLearning)
प्रभावशाली अधिगम से आशय स्थायी एवं उपयोगी अनुक्रियाओं से है जो व्यक्ति को सफलता के शीर्ष पर पहुँचाती है। निम्नांकित घटक अधिगम को प्रभावशाली बनाती हैं
(i) प्रत्यक्षात्मक
(ii) प्रत्ययात्मक
(iii) अभिवृत्यात्मक
(iv) संवेगात्मक
(v) मौखिक
(vi) गामक
(vii) दृश्यात्मक
(VIII) अधिग्रहण
(ix) अन्य परिस्थिति जन्य घटक
(2) स्वअनुभव परक
(3) प्रक्रियात्मक
अधिगम की विधियाँ
1. करके सीखने की विधि
2. निरीक्षण करके सीखने की विधि
3. परीक्षण करके सीखने की विधि
4. वाद-विवाद विधि
5. अनुकरण विधि
6. प्रयास एवं त्रुटि विधि
7. वाचन विधि
8. पूर्ण विधि
9. अंश विधि
10. अंतराल
11. सतत विधि
■ किंडरगार्डन प्रणाली के निम्नलिखित सिद्धान्त थे।
(i) एकता का सिद्धांत
(ii) विकास का सिद्धांत
(III) स्वयं क्रिया का
(IV) स्वतंत्रता का
(V) खेल द्वारा शिक्षा का सिद्धान्त
(VI) समाजीकरण का
मारिया मॉण्टेसरी (Masuria. Montessory ): जन्म इटली ( 1870-1912)
■ इन्होने अपनी शिक्षा प्रणाली का नाम भाण्टेसरी पद्धतिरखा।
■ माण्टेसरी प्रणाली के आधार भूत इस प्रकार है।
• आत्मकथा का सिद्धान्त
• स्वतंत्रता का विकास स्व-शिक्षा का सिद्धान्त
• जानेन्द्रिय प्रशिक्षण का सिद्धान्त मांसपेशियों के प्रशिक्षण का सिद्धान्त
व्यक्तित्व के विकास का सिद्धान्त खेल विधि द्वारा शिक्षा का सिद्धान्त
भाण्टेसरी ने अपनी शिक्षण-पद्धतियों को तीन भागों में विभाजित किया है
कर्मेन्द्रियों की शिक्षा जानेन्द्रियों की शिक्षा पढने लिखने व गणित की शिक्षा
डेवी इस समय के चलने वाले प्रचलित पाठ्यक्रम को अनुपयुक्त (बेकार) समझता था ।
■ उसके अनुसार, पाठ्यक्रम निर्माण के समय कुछ सिद्धान्तों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। वे सिद्धान्त इस प्रकार है -
• रूचि का सिद्धान्त
उपयोगिता का सिद्धान्त
एकीकरण का सिद्धान्त
• लचीलेपन का सिद्धान्त क्रियाशीलता का सिद्धान्त
• बाल केन्द्रित पाठयक्रम
फ्रॉबेल (Frabes) (1702-1852) :
■ किंडरगार्डन प्रणाली के जन्मदाता फ्रॉबेल का जन्म 1782 ई० में हुआ था।
■ फ्रॉबेल के अनुसार, शिक्षा के निम्न उद्देश्य है • शिक्षा का प्रथम उद्देश्य शरीर और आत्मा को बंधन से मुक्त करना है।
• शिक्षा का दूसरा(सभी को) उद्देश्य व्यक्ति को ऐसा बनाना(ज्ञान देना) है कि वह ईश्वर में उपस्थित सबकी एकता पहचान ले ।
• शिक्षा का तीसरा उद्देश्य दैवीय नियामों के अनुसार बालक का सर्वांगीण विकास करना है।
■ फ्रॉबेल ने सन् 1839 में एक विद्यालय खोला जिसका नाम किंडरगार्डन रखा।
किंडरगार्डन जर्मन भाषा का शब्द है। यह 2 शब्दों से मिलकर बना है - किंडर और गार्डन। किंडर का अर्थ है- बालक और गार्डन का अर्थ है बगीचा। इस प्रकार किंडर गार्डन का अर्थ हुआ - 'बालकों का (बगीचा)उद्यान'
रूसों ने निषेधात्मक शिक्षा की विचारधारा को जन्म दिया।
■ रूसों की निषेधात्मक शिक्षा की रूपरेखा इस प्रकार है
(i) ज्ञानेन्द्रियों के प्रशिक्षण पर बल
(ii) शिक्षा की अवधि
(II) नियंत्रण का अभाव
(iv) प्राकृतिक वातावरण
(v) आदतों के निर्माण विरोध
(Vi) नैतिक शिक्षा जॉन डेवी
(John Dewey) (1859-1952):
डेवी एक महान दार्शनिक तथा शिक्षाशास्त्री था। जन्म - 1859 बरलिंगटन प्रसिद्ध पुस्तकें -
(i) The school and saciety
(2) The Child and the curriculum
(3) Democracy and Education
(4) The School and the Child
(5) School of Tomorrow
■ शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करते हुए डेवी ने बतलाया कि ।
• शिक्षा विकास की प्रक्रिया है।
• शिक्षा सामाजिक प्रक्रिया है।
• शिक्षा पुनर्निमाण की प्रक्रिया है।
• शिक्षा जीवन की आवश्यकता है।
• शिक्षा के उद्देश्य सामाजिक
डेवी के अनुसार, कुशलता प्राप्त करना, अनुभवों का पुनर्निमाण, गतिशील अनुकूलन योग्य मस्तिष्क का विकास तथा वातावरण के साथ अनुकूलन होना चाहिए।
प्लेटों का शिक्षा क्षेत्र में योगदान
• उसने सभी के शिक्षा के समान अवसर प्रदान किये ।
• प्लेटो के अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य (Aim)व्यक्तित्व का संतुलित विकास करना है।
• शिक्षा का कार्य सत्यम, शिवम् और सुन्दरम् जैसे मूल्यों को प्राप्त करना है। यह अति महत्वपूर्ण तथ्य है ।
• उसने physical education को महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया।
प्लेटो ने स्त्री शिक्षा को आवश्यक बताया। प्लेटो ने औद्योगिक शिक्षा की उन्नति के लिए प्रयास किया।
रूसो (Rougeon) (1712-1793 ) :
जन्म - जिनेवा नगर (इटली) 1712 ई. में रूसो की प्रसिद्ध रचनायें इस प्रकार है -
(i) The Pracess of Arts and science
(ii) Social Contract
(iii) The New Helogie
(iv) Emile
■ रूसों के शिक्षा सम्बंधी विचार प्रकृतिवादी थी। रूसो के अनुसार शिक्षा के उ मूल स्त्रोत हैं
(i) प्रकृति
(ii) मानव
(iii) पदार्थ
■ इनके अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य बालक को सही अर्थो में 'मनुष्य बनाना है। रूसों ने मनुष्य के विकास को 4 अवस्थाओं में विभाजित किया है -
(i) शैशव
(ii) बाल्यकाल
(III) किशोरावस्था
(iv) युवावस्था