पन्हौना (Panhauna) रियासत का संक्षिप्त इतिहास।
वर्तमान पन्हौना आज एक ग्राम पंचायत के रूप में स्थित है जो की अमेठी जिला के विकास खण्ड सिंहपुर में अवस्थिति है । पन्हौना का प्राचीन नाम कुन्तीपुर था । महाभारत काल में इसे गाण्डीव प्रान्त के नाम से पुकारा जाता था। इस रियासत को जीतने व सुचारु रूप से संचालित करने का श्रेय -'वीर केसरी' बन्नारशाह (प्रतापशाह) को जाता है ।
इन्ही के वन्शज हमारे वर्तमान ताल्लुकेदार श्री रावत कन्हैयावत्स सिंह जी हैं। श्री रावत कन्हैयावत्स सिंह जी का जन्म भादों कृष्ण 8 (कृष्णमाष्टमी) को हुआ था । आपके पिता श्री रावत रतन सिंह जी थे।
उत्तर प्रदेश के जिला अमेठी में ग्रामसभा पन्हौना का इतिहास अत्यंत प्राचीन है पन्हौना गांव का इतिहास लगभग पांच हजार वर्ष पुराना है महाभारत काल से ही इस गांव का नाता जुड़ा है पांडवो को जब अज्ञातवास हुआ था तब विचरण करते हुए इसी स्थान पर आ गए थे तब यहां पर जंगल हुआ करता था पाण्डव इसी स्थान पर रुके थे और यही गांव बसाया था जो गाण्डीव प्रान्तपांच के नाम से जाना जाता था।
पांडवों ने इस गांव का नाम कुंतीपुर रखा था। समय बीतता गया और पन्हौना रियासत में बदल गया। अतीत के पन्नों को खंगाल के देखे तो राजभवन पन्हौना रियासत के स्व० "तालुकेदार रावत शिवरतन सिंह जी के सुपुत्र स्व०" रावत कन्हैया बक्स सिंह" जी कभी पन्हौना एस्टेट के तालुकेदार हुआ करते थे उनकी एक बेहद खूबसूरत तस्वीर इस समय इंटरनेट पर बहुत तेजी से वायरल हो रही है ।
यह तस्वीर पन्हौना की पावन भूमि के ऐतिहासिक पलों को दर्शाती है! राजभवन पन्हौना किले के अवशेष रंग महल, मेहमान खाना, प्राचीन शिव मंदिर, व क्षतिग्रस्त प्राचीरे आज भी अपनी भव्यता की गवाही देती हैं इसी राजमहल से निकलती एक परंपरा होली के पावन पर्व पर फूलडोल कार्यक्रम समाज की एकता अखंडता और समता को दर्शाता है हमें पन्हौना प्राचीन विरासत पर गर्व है।