अभिप्रेरणा का अर्थ ( Meaning of Motivation)
मानव एक क्रियाशील प्राणी है। वह सदैव किसी न किसी कार्य में संलग्न रहता है तथा कोई न कोई व्यवहार करता रहता है। बिना उद्देश्य के वह कोई कार्य या व्यवहार नहीं करता है। उसके कार्यों का लक्ष्य विशेष की पूर्ति करना रहता है। इस लक्ष्य पूर्ति में अभिप्रेरणा सहायता प्रदान करती है।
सामान्यतया अभिप्रेरणा का अर्थ है-किसी कार्य को सम्पादित करने के लिए प्रोत्साहित होना। इस अर्थ में यह एक प्रक्रिया होती है लेकिन मनोवैज्ञानिक क्षेत्र में इस शब्द का प्रयोग प्रक्रिया और प्रक्रिया के परिणाम, दो रूपों में किया जाता है। प्रक्रिया में एक ऐसी मनोशारीरिक प्रक्रिया के रूप में किया जाता है जो किसी व्यक्ति के अन्दर ऐसी ऊर्जा उत्पन्न करती है जिससे वह कार्य विशेष करने के लिए प्रोत्साहित होता है। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत भावात्मकता एवं क्रियात्मकता का संगम होता है, पहले व्यक्ति भावनात्मक रूप से उत्सुक, आतुर होता है, फिर यही उत्सुकता ऊर्जा में परिवर्तित होकर उसमें उत्साह एवं उमंग पैदा करती है और अन्त में उसे क्रिया विशेष को करने के लिए प्रेरित करती है और परिणाम रूप में उस ऊर्जा अथवा शक्ति के रूप में किया जाता है जो भावात्मक आतुरता से आती है और व्यक्ति को क्रिया विशेष करने के लिए प्रेरित करती है। यही अभिप्रेरणा है जिसे मात्र महसूस किया जाता है।
अभिप्रेरणा की परिभाषाएँ( Definitions of Motivation)
अभिप्रेरणा (Motivation) शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के मोटम (Motum) से हुई है, जिसका अर्थ है 'गति करना' (To move) या इन्साइट टु ऐक्शन (Insight to action)।
अतः अभिप्रेरणा वह प्रक्रिया है जो कर्म पैदा करने, उन्नति को कायम रखने, कार्य के नमूने को नियमित रखने तथा दिशा देने का कार्य करती है। इसके लिए यह शरीर में तन्तुओं (Tissues) में शक्ति द्वारा परिवर्तन पैदा करती है। यह विद्यार्थियों में क्रिया तथा खेल-कूद के लिए रुचि पैदा करने तथा उनमें जोश भरने की कला है।
प्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करने के लिए हमें इच्छाओं और प्रेरकों को स्पष्ट समझना आवश्यक है। जब हमें किसी वस्तु की आवश्यकता होती है, तो हमारे अन्दर एक इच्छा उत्पन्न होती है, इसके फलस्वरूप पावर (ऊर्जा) उत्पन्न हो जाती है, जो प्रेरक शक्ति को गतिशील बनाती है। अभिप्रेरणा (प्रेरणा) के अर्थ को और अधिक स्पष्ट एवं सारगर्भित करने के लिए मनोवैज्ञानिकों द्वारा निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया गया है—
जॉनसन के कथना अनुसार, "अभिप्रेरणा (motivation) सामान्य क्रिया-कलापों के एक प्रभाव रूप है, जो व्यक्ति के व्यवहार को एक सही मार्ग पर ले जाती है।"
मैक्डूगल के कथना अनुसार, "प्रेरणाएँ (motivation) प्राणी की व्यक्ति के शारिरिक या आन्तरिक दशाएँ हैं, जो उसे किसी भी कार्य को एक विशेष ढंग से करने के लिए बाध्य करती हैं।"
उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् यह तथ्य सामने आता है कि अभिप्रेरणा की प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति के सीखने की प्रक्रिया को प्रोत्साहन मिलता है, सीखने की प्रक्रिया तीव्र होती है। किसी क्रिया को आरम्भ करने या बन्द करने के लिए अभिप्रेरणा की सहायता ली जाती है बिना अभिप्रेरणा के सीखने की प्रक्रिया प्रभावशाली नहीं रहती।
अभिप्रेरणा की विशेषताएँ
- अभिप्रेरणा में मनुष्य का व्यवहार लक्ष्य निर्देशित होता हैं अर्थात् अभिप्रेरित व्यवहार का कोई न कोई स्पष्ट लक्ष्य अथवा उद्देश्य अवश्य होता है तथा मनुष्य उस उद्देश्य को अर्जित करने के लिए क्रियाशील तथा प्रयासरत रहता है।
- अभिप्रेरित व्यवहार में सदैव निरन्तरता रहती है अर्थात् अभिप्रेरित व्यवहार एक बार उत्पन्न होने के उपरान्त तब तक निरन्तर क्रियाशील रहता है जब तक कि मनुष्य अपने वांछित उद्देश्य को अर्जित नहीं कर लेता है।
- अभिप्रेरित व्यवहार की प्रकृति चयनात्मक होती है अर्थात् अभिप्रेरित अवस्था में मनुष्य स्वयं के लक्ष्यों को अर्जित करने के लिए कुछ चुनिन्दा प्रक्रियाएँ ही सम्पादित करताहै ।
- अभिप्रेरणा मनुष्य में ऊर्जा परिवर्तन लाती है। मनुष्य का अभिप्रेरित व्यवहार उसके सामान्य व्यवहार की अपेक्षा अधिक प्रबल होता है।
- अभिप्रेरणा में भावात्मक उत्तेजना विद्यमान रहती है जिसमें मनुष्य में एक तरह का मनोवैज्ञानिक तनाव पैदा हो जाता है। मनुष्य इस तनाव को दूर करने के लिए सदैव प्रयासरत रहता है। अभिप्रेरणा (Motivation) का तनाव ही मनुष्य को पाजटिव दिशा में प्रयास करने के लिए अग्रसरित करता है।
अभिप्रेरणा के प्रकार (Kinds of Motivation)
मनोवैज्ञानिकों ने अभिप्रेरणा का वर्गीकरण विभिन्न दृष्टिकोणों से किया है किन्तु प्रमुख रूप से अभिप्रेरणा दो प्रकार की होती है—
(1) सकारात्मक या प्राकृतिक प्रेरणा, (2) नकारात्मक या अप्राकृतिक प्रेरणा ।
(1) सकारात्मक या प्राकृतिक प्रेरणा (Positive or Natural Motivation ) — इस प्रेरणा के कारण छात्र स्वेच्छा से किसी कार्य को करता है। इससे उसे प्रसन्नता, सुख एवं सन्तुष्टि प्राप्त होती है। इसे आन्तरिक प्रेरणा के नाम से भी जाना जाता है। छात्र की क्रिया में सकारात्मक प्रेरणा प्रदान करना लाभदायक होता है।
(2) नकारात्मक या अप्राकृतिक प्रेरणा (Negative or Unnatural Motivation ) — इस प्रेरणा के कारण छात्र स्वेच्छा से कोई क्रिया नहीं करता है बल्कि दूसरों की इच्छा, दबाव या बाह्य प्रभाव के कारण उसे क्रिया इच्छा के विपरीत करनी पड़ती है । माता-पिता, अभिभावक तथा अध्यापक, दण्ड, पुरस्कार देकर, प्रतिद्वन्द्विता के भाव उत्पन्न करके, निन्दा करके या प्रशंसा करके छात्र को नकारात्मक प्रेरणा प्रदान करते हैं। इसे 'बाह्य प्रेरणा' के नाम से भी जाना जाता है।
नकारात्मक प्रेरणा की तुलना में सकारात्मक प्रेरणा स्वाभाविक उत्साह और प्रेरणा का अच्छा साधन है। इसलिए सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में सकारात्मक अभिप्रेरणा (प्रेरणा) के अच्छे परिणाम निकलते हैं। जहाँ तक हो सके, सकारात्मक अभिप्रेरक का ही उपयोग करना चाहिए और जहाँ सकारात्मक अभिप्रेरक सम्भव न हो, वहाँ नकारात्मक प्रेरणा का उपयोग किया जाना चाहिए। इस प्रकार कहा जा सकता है कि सीखने (अधिगम) की स्थिति तथा क्रिया की प्रकृति के अनुसार शिक्षक को समुचित अभिप्रेरणा का चयन करना चाहिए जिससे विद्यार्थी सीखने की क्रियाओं में पर्याप्त रुचि ले सके।
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अभिप्रेरणा के कारण (Causes of Motivation)
अभिप्रेरणा के मुख्य दो कारण हैं-
(A) स्वाभाविक कारण— स्वाभाविक कारण निम्नलिखित हैं-
(i) जीवित रहने की इच्छा सम्बन्धित क्रियाएँ, जैसे- भूख, प्यास आदि (ii) आत्मरक्षा की भावना । (iii) सुख एवं आनन्द प्राप्त करने की भावना (iv) दुःख निरोध की भावना । (v) अचेतन मन। (vi) प्रेम-भावना। (vii) संवेग, मूल प्रवृत्तियाँ, विचार आदि। (viii) इच्छा- शक्ति।
(B) अर्जित कारण-अर्जित कारण निम्नलिखित हैं- (i) सामाजिक आदर्श, स्थिति, सम्बन्ध और वातावरण। (ii) सांस्कृतिक एवं सामाजिक उपलब्धियाँ, जैसे—ज्ञान, विचार, भावना, शिक्षा। (iii) आदर संस्कार रुचि (iv) स्थायी भाव भावना ग्रन्थियाँ ।
निष्कर्ष: आशा करते हैं कि मेरे द्वारा बताई गई जानकारी (अभिप्रेरणा (Motivation) का अर्थ एवं परिभाषा ) आपको समझ में आई होगी अगर इस लेख से संबंधित आप के कुछ प्रश्न है या हमें कुछ सुझाव देना चाहते हैं तो कृपया नीचे कमेंट बॉक्स का प्रयोग करें।