Swami Vivekanand Shiksha par vichar | स्वामी विवेकानंद शिक्षा पर विचार क्या है

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इस लेख में जानेंगे Swami Vivekanand ke Shiksha par vichar क्या है और स्वामी जी के जीवन पर संछिप्त जानकारी जैसे स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) भारतीय सनातन धर्म के प्रचारक और वेदान्त विद्वान थे, उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता (Kolkata) में हुआ था। उनके असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त (Narendra Nath Datta) था तो आइए सबसे पहले स्वामी जी के जीवन पर संक्षिप्त जानकारी प्राप्त कर लेते है फिर आगे जानेंगे Swami Vivekanand ke Shiksha par vichar क्या है।

Swami Vivekanand Shiksha per vichar (स्वामी विवेकानंद शिक्षा पर विचार )

स्वामी विवेकानंद जी का संक्षिप्त परिचय

स्वामी विवेकानंद के पिता विशिष्ट वकील और मानवता पर ध्यान देने वाले थे। वे अपनी माँ के महत्व के प्रति भी बहुत समझदार थे। स्वामी विवेकानंद का बचपन बहुत विचित्र था, उन्होंने अपनी माँ के साथ बहुत ज्यादा समय बिताया था। उनकी माँ उन्हें धार्मिक शिक्षा देने में बहुत ही सक्षम थीं।

स्वामी विवेकानंद ने अपनी शिक्षा को उच्च शिक्षा नहीं देकर घरेलू शिक्षा से हासिल की थी। उन्होंने अपनी बौद्धिक विकास के लिए वेद, उपनिषद और पुराणों की अध्ययन किया था।

स्वामी विवेकानंद ने 1893 में अमेरिका जाकर 'धर्म सम्मेलन' में भारत की प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया था। वे अपने भाषणों के जरिए भारत की धरोहर, संस्कृति और दर्शनों को दुनिया के सामने रखा।

स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में बहुत से उद्देश्य रखे थे। उन्होंने संस्कृति, धर्म, तत्त्वज्ञान और मानवता के विषय में विस्तृत अध्ययन किया था। उन्होंने वेदांत दर्शन के मूल तत्वों को स्पष्ट करने का प्रयास किया और इसे दुनिया के साथ साझा करने का भी प्रयास किया।

स्वामी विवेकानंद ने भारत के लोगों के मन में एक नया आत्मविश्वास भरा था। उन्होंने युवाओं को आशा दी थी कि वे जहां भी जाएं, अपने देश और संस्कृति की महिमा को ऊंचा उठाएंगे। उन्होंने व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा दिया था और साथ ही समाज के विकास के लिए भी काम किया था।

स्वामी विवेकानंद ने 4 जुलाई, 1902 को बेलूर मठ में अपनी आत्मा को त्याग दी थी। उनका जीवन एक दीप्तिमान उदाहरण था, जो देश और मानवता के लिए एक शांतिपूर्ण और सकारात्मक संदेश छोड़ गया। आज भी उनकी वाणी और विचार विश्वभर में प्रचलित हैं और लोग उन्हें एक महान समाज सुधारक मानते हैं।

Swami Vivekanand Shiksha par vichar (स्वामी विवेकानंद शिक्षा पर विचार )

स्वामी विवेकानंद शिक्षा को बहुत महत्वपूर्ण मानते थे। उन्होंने शिक्षा को महत्वपूर्ण उपकरण माना था, जो एक व्यक्ति को समृद्ध, समझदार और स्वतंत्र बनाता है। उन्होंने शिक्षा को एक उत्सव के रूप में देखा था, जो जीवन में नये दृष्टिकोण देता है और समझ में लाने की शक्ति देता है।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार, शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को स्वतंत्र बनाना होता है। वे शिक्षा को एक स्वतंत्रता का उपकरण मानते थे जो व्यक्ति को अपने दिमाग की समझ, विचार तथा संज्ञाना शक्ति के विकास में मदद करता है। उन्होंने शिक्षा को एक ऐसे माध्यम के रूप में बताया जो व्यक्ति को न केवल अपनी व्यक्तिगत विकास बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय विकास में भी मदद करता है।

स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा को संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग माना था। उन्होंने संस्कृति को एक महान उपहार माना था जो भारत के लोगों के पास है।

स्वामी विवेकानंद शिक्षा के महत्व को समझते थे और उन्होंने शिक्षा के लिए एक नयी पहल की शुरुआत की। उन्होंने शिक्षा के लिए एक संस्था बनाई जो बाद में विवेकानंद कॉलेज बनी। उन्होंने शिक्षा को धर्म के साथ जोड़कर देखा था जो धर्म की जिज्ञासा और धर्म के अध्ययन में लोगों की मदद करता है।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार, शिक्षा न केवल किताबों से होती है, बल्कि जीवन से भी होती है। उन्होंने शिक्षा को संसार के सभी तथ्यों से जोड़कर देखा था जो व्यक्ति को न केवल व्यक्तिगत विकास बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय विकास में भी मदद करता है।

उन्होंने शिक्षा के लिए एक संस्था बनाने के साथ-साथ एक नयी शिक्षा पद्धति की भी शुरुआत की थी। उन्होंने शिक्षा को ऐसे ढंग से देखा था जो विद्यार्थियों को स्वतंत्रता, समझदारी, सहनशीलता, समरसता, आत्मविश्वास और संयम जैसी गुणों के विकास में मदद करती है।

स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए कहा था कि "शिक्षा ही हमारी मुख्य आधारशिला है, जो भविष्य के साथ-साथ समाज का निर्माण करती है।" उन्होंने शिक्षा को सिर्फ ज्ञान लेने से बढ़कर एक जीवन शैली के रूप में देखा था। उन्होंने शिक्षा को जीवन के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की ओर ले जाने का एक मार्ग माना था।

उन्होंने शिक्षा को एक नयी दिशा देने के लिए वेदांत दर्शन का उपयोग किया था। उन्होंने शिक्षा को एक सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक मूल्यों के साथ जोड़कर देखा था जो विद्यार्थियों को समस्याओं के सामने सही तरीके से निपटने की क्षमता प्रदान करती है।

उन्होंने शिक्षा को जीवन का एक सफर माना था जिसमें शिक्षा विद्यार्थियों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने शिक्षा को एक समाज सेवा के लिए उपयोगी माध्यम भी माना था जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करता है।

महान आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद शिक्षा पर विचार ।

स्वामी विवेकानंद एक महान आध्यात्मिक गुरु, संन्यासी और विचारवंत थे। उनके विचारों में शिक्षा एक महत्वपूर्ण अंग था। यहां कुछ महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए जाते हैं जो स्वामी विवेकानंद के शिक्षा पर विचारों को प्रकट करते हैं-

  • 1. संपूर्ण व्यक्तित्व विकास: स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा को संपूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिए माध्यम माना। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए एक पूर्ण और संतुलित व्यक्तित्व का निर्माण करना। शिक्षा को सिर्फ ज्ञान की प्राप्ति नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि इसका मकसद व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास को सुनिश्चित करना होना चाहिए।
  • 2. वेदांतिक शिक्षा: स्वामी विवेकानंद वेदांतिक शिक्षा के पक्षधर थे और उन्होंने वेदांत के सिद्धांतों को अपनी शिक्षा दर्शन का मूल माना। उनके अनुसार, वेदांत की शिक्षा छात्रों को सत्य की प्राप्ति, आध्यात्मिकता, अन्तर्दृष्टि और स्वयं को पहचानने की क्षमता प्रदान करनी चाहिए।
  • 3. व्यावहारिक शिक्षा: स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा को सिर्फ शास्त्रीय ज्ञान की मर्यादा से पार करने वाला माना। उन्होंने व्यावहारिक शिक्षा को महत्व दिया और छात्रों को यह शिक्षा प्रदान करने की प्रेरणा दी कि वे समाज में अपने ज्ञान को कैसे उपयोग में लाएं और सेवा करें।
  • 4. नैतिकता का महत्व: स्वामी विवेकानंद ने नैतिकता को शिक्षा के आधार के रूप में मान्यता दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य छात्रों को नैतिक मूल्यों, सदाचार और शुद्धता के साथ निपुणता का विकास करना होता है।
  • 5. स्वदेश प्रेम: स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा को राष्ट्रप्रेम और स्वदेश प्रेम की प्रेरणा से जोड़ा। उन्होंने शिक्षा को छात्रों को उनके देश के इतिहास, संस्कृति, और सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूक बनाने का माध्यम माना।

स्वामी विवेकानंद के विचारों के आधार पर, शिक्षा का उद्देश्य छात्रों के संपूर्ण विकास, आध्यात्मिकता, नैतिकता, व्यावहारिक ज्ञान, सेवा और राष्ट्रप्रेम में समाहित होना चाहिए। उनके विचारों ने शिक्षा को एक साधन बनाया है जो छात्रों को उनके जीवन में सफलता और समृद्धि की ओर अग्रसर करता है।

निष्कर्ष :आशा करते हैं कि यह लिखा Swami Vivekanand Shiksha par vichar (स्वामी विवेकानंद शिक्षा पर विचार क्या है) आपको पसंद आया होगा अगर आप स्वामी विवेकानंद जी के बारे में कुछ और अधिक जानना चाहते हैं तो या कुछ परामर्श देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स का प्रयोग कर सकते हैं।

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