मांसपेशी किसे कहते है(Mans Peshikise kahte Hai)
माँसपेशियाँ(Muscles)
मानव शरीर में 650 से ज्यादा व्यक्तिगत माँसपेशियाँ (Muscles) होती हैं जो मनुष्य के ढाँचे से सम्बद्ध होती हैं। ये माँसपेशियाँ शरीर को गतिशील बनाने के लिए 'शक्ति' प्रदान करती हैं। ये माँसपेशियाँ अस्थियों को ढके रखती हैं तथा उन्हें बाह्य प्रहारों से सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये माँसपेशियाँ शरीर के वजन का कुल 40% होती हैं। शरीर जब भी गतिशील होता है, वह मूलतः माँसपेशियों के समूह के कारण होता है
क्योंकि माँसपेशियों का यह समूह प्रत्येक क्रिया को गति प्रदान करता है भले ही वह क्रिया छोटी हो या बड़ी।
माँसपेशियों के प्रकार(Classification of Muscles)
माँसपेशियों की क्रिया विधि के आधार पर इन्हें तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
(1) अस्थि पिंजर पेशियाँ
(2) समतल पेशियाँ
(3) हृदय पेशियाँ
1. अस्थि पिंजर पेशियाँ (Skeletal Muscles)
ये पेशियाँ हड्डियों से जुड़ी हुई होती हैं तथा बाजुओं, रोगों, अंगुलियों एवं अस्थि पिंजर के विभिन्न भागों का संचालन करती हैं। चूँकि ये पेशियाँ व्यक्ति की इच्छानुसार कार्य करती हैं इस कारण इन्हें 'ऐच्छिक पेशियाँ' भी कहते हैं।
अस्थि पिंजर पेशियों, शरीर के भिन्न-भिन्न भागों में गति के लिए उत्तरदायी है। क्योंकि इनकी बनवाट धारियों के समान नजर आती हैं। अतः इन्हें धारीदार पेशियाँ भी कहते हैं।
पेशी के प्रत्येक तन्तु की बनावट एम्ब्रियोनिक पेशी तन्तु (Embryonic Muscles Cell) अथवा मायोब्लास्ट के द्वारा बहु-अणुक (Multi-Molecular) ढाँचे के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं जिसे 'सिंकाइटियम' कहा जाता है। यह 'सिंकाइटियम' एक झिल्ली 'सारकोलेमा' से घिरा होता है जो नाभि (Nucleus) बाल सैल (Wal Cell) के प्लाज्मा रेशों के समान होता है।
2. समतल पेशियाँ (Smooth Muscles)
ये पेशियाँ शरीर के आन्तरिक अंगों मुख्यतया पेट तथा आँतों की दीवारों के अन्दर पायी जाती हैं जो पाचन प्रक्रिया में भोजन को आगे बढ़ाने धकेलने) का कार्य करती हैं। ये रक्तवाहिनियों की चौड़ाई तथा मार्ग का भी नियन्त्रण करती हैं। ऐसी स्थिति में ये पेशियाँ अपने आप सिकुड़ती और ढीली अर्थात् संकुचित होती रहती हैं। इन पेशियों पर व्यक्ति का नियन्त्रण नहीं होता है इस कारण इन्हें 'स्वयं सेवी' अथवा 'अनैच्छिक पेशियों के नाम से भी जाना जाता है।
समतल पेशियाँ आन्तरिक अंगों के संचालन में शक्ति प्रदान करती हैं। इनके द्वारा 'पाचन प्रणाली' से लेकर 'रक्त शिराओं' में बहाव तथा 'उत्सर्जी तन्त्र' में मूत्र को शरीर से बाहर निकालने तक के कार्य सम्पादित किये जाते हैं। इस प्रकार भीतरी अंगों के कार्यों की दृष्टि से ये पेशियाँ अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।
3. हृदय पेशियाँ (Cardiac Muscles)
इस प्रकार की पेशियाँ केवल हृदय में ही पायी जाती हैं। इनमें 'अस्थि पिंजर पेशी' तथा 'समतल पेशी' वाले सभी लक्षण पाये जाते हैं। अर्थात् यह 'अस्थि पिंजर पेशियों' की तरह धारीदार तथा 'समतल पेशियों' के समान कभी न थकने वाली पेशियाँ होती हैं। हृदय पेशियों दिल को औसत रूप से एक मिनट में 72 बार धड़कने में सहायता करती हैं। यह धड़कन जीवन पर्यन्त निर्वाध रूप से होती रहती हैं इन पेशियों की खोज 'पुरकिंजे' (Purkinje) नामक वैज्ञानिक ने की थी, इस कारण इन्हें 'पुरकिंजे तन्तु' (Purkinje Fibres) के नाम से भी जाना जाता है।
अस्थि पिंजर पेशियों का वर्गीकरण (Classification of Skeletal Muscles)
शरीर के भिन्न-भिन्न भागों के अलग-अलग कार्यों के कारण 'अस्थि पिंजर पेशियाँ' जो अति महत्त्वपूर्ण पेशियाँ हैं। ये व्यक्ति की इच्छानुसार कार्य करती हैं। इनको निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है-
1. बाजू का ऊपरी भाग बाजू के भागों को हिलाने वाली तीन भिन्न-भिन्न पेशियां होती हैं।
(i) पैकटोरेलिस मेजन (Pectoralis Major)
(ii) लेटिसिमस डोरसी (Latissimus Dorsi)
(iii) डैलटॉयड (Deltoid)
2. बाजू का निचला भाग इस भाग की मुख्य पेशियाँ जो निचले भाग को घुमाती
(i) डौले (Biceps)
(ii) त्रिभुजाकार पेशियाँ (Triceps )
(iii) ब्रेकियालिस (Brachialis)
3. जाँघ (Thigh) — जाँघ को घुमाने वाली चार मुख्य पेशियाँ-
(i) ग्लूटियस मैक्सिमस (Gluteus Maximus)
(ii) इलियोपस्स (IIlioposas)
(iii) रैक्ट्स फोमोरिस (Rectus Femoris)
(iv) एडक्टर लोंगस (Adductor Longus)
4. निचली टाँग (Lower Leg) टाँग की महत्वपूर्ण पेशियाँ...
(i) चार भागों वाली पेशियाँ (Quadriceps Femoris)
(ii) टाँगों की नाड़ी की पेशियाँ (Hamstring Muscles)
(iii) सारटोरियस (Sartorius)
5. पाँव (Foot) पाँव को चलाने वाली मुख्य तीन पेशियाँ हैं— (i) टिबिएलिस एनटीरियर (Tibialis Anterior)
(ii) गैसट्रोसिनेभियस (Gastrocnemius) (iii) सोलियस (Soleus)
6. सिर- वे पेशियाँ जो सिर को घुमाती हैं-
(i) स्टरनोकलैंड मैसटायड
(ii) सपलीनियस कैपिटस
(iii) लॉगिसमस कैपिटस
7. छाती- छाती की दीवारों को घुमाने वाली पेशियाँ
(i) बाह्य इन्टरकोस्टल्स (External Intercostals)
(ii) भीतरी इन्टरकोस्टल्स (Internal Intercostals)
(iii) डायाफ्राम (Diaphram)
8. कन्धा - पेशियाँ जो कन्धों को घुमाती हैं।
(i) ट्रेपिजियस (Trapezius)
(ii) पैक्टोरेलियस माइनर (Pectoralis Minor)
(iii) सीरेटस एनटीरियर (Serratus Anterior)
9. हाथ- हाथों की क्रियाओं में भाग लेने वाली पेशियाँ
(i) पालमेरिस लोंगस (Palmaris Longus)
(ii) फ्लैक्सर कार्पी रेडियल्स (Flexor Carpi Radials)
(iii) फ्लैक्सर कार्पी अलनेरिस (Flexor Carpi Ulnaris)
(iv) एक्सटेंसर कार्पी रेडियलिस लोंगस (Extensor Carpi Radialis Longus)
(v) एक्सटेंसर कार्पी रेडियलिस ब्रोविस (Extensor Carpi Radialis Brovis)
10. पेट की दीवारें पेट की बाहरी दीवारों को संचालित करने वाली पेशियाँ
(i) बाह्य ओबलीक (External Oblique)
(ii) भीतरी ओबलीक ( Internal Oblique)
11. श्रोणि प्रदेश (Pelvic ) – पेशियाँ जो श्रोणि प्रदेश को संचालित करने में सहायक होती हैं-
(i) लैवेटर ऐनी (Levator Ani)
(ii) कौकसिजियस (Cocacygeus)
12. धड़धड़ की मुख्य पेशियाँ-
(i) इलीयोपसेयस (Iliopsoas)
(ii) सैक्रोस्पाइनेलिस (Sacrospinalis)
(iii) इलीयोपसियस लम्ब्रोम (Iliopsoalis Lumborm)
(iv) लौगिसीमस डोरसी (Longissimus Dorsi)
13. चेहरा (Face ) — चेहरे की मुख्य पेशियाँ—
(i) आक्सीपिटो फ्रन्टेलिस (Occipito Frontalis)
(ii) ओरबीक्यूलेरिस ओक्यूलाई (Orbicularis Oculi)
(iii) ओरबीक्यूलेरिस ओरिस (Orbicularis Oris)
(iv) मैसेटर (Masseter)
(v) टेम्पोरल (Temporal)।
निष्कर्ष: आशा करते हैं कि यह लेख मांसपेशी किसे कहते है(Mans Peshi kise kahate Hai) आपको समझ में आया होगा। अगर आपको लेख पसंद आया हो तो कृपया अपने तैयारी करने वाले मित्रों को इस पोस्ट का लिंक जरूर शेयर करें जिससे कि उनको भी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।