अचल संधि किसे कहते हैं (Achal Sandhi kise kahate Hai) अस्थि जोड़ कितने प्रकार के होते है।

जोड़ों का वर्गीकरण करते हुए अचल संधि किसे कहते हैं (Achal Sandhi kise kahate Hai) लेख में जानेंगे संधि (Joint) किसे कहते हैं जोड़ों के प्रकार क्या है तथा संधियों की गति से क्या तात्पर्य है। What do you understand by Joints? Throw light on the types of joints and joints movements.

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अचल संधि किसे कहते हैं (Achal Sandhi kise kahate Hai)

जोड़ अथवा सन्धि (Joints) क्या है

मानव शरीर में दो या दो से अधिक अस्थियों या उपास्थियों के जोड़ को सन्धि कहते हैं। शरीर में स्थित अस्थियों का ढाँचा इन अस्थियों के परस्पर जोड़ से ही निर्मित है। इन जोड़ों अथवा सन्धियों द्वारा ही हमारे शरीर की अस्थियाँ एक-दूसरे से संचालित रहती हैं। इन सन्धियों द्वारा शरीर को गति प्राप्त होती है ।

जोड़ के प्रकार (Types of Joints)

जोड़ों की गति के अनुसार मानव शरीर में तीन प्रकार के जोड़ विद्यमान होते हैं-

(1) अचल सन्धि

(2) अर्द्धचल सन्धि

(3) चल सन्धि

अचल संधि किसे कहते हैं 

1. अचल सन्धि (Fixed Joint, Fibrous Joint, Synanthroses Joint and Immovable Joint) ये वह जोड़ होते हैं जो किसी भी प्रकार की गति नहीं करते हैं जिसमें दो या दो से ज्यादा हड्डियाँ परस्पर जुड़ी रहती हैं उन्हें अचल सन्धि कहा जाता है।

अचल सन्धि उदाहरण

(क) खोपड़ी का जोड़ जिसको हम Suture जोड़ भी कहते हैं क्योंकि यह Suture के समान जुड़ी रहती है।

(ख) दाँतों के जोड़ जिन्हें हम Peg and Socket अथवा Gomphosis भी कहते हैं।

(ग) Anterior Tibia - Fibular Joint जिनको Syndemosis भी कहा जाता है। क्योंकि यह जोड़ चल सन्धि के समीप स्थित रहने के उपरान्त भी गति नहीं करते।

अर्द्धचल संधि किसे कहते हैं 

2. अर्द्धचल सन्धि (Slightly Moveable, Cartilaginous and Amphiarthroses Joint) मानव शरीर के वह जोड़ जो बहुत कम गति (Movement) करते हैं उन्हें अर्द्धचल सन्धि कहा जाता है।

अर्द्धचल सन्धि उदाहरण

(क) Pubic Symphysis शरीर की टेल बोन के निकट का जोड़ (यह कुल्हे का सबसे निचला भाग होता है)।

(ख) रीढ़ की हड्डी का जोड़ (Intervertebral Joint) ।

चल संधि किसे कहते हैं 

3. चल सन्धि (Freely Moveable Joint, Synovial Joint and Diarthroses Joint) मानव शरीर के वह जोड़ जो गति करने में सहायक होते हैं उन्हें चल सन्धि कहा जाता है और यह जोड़ तीन तलों में से किसी भी तल में गति करते हैं। जोड़ों की गति, बनावट तथा स्थिति के आधार पर इन्हें निम्नलिखित 6 रूपों में वर्गीकृत किया गया हैं।

(क) Gliding Joint (Plane Joint)

(ख) Ball and Socket Joint

(ग) Hinge Joint

(घ) Condyloid Joint

(ङ) Pivot Joint

(च) Saddle Joint

(क) फिसलने वाले जोड़ (Gliding Joint) – ग्लाइडिंग जोड़ों में हड्डियों की दो चपटी सतह एक-दूसरे के ऊपर फिसलती हैं।

उदाहरण - Carpus एवं Tarsus जोड़।

(ख) Ball and Socket Joint— इसके अन्तर्गत हड्डी का एक सिरा जिसका आकार गोल होता है वह दूसरी हड्डी के कप के आकार जैसे सिरे में फँसा रहता है जिसे सॉकेट कहते हैं। ऐसा जोड़ सभी दिशाओं में गति करता है।

उदाहरण— Shoulder Joint (हाथ के ऊपरी भाग की हड्डी ह्यूमरस हड्डी के गड्ढे (Glenoid Cavity) में फँसा रहता है) तथा Hip Joint का सिरा स्केपुला ।

(ग) Hinge Joint— इस प्रकार की सन्धि में एक हड्डी का गोल पृष्ठ दूसरी अस्थि के छोर में इस प्रकार जुड़ता है कि केवल एक तल में गति हो सकती है जैसा कि कब्जों के जोड़ों में होता है। इसका श्रेष्ठ उदाहरण कोहनी का जोड़ है।

उदाहरण- Knee Joint एवं Elbow Joint.

(घ) Condyloid Joint— यह Hinge सन्धि की भाँति होता है केवल अन्तर इतना है कि इस सन्धि में दो तलों में गति सम्भव होती है। इसमें Lateral Backward तथा Forward तलों में गति सम्भव होती है। इस प्रकार इस सन्धि में Flexion Extension. Abduction-Adduction तथा कुछ सीमा तक Circumduction सम्भव होता है जैसा कि कलाई के जोड़ में पाया जाता है, लेकिन घूर्णन (Rotation) असम्भव होता है। 

उदाहरण-Wrist Joint.

(ङ) Pivot Joint - यह वह जोड़ होता है जिसमें केवल Rotation Movement होता है। अन्य शब्दों में कह सकते हैं कि इस जोड़ में एक हड्डी का सिरा दूसरी हड्डी के नुकीले सिरे पर घूमता है।

उदाहरण- 

(i) जैसे सिर की गति, जिसमें सिर गर्दन पर घूमता है। 

(ii) Radius हड्डी Ulna हड्डी के ऊपर Pronation तथा Supination नामक दो घूर्णन गतियाँ करती है।

(च) Saddle Joint — इसे परस्पर आदान-प्रदान वाली सन्धि भी कहा जाता है। इसका उदाहरण — ट्रेपीजियम तथा प्रथम मेटाकार्पल अस्थि की सन्धि है। इस सन्धि में युवत गति सम्भव होती है जिससे अँगूठा प्रत्येक अंगुली के सामने जा सकता है। कहने का अभिप्राय यह है कि यहाँ किसी भी दिशा में एवं तल में गति सम्भव होती है।

सन्धियों की गति (Joints Movements)

मानव शरीर के जोड़ों द्वारा जो गतियाँ की जाती हैं उन्हें चार भागों में विभाजित किया गया है-

1. Gliding Movement - ये सबसे सामान्य प्रकार की जोड़ों की गति होती है. जिससे जोड़ के पास की दो समतल हड्डियाँ एक-दूसरे पर फिसलती हैं ।

उदाहरण-Carpus तथा Tarsus Joints ।

2. Angular Movement - जोड़ों की इस प्रकार की गति में जोड़ के समीप की दो हड्डियों के बीच का कोण घटता है अथवा बढ़ता है इसको गति की दिशा के आधार पर,समझा जा सकता है। Angular Movement दो प्रकार के होते हैं- 

(i) Flexion तथा Extension – यह गति सेजिटल तल (Saggital Plane) में होती है तथा इस प्रकार की गति के लिए Uniaxial प्रकार के जोड़ कार्य करते हैं।

(ii) Abduction तथा Adduction- यह गति फ्रन्टल तल (Frontal Plane) में होती है तथा इस प्रकार की गति के लिए Biaxial एवं Multiaxial प्रकार के जोड़ कार्य करते हैं।

Flexion— जोड़ के पास दो हड्डियों के बीच का कोण कम होना Flexion कहलाता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि Anatomical position से किसी जोड़ के पास को दो हड्डियों के बीच का कोण कम होना। यह गति सेजिटल तल में होगी।

उदाहरण- कोहनी का मोड़ना (Elbow Flexion), Knee Flexion, Hip Flexion | Extension-Flexion की स्थिति (Shoulder Flexion) से पुन: Anatomical Position में आना Extension कहलाता है।

अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि जोड़ के समीप दो हड्डियों के बीच का कोण बढ़ना Extension कहलाता है।

उदाहरण- मुड़ी हुई कोहनी को पुनः स्थिति में लाना (Elbow Extension, Knee Extension, Hip Extension, Shoulder Extension) ।

Abduction—इस गति में शरीर के अंग का शरीर की Anatomical Position से दूर जाना Abduction कहलाता है। इसमें गति फ्रन्टल तल में होती है। उदाहरण— बाजू को एक ओर उठाना (Shoulder Abduction, Hip Abduction)।

Adduction—Abduction से पुन: Anatomical Position में आना Adduction कहलाता है। कहने का आशय है शरीर से दूर गये अंग को वापस लाना Adduction कहलाता है।

उदाहरण- एक ओर उठे हुए बाजू को शरीर की ओर वापस लाना। (Shoulder Adduction, Hip Adduction etc.) । 

3. Rotatory Movement - इस प्रकार की गति में हड्डियाँ जोड़ के पास घूर्णन (Rotation) गति करती हैं। इस प्रकार की गति के लिए Multiaxial प्रकार के जोड़ कार्य करते हैं।

घूर्णन गति के प्रकार

(i) Inward Rotation

(ii) Outward Rotation

(i) Inward Rotation— शरीर के अन्दर की ओर (Medial line) में घूमना ।

(ii) Outward Rotation — शरीर के बाहर की ओर घूमना। इसके चार भाग होते हैं-

(a) Inversion

(b) Eversion

(c) Supination

(d) Pronation

(a) Inversion – शरीर का अंग शरीर की ओर (Medial Line की ओर) आना।

उदाहरण- पैर के पंजों को अन्दर की ओर मोड़ना ।

(b) Eversion - शरीर का अंग शरीर से बाहर की ओर (Medial Line से बाहर की तरफ) ले जाना।

उदाहरण- पैर के पंजों को बाहर की ओर मोड़ना ।

(c) Supination – मुँह ऊपर की ओर करके लेटने की स्थिति । 

उदाहरण- हथेली को ऊपर की ओर मोड़ना है।

(d) Pronation - मुँह नीचे की ओर करके लेटने की स्थिति । 

उदाहरण- हथेली को नीचे की ओर मोड़ना ।

4. Circumduction Movement - इस प्रकार के जोड़ों की गति में Angular तथा Rotatory दोनों ही गतियाँ एक साथ होती हैं। कहने का तात्पर्य है कि यह गति Rotatory या Angular Movement का मिश्रण है।

निष्कर्ष: आशा करते हैं कि मेरे द्वारा बताई गई जानकारी अचल संधि किसे कहते हैं (Achal Sandhi kise kahate Hai) समझ में आई होगी अगर फिर भी कुछ प्रश्न हां तो कमेंट बॉक्स में लिखकर सूचित करें उसका जवाब तुरंत दिया जाएगा। अगर यह देख समझ में आया है तो कृपया अपने मित्रों को यह लिंक शेयर जरूर करें जिससे की तैयारी कर रहे हैं ।

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