बाल केन्द्रित शिक्षा का अर्थ - उद्देश्य,महत्व एवं विशेषताएँ | (Meaning of Child centred Education)

बाल-केन्द्रित शिक्षा का अर्थ(Meaning of Child-centred Education)

सामान्य शब्दों में प्राथमिक स्तर तक के विद्यालयों में बालकों को दी जाने वाली शिक्षा को ही बाल केन्द्रित शिक्षा कहा जाता है अर्थात बालक को जब सामान्य रूप से बोलना, वस्तुओं को पहचानना और जिज्ञासा के जाग्रत होने की स्थिति में जो शिक्षा दी जाती है वह शिक्षा 'बाल-केन्द्रित शिक्षा कहलाती है। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि नर्सरी से प्रथम कक्षा तक बालक को सामान्य बोलचाल के विषय में और आस-पास के वातावरण के विषय में जो जानकारी दी जाती है। वह जानकारी भी 'बाल-केन्द्रित' होती है। शैक्षणिक जगत् में बाल-केन्द्रित शिक्षा का आशय ऐसी शिक्षा से है। जिसमें समस्त शैक्षिक गतिविधियों का केन्द्र बालक होता है और इसमें शिक्षा बालक के लिये होती है, न कि बालक शिक्षा के लिये बाल केन्द्रित शिक्षा की धारणा के अनुसार विभिन्न शैक्षिक स्तरों पर पाठ्यक्रम बालकों की आवश्यकताओं, हितों, प्रवृत्तियों, क्षमताओं, सामाजिक और आर्थिक पर्यावरण, सामाजिक जीवन से स्थापित करने आदि मुख्य बातों पर आधारित होता है, जिसके फलस्वरूप बालक का स्वाभाविक रूप से उपयुक्त पर्यावरण में सर्वांगीण विकास होता है। अभी तक आप ने जाना बाल केन्द्रित शिक्षा का अर्थ क्या है अब आगे जाने उद्देश्य के बारे में।

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बाल-केन्द्रित शिक्षा का अर्थ(Meaning of Child-centred Education)

बाल केन्द्रित शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of Child-centred Education)

  1. बालक का चहुँमुखी विकास करना।
  2. स्वयं करके सीखने की प्रवृत्ति विकसित करना। 
  3. आत्मविश्वास जाग्रत करने की भावना का विकास करना।
  4. चिन्तन-मनन जिज्ञासा जैसी प्रवृत्तियों का विकास करना।
  5. सहयोग की भावना विकसित करना। स्वतन्त्र रूप से कार्य करने की प्रवृत्ति का विकास करना ।
  6. पुनवर्सन द्वारा शिक्षण को प्रभावी बनाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना।
  7. सीखने की क्रिया पर जोर देना ना कि पढ़ने की क्रिया पर।
  8. शारीरिक दण्ड प्रक्रिया को बहिष्कृत करना।
  9. प्रेषण सूचना संचालन तथा निष्कर्ष निकालने की दक्षता का विकास करना। 
  10. प्रशिक्षुओं को बालकों के सहयोगी एवं मार्गदर्शक के रूप में तैयार करना।

बालक केन्द्रित शिक्षा की विशेषताएँ (Characteristics of Child-centred Education)

बाल केन्द्रित शिक्षा की विशेषताओं से आशय उन सभी गुणों से अथवा लक्षणों से होता है, जो बाल-केन्द्रित शिक्षा में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से विद्यमान होते हैं। बाल केन्द्रित शिक्षा की आशात्मक टिप्पणी के आधार पर इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ बतायी जा सकती हैं-

1. बाल-केन्द्रित शिक्षा की प्रथम महत्वपूर्ण विशेषता यह बतायी जा सकती है कि यह शिक्षा एक आधारभूत शिक्षा है, जिसमें बालक को पहली बार किन्हीं शब्दों को बोलना सिखाया जाता है अर्थात् हम प्रथम बार बालक का ध्यान जिन शब्दों के बोलने की ओर आकर्षित करते हैं अथवा जिन शब्दों का बार-बार प्रयोग करके बालक के मुँह से अन्ततः वे शब्द निकलवा ही लेते हैं। जैसे-शुरुआती तौर पर बालक के मुँह से 'मम्मी'अथवा 'पापा' का शब्द निकलता है, तो इसका तात्पर्य यह नहीं है कि बालक को तो यह बोलना ही था, बल्कि हमने बार-बार प्रयास करके बालक का पूर्ण ध्यान इन शब्दों की ओर आकर्षित किया है और इसी के प्रभाव से बालक के मुँह से इन शब्दों की ध्वनि निकली है अतः यह कहा जा सकता है, कि बाल-केन्द्रित शिक्षा एक आधारभूत शिक्षा है, जिसके माध्यम से बालक को हम शुरुआती तौर पर जिधर चाहे उधर ही निर्देशित कर सकते हैं।

2. बाल केन्द्रित शिक्षा की दूसरी महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें बालक के चहुँमुखी विकास पर बल दिया जाता है अर्थात बालक ऐसे गुण सीखे जो दूसरों के लिए ज्ञानवर्धक साबित हो सकें तथा सभी लोग बालक के क्रिया-कलापों की चर्चा के दौरान उसकी प्रशंसा करें इसमें बालक के साथ इस प्रकार का व्यवहार किया जाता है कि बालक सदैव हँसमुख स्वभाव का रहे।

3. बाल-केन्द्रित शिक्षा की यह भी विशेषता है, कि इसमें बालक को उसकी अभिरुचि, बुद्धि और स्वभाव के अनुसार ही शिक्षा दी जाती है। इसके कारण मन्द-बुद्धि और तेज बुद्धि वाले बालक आसानी से अपने स्वभावानुसार आगे बढ़ते जाते हैं, अन्यथा तो प्रखर बुद्धि वाले बालक भी सामान्य बालक ही बनकर रह सकते हैं।

4. बाल-केन्द्रित शिक्षा में कोई विशेष संसाधन जुटाने की जरूरत नहीं पड़ती है। बालक ने जिस परिवार में जन्म लिया है उस परिवार के संस्कारों के अनुसार ही उसे अपने वातावरण का ज्ञान हो जाता है। अर्थात् मनुष्य अपने वातावरण की उपज होता है। जिस परिवार और समाज में बालक का जन्म हुआ है उसी के अनुसार उसकी शिक्षा-दीक्षा की स्वतः ही व्यवस्था हो जाती है।

5. बाल केन्द्रित की यह भी विशेषता होती है, कि इसके अन्तर्गत बालक का शारीरिक, मानसिक और अन्य विकास छिपा रहता है अर्थात बालक को शारीरिक और मानसिक तौर पर सही दिशा की ओर निर्देशित करना भी बाल केन्द्रित शिक्षा का ही एक महत्त्वपूर्ण अंग होता है। अभी तक आप ने जाना बाल केन्द्रित शिक्षा का अर्थ, उद्देश्य, विशेषताएं और अब आगे जाने इसके महत्व के बारे में ।

बाल-केन्द्रित शिक्षा का महत्व (Importance of Child centred Teachi

  1. बालक प्रधान शिक्षण। 
  2. सरल और रुचिपूर्ण शिक्ष।
  3. आत्माभिव्यक्ति के अवसर।
  4. ज्ञानेन्द्रिय प्रशिक्षण पर बल।
  5. व्यावहारिक और सामाजिक ज्ञान। 
  6. क्रियाशीलता पर आधारित शिक्षा।
  7. स्वयं करके सीखने पर।

बाल-केन्द्रित शिक्षा में शिक्षक भूमिका (The Role of Teacher in Child-centred Teachin)

बाल केन्द्रित शिक्षण में शिक्षक बालकों का सहयोगी, सेवक तथा मार्गदर्शक के रूप में होता है। वह बालकों का सभी प्रकार से मार्गदर्शन करता है और विभिन्न क्रियाकलापों को क्रियान्वित करने में सहायता करता है।

शिक्षक जब कक्षा में पढ़ाने जाता है तो शिक्षक के सामने बालक होता. है और विषय-वस्तु होती है। शिक्षण द्वारा शिक्षक अपने और विषयवस्तु के मध्य एक सम्बन्ध बनाता है। यही सम्बन्ध बच्चे के सर्वांगीण विकास में सहायता देकर।उसे भविष्य में समाज के योग्य और सृजनशील नागरिक बनाने का काम करता है। चूँकि बालक को शिक्षण-अधिगम का सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक बनाया है। इसलिए एक सफल शिक्षक के लिए आवश्यक है कि अपने विषय के साथ-साथ वह उस बच्चे को भली-भाँति जाने, जिसे शिक्षित करना है। यह कहना पूर्णतया सत्य है ।" शिक्षक वह धुरी है जिस पर बाल-केन्द्रित शिक्षण कार्यरत है। बाल केन्द्रित शिक्षण में शिक्षक माली के सदृश पौधों के समान बालकों का पोषण करके उनका शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक विकास करता है। पशु प्रवृत्ति से निकालकर मानवीय प्रवृत्ति की ओर बालक को शिक्षक ही करता है।"

निष्कर्ष: आशा करते हैं कि मेरे द्वारा बताई गई जानकारी बाल केन्द्रित शिक्षा का अर्थ (Meaning of Child centred Education) उद्देश्य एवम महत्व आपको समझ में आए होगी बाल केंद्रित शिक्षा से अगर कोई प्रश्न आपके मन में है तो या कुछ सुझाव देना है तो नीचे कृपया कमेंट बॉक्स का प्रयोग कर सकते हैं।

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