अधिगम पठार की परिभाषा - कारण, निराकरण (Adhigam Pathar Paribhasha Prakar, Karan, Nirakarn)

अधिगम पठार किसे कहते हैं? (Adhigam pathar kise kahate Hai )

अधिगम से सम्बन्धित अध्ययनों से स्पष्ट होता है कि जब कोई नवीन क्रिया या कौशल सीखते हैं तो कुछ समय तक अधिगम (सीखने) में लगातार सफलता मिलती रहती है। यह सफलता या अधिगम में प्रगति कभी कम या कभी अधिक हो सकती है। कुछ समय बाद ऐसा भी होता है जब अधिगम क्रिया में प्रगति बिल्कुल नहीं होती है। सीखने में इस प्रकार की अवस्था को 'अधिगम का पठार' या 'सीखने का पठार' कहते हैं। सीखने की इस प्रकार की क्रिया का ग्राफ खींचने पर, वक्र रेखा नीचे या ऊपर न जाकर सीधी रेखा में चलने लगती है। ग्राफ में इस सीधी रेखा वाले एक से या सपाट स्थान को 'अधिगम का पठार'कहते हैं। 

इससे ज्ञात होता है कि इस समय अधिगम में न तो उन्नति ही हो रही है और न अवनति वरन् अधिगम प्रगति रुकी हुई है। अब तक आपने  जाना अधिगम पठार किसे कहते हैं? अब आप आगे  जाने अधिगम पठार की परिभाषा क्या है? 

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अधिगम पठार की परिभाषा (Adhigam pathar ki Paribhasha)

स्किनर ने अधिगम पठार के बारे में कहा है- "पठार क्षैतिज प्रसार है जिससे उन्नति का बोध होता है।" इससे स्पष्ट है कि अधिगम की क्रिया में एक स्थिति ऐसी अवश्य आ जाती है जब सोखने की गति में कोई प्रगति होती दिखाई नहीं देती। यह स्थिति ही पठार (Plateau) कहलाती है। 

रेक्स एवं नाइट (Rex and Knight) ने पठार के विषय में कहा - "सीखने में पठार तब आते हैं जब सीखने की एक अवस्था पर पहुँचकर दूसरी में प्रवेश करता है। "

माक्विंस एवं वुडवर्थ के अनुसार - " अधिगम के वक्र में चित्रित एक से लम्बे सपाट स्थान को, जिसमें सोखने की क्रिया में प्रगति नहीं के बराबर होती है, पठार कहते हैं बशर्ते कि इसके पश्चात् पुनः प्रगति हो सके।"

सोरेन्सन के अनुसार,"पठार की अवधि कब तक रहती हैं, यह वैयक्तिक भिन्नता पर निर्भर है।"

सोरेन्सन (Sorenson) ने इस बारे में कहा है- "सीखने की अवधि में पठार साधारणतया कुछ दिनों,सप्ताहों या महीनों तक रहते हैं।" पठार की स्थिति इस नीचे दिए गए चित्र से और अधिक स्पष्ट हो जायेगी। चित्र में मन्दतम मुख्य रेखा (Slowest main line rate) पठार की सूचक है।

प्रशिक्षकों या अभिभावकों को परेशान और हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। वास्तव में अधिगम में पठारों का आना एक प्रकार से स्वाभाविक है। जिस प्रकार से एक बार भोजन कर लेने पर उसके बिना पचे हुए दूसरा भोजन करना असम्भव है उसी प्रकार एक बार प्राप्त किया हुआ कौशल या ज्ञान जब तक आत्मसात् या ठीक से समझ में नहीं आ जाता, लाख कोशिश करने पर भी नवीन कौशल या ज्ञान विद्यार्थी अथवा खिलाड़ी नहीं ग्रहण कर पाता है। पठार, ग्रहण किये हुए ज्ञान को आत्मसात् करने की अवस्था है। पठारों के बनने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं जिससे अधिगम प्रगति में बाधा उत्पन्न हो सकती हैं। शिक्षकों प्रशिक्षकों अथवा अभिभावकों को चाहिए कि वे इन कारणों का पता लगाकर अधिगम पठार सीघ्र निराकरण करने का प्रयास करें। अब तक आपने जाना अधिगम पठार किसे कहते हैं अधिगम पठार की परिभाषा क्या है अब आप आगे जाने अधिगम पठार के कारण क्या हैं।

अधिगम के पठार के कारण
(Adhigam pathar ke Karan)

अधिगम क्रिया में पठार के आने के कई कारण हैं, जो इस प्रकार हैं- 
1. शारीरिक सीमा (Physical Limit) – विद्यार्थी या खिलाड़ी किसी क्रिया को सीखते हैं। सीखते-सीखते एक स्थिति ऐसी आ जाती है जब वह थकान अनुभव करने लगता है। ऐसी स्थिति में बालकों में सीखने की क्षमता प्रभावित होती हैं और वहीं पर सीखने का पठार बन जाता है।

2. गलत पद्धति (Wrong Method) -अधिगम की अनुचित विधि अपनाने पर विद्यार्थी या खिलाड़ी में अरुचि उत्पन्न होती है और वहीं पर पठार बन जाता है। 

3. प्रेरणा का अभाव (Lack of Motivation ) — शिक्षक व प्रशिक्षक जिन क्रियाओं एवं खेलों को विद्यार्थियों या खिलाड़ियों में प्रेरणा उत्पन्न किये बिना करा देता है, उनके प्रति विद्यार्थी या खिलाड़ी उदासीन हो जाते हैं। उदासीनता थकान उत्पन्न करती है और वहीं पठार के निर्माण हेतु उत्तरदायी है।

4. गलत क्रम (Wrong Order)- यदि शिक्षण व प्रशिक्षण विधि का क्रम गलत है तो वह भी पठार के निर्माण में सहयोग देता है।

5. अभ्यास का अभाव (Lack of Practice ) — अधिगम क्रिया अभ्यास के बिना पूर्णता प्राप्त नहीं करती। अभ्यास का अभाव ही पठार का कारण बन जाता है। 

6. सामग्री का एकांगीपन (One Sideness of Material) – अधिगम की प्रक्रिया में जब केवल एक भाग पर बल दिया जाता है तो वह भी पठार का कारण बन जाता है।

7. त्रुटियों का हस्तान्तरण (Transfer of Errors ) — अधिगम की क्रिया में उत्पन्न त्रुटियाँ जब दूसरी क्रिया में भी स्थानान्तरित होने लगती हैं तब भी पठार बन जाता है।

8. अन्य कारण (Other Causes ) — (i) दूषित वातावरण, (ii) सीखने की विधि में सदा परिवर्तन, (iii) सीखने वाली क्रिया को न समझ पाना, (iv) थकान, अस्वस्थता, क्रिया में ध्यान न लगना, (v) मन्द बुद्धि का होना, (vi) क्रिया तथा खेल के किसी महत्त्वपूर्ण कौशल को सीख न पाना, (vii) क्रिया के प्रति उदासीन या निराश हो जाना, (viii) रुकावट उत्पन्न करने वाली आदतें, (ix) किसी कौशल के विशेष अंग में आवश्यकता से अधिक जोर देना। अब तक आपने जाना अधिगम पठार किसे कहते हैं, अधिगम पठार की परिभाषा एवं अधिगम पठार के कारण क्या हैं, अब आप आगे जानेगे अधिगम पठार का निराकरण क्या है।

अधिगम पठार का निराकरण (Adhigam pathar ka Niraakaran)

अधिगम क्रिया में पठार का अस्तित्व शिक्षक तथा विद्यार्थी दोनों के लिए लाभदायक है। शिक्षक को पठार की उपस्थिति से यह ज्ञात हो जाता है कि विद्यार्थी अब थक गये हैं और उनमें सीखने की शक्ति नहीं है। शिक्षक इस स्थिति का लाभ उठा सकता है और अधिगम को प्रभावशाली बना सकता है। विद्यार्थियों के लिए भी जानकारी इसलिए आवश्यक है कि वे पठार की जानकारी प्राप्त करके ज्ञान अथवा कौशल का संगठन कर सकते हैं। पठार को दूर करने के उपाय निम्नलिखित हैं-

1. शिक्षण विधि में परिवर्तन (Change in Method of Teaching ) — शिक्षक को जब लगे कि बालको में अधिगम का पठार आ रहा है तो उसे तुरन्त ही शिक्षण अथवा प्रशिक्षण, विधि बदल देनी चाहिए। क्रिया एवं खेलों को रोचक बनाना चाहिए एवं उसमें नवीनता लानी चाहिए।

2. प्रेरणा तथा उद्दीपन ( Motivation and Stimulation)—– अधिगम क्रिया उस | समय तक प्रभावहीन रहती है जब तक विद्यार्थियों में शिक्षक क्रिया अथवा खेल विशेष के प्रति तथा उद्दीपन ( Incentive) नहीं भरता । पुरस्कार (Reward) तथा दण्ड (Punishment) के माध्यम से शिक्षक विद्यार्थियों में प्रेरणा उत्पन्न कर सकता है।

3. शिक्षण सामग्री का संगठन (Organising Teaching Aids) – शिक्षक को पठार की स्थिति से बचने के लिए शिक्षण सामग्री का संगठन 'सरल से कठिन की ओर' सिद्धान्त के आधार करना चाहिए । विद्यार्थियों के मनोविज्ञान का पूरा-पूरा ध्यान इस सन्दर्भ में रखा जाना चाहिए।

4. क्रिया में परिवर्तन (Shifting in Activity ) — शिक्षक को चाहिए कि जब वह | पठार अनुभव करें तो उसे एक क्रिया को कराना बन्द करके दूसरी क्रिया कराना आरम्भ कर देना चाहिए।

5. विश्राम (Rest ) - पठार की स्थिति आ जाने पर शिक्षक को चाहिए कि वह विद्यार्थियों को विश्राम देकर उनकी थकान दूर करे।

इस बारे में सोरेन्सन (Sorenson) ने कहा है कि "शायद ऐसी कोई विधि नहीं जिससे बिल्कुल समाप्त कर दिया जाए, पर उनकी संख्या तथा अवधि को कम किया जा सकता है। "

निष्कर्ष: आशा करते हैं कि मेरे द्वारा बताई गई जानकारी आपको समझ में आई होगी अधिगम पठार की परिभाषा - कारण, निराकरण (Adhigam Pathar Paribhasha Prakar, Karan, Nirakarn) लेख से संबंधित आपके पास कोई प्रश्न आया सुझाव है तो कृपया नीचे कमेंट बॉक्स का प्रयोग कर सकते हैं।

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