बास्केटबॉल (Basketball) का इतिहास।
बास्केटबॉल का प्रारम्भ सन् 1891 में हुआ था। अमेरिका के एक पादरी के द्वारा इसका शुभ आरम्भ किया गया था। बास्केटबाल का खेल दक्षिणी अमेरिका के पोल-टापोक नामक खेल से अधिक मिलता हुआ खेल है। इस खेल से सम्बद्ध नियमों को जेम्सनाथ स्मिथ जो कि एक कनैडियन था, के द्वारा विकसित किया गया था। पहली बार वाई.एम.सी.ए. कॉलेज ऑफ फिजिकल एज्यूकेशन स्प्रिंगफील्ड में सन् 1891 में इसे खेला गया। सन् 1936 बर्लिन में होने वाली ओलम्पिक खेलों में बास्केटबाल के इस खेल को सम्मिलित किया गया।
बास्केटबॉल का नियम (Rules of Game)
बास्केटबॉल 5-5 खिलाड़ियों की दो टीमों के मध्य खेला जाता है। प्रत्येक टीम में स्थानापन्न भी हो सकते हैं। प्रत्येक टीम का उद्देश्य होता है कि वह अपने विपक्षी की बास्केट में दे तथा के हाथ में गेंद आने से रोक तथा अंक प्राप्त न होने दे।
बास्केटबॉल का चित्र
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बास्केटबॉल का मैदान मेजरमेंट
बास्केटबॉल का मैदान (Court of Basketball) — खेल का मैदान आयताकार होगा जिसकी लम्बाई 28 मीटर तथा चौड़ाई 15 मीटर होगी। मैदान की लम्बाई की और रेखाएँ, पार्श्व रेखाएँ तथा चौड़ाई की रेखाएँ अन्तः रेखाएँ कहलायेंगी। इन रेखाओं तथा दर्शकों के मध्य कम से कम दो मीटर की दूरी होगी। मैदान की लम्बाई में दो मीटर तथा चौड़ाई में एक मीटर कम किया जा सकता है परन्तु यह अन्तर दोनों साइटों के अनुपात में होना चाहिए। मैदान में घास बिल्कुल नहीं होनी चाहिए।
केन्द्र वृत्त (Centre Circle ) — वृत्त केन्द्र का अर्धव्यास 1-80 मीटर होगा तथा मैदान के मध्य में अंकित किया जाएगा। अर्धव्यास वृत्त के बाहरी किनारे से मापा जायेगा।
फ्री थ्रो रेखाएँ (Free Throw Lines ) - प्रत्येक अन्त:रेखा के समान्तर एक फ्री रेखा खींची जायेगी, यह अन्त:रेखा के भीतरी किनारे से 5-80 मीटर की दूरी पर होगी। इसकी लम्बाई 3-60 मीटर के मध्य बिन्दु से 1-20 मीटर तथा केन्द्र बिन्दु दोनों अन्तः रेखाओं के मध्य बिन्दुओं के मध्य बिन्दुओं को जोड़ने वाली रेखा पर होगा।
केन्द्रीय रेखा (Centre Line ) — आगे का क्षेत्र, पीछे का क्षेत्र, केन्द्रीय रेखा एवं पार्श्व रेखाओं के केन्द्र बिन्दु से रेखाओं के समान्तर खींची जायेंगी। टीम का आगे का क्षेत्र, क्षेत्र का वह भाग है, जो विपक्षी टीम के बास्केट के पीछे अन्तः रेखा और केन्द्रीय रेखा के किनारे के मध्य में आता है। मैदान का अन्य भाग केन्द्रीय रेखा सहित टीम का पीछे का क्षेत्र होता है। सभी रेखाएँ 0-05 मीटर चौड़ी होंगी।
पिछले तख्ते (Backboards)— पिछले तख्तों की लम्बाई 180 मीटर तथा चौड़ाई 1.20 मीटर होगी। बोडों की मोटाई तीन सेण्टीमीटर होनी चाहिए। पिछले तख्ते प्रत्येक सिरे पर फर्श से समकोण बनाते हुए लगाये जायेंगे तथा इनका निचला किनारा फर्श से 2-75 मीटर की ऊँचाई पर होगा। इन तख्तों के केन्द्र अन्तिम रेखाओं से 20 सेण्टीमीटर की दूरी पर बनाये जायेंगे। छल्ले (Frings) के भीतरी किनारे का निकटतम किन्तु पिछले तख्ते के समान के भाग से 15 सेण्टीमीटर दूर होगा।
बास्केट (Basket)— बास्केट सफेद डोरी के जाल की बनी होगी, जो लोहे के छल्ले से लटक रही होगी। इन छल्लों का भीतरी व्यास 45 सेण्टीमीटर होगा और उन पर काला रोगन होगा। इसकी फर्श से ऊँचाई 3-05 मीटर होगी।
बाल या गेंद (Ball) - बाल गोलाकार होगी तथा इसकी परिधि 75 सेण्टीमीटर से कम तथा 78 सेण्टीमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। बाल का औसत भार 600 ग्राम से कम तथा 650 ग्राम से अधिक नहीं होगा।
खेल की अवधि (Duration of the Game ) — प्रत्येक खेल के 20-20 मिनट के दो भाग होंगे, जिनके मध्य 10 मिनट का अवकाश तथा अन्तराल रहेगा।
खेल का आरम्भ (Starting of the Game ) — खेल का प्रारम्भ रेफरी द्वारा किया जायेगा, जो गेंद को मध्यवृत्त में दो परस्पर विरोधी खिलाड़ियों के मध्य ऊपर की ओर उछालेगा। दूसरे भाग में तथा प्रत्येक अतिरिक्त अवधि में भी इस विधि का पालन किया जाएगा। रेफरी की उछाल के बाद गेंद पहले भूमि पर टप्पा खाएगी तभी वृत्त में खड़े सभी खिलाड़ी उसे हाथ लगाएँगे तथा खेल प्रारम्भ हो जाएगा।
बास्केटबॉल के नियम (Ruls of Basket Ball)
(1) गेंद खेल के भाग के आरम्भ में अथवा केन्द्र रोक वृत्त के पास अथवा अन्दर होने वाले हैण्डबाल के पश्चात् मध्य वृत्त में रखा जाएगा। रेफरी जब खेल आरम्भ कर देता है तो गेंद हाथ से खेली जाती है। गेंद एक खिलाड़ी फेंककर दूसरे खिलाड़ी को देता है अथवा हाथ से थपकी देते हुए आगे ले जाता है और छल्ले में डालने का प्रयास करता है। गेंद को हाथ में लेकर दौड़ने की मनाही होती है।
(2) जब गेंद किसी टीम के पास जाए तो 20 सेकण्ड के अन्दर गोल करने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा न करना नियम का उल्लंघन माना जाएगा तथा खेल दूसरी टीम द्वारा साइड थ्रो द्वारा चालू किया जाएगा।
(3) मैदान से गोल होने के बाद विपक्षी टीम का कोई खिलाड़ी खेल के लिए गेंद फेंकेगा। जिस क्षेत्र में गोल हुआ, उसके अन्तरेखा के बाहर किसी भी स्थान से यह गेंद फेंकी जा सकती है।
(4) गेंद के मैदान से बाहर चले जाने पर अधिकारी यह निश्चित करेगा कि कौन-सी टीम बाउण्डरी के बाहर से खेल के लिए गेंद फेंकेगी।
बास्केटबॉल फाउल (Foul)
निम्नलिखित अवस्थाओं में फाउल माना जाएगा-
(1) कोई भी खिलाड़ी भुजाओं अथवा कन्धा फैलाकर या गलत ढंग से विपक्षी खिलाड़ी को रोकेगा, उसे धक्का देगा तथा उससे टकराएगा या उसकी प्रगति को रोकेगा, उसे अपने किसी भी विपक्षी को हाथ से नहीं छूना चाहिए।
(2) गेंद को थपकी देने वाले, पिच देते समय न तो विपक्षी से टकराना चाहिए तथा न ही उसे छूना चाहिए, उसे दो विपक्षी खिलाड़ियों के मध्य अथवा विपक्षी तथा बाउण्डरी के मध्य गेंद को थपकी देने का प्रयास नहीं करना चाहिए, जब एक जगह इतनी कम न हो कि बिना विपक्षी को छुए उसे वहाँ से निकलने का पर्याप्त अवसर नहीं होता ।
(3) यदि स्पर्श हो जाए तो उत्तरदायित्व उस खिलाड़ी पर अधिक होगा जो गेंद को रोकता है तथा गेंद खेलने का कम प्रयत्न करता है। जिस विपक्षी के हाथ में गेंद न हो उसके पीछे भागना बिना स्पष्ट कारण उसे छूना जान-बूझकर किया गया फाउल माना जाएगा। व्यक्तिगत फाउल - व्यक्तिगत फाउल जब माना जाता है, जब गेंद खेल में हो या बाउण्डरी से बाहर फेंकने के लिए वह किसी खिलाड़ी को दी गई हो तब खिलाड़ी विपक्षी को छू ले या फिर उसके खेल में बाधा डाले आदि ।
डबल फाउल (Double Foul) — डबल फाउल उस समय माना जाता है जब दो प्रतिद्वन्द्वी एक ही समय व्यक्तिगत फाउल करें। इस अवस्था में व्यक्तिगत फाउल दोनों ही के विरुद्ध लिया जाएगा तथा खेल समीप के वृत्त से बॉल को उछालकर प्रारम्भ किया जाएगा।
बहुसंख्यक फाउल (Multiple Foul) - एक विपक्षी के प्रति टीम के दो अथवा अधिक खिलाड़ियों द्वारा एक ही समय में किये जाने वाले फाउल को बहुसंख्यक फाउल कहते हैं। इस अवस्था में प्रत्येक अपराधी खिलाड़ी के विरुद्ध एक फाउल लिखा जाएगा तथा के बदले खिलाड़ी को जिसके प्रति फाउल हुआ है, दो फ्री थ्रो दिये जाएँगे।
तकनीकी फाउल (Technical Foul)- इस प्रकार का फाडल विपक्ष को बिना छुए होता है। अग्रलिखित स्थितियों में तकनीकी फाउल माना जाता है।
(1) अपशब्द अथवा भद्दे आचरण का प्रयोग,
(2) विपक्षी की आँखों के सामने पर्दा करके बाधा उत्पन्न करना, (3) खेल को प्रारम्भ करने में बाधा डालना,
(4) जब खिलाड़ी के विरुद्ध फाउल दिया गया हो तो तुरन्त अपना हाथ न उठाना,
(5) निर्णायक या गणक को सूचना दिए बिना अपना नम्बर बदल देना,
(6) बिना सूचना दिए स्थानापन्न खिलाड़ी के रूप में खेल के मैदान में आना।
उपर्युक्त फाउल यदि जान-बूझकर या चेतावनी देने के बाद किये जाते हैं तो तकनीकी फाउल देकर विपक्षी टीम को दो फ्री थ्रो प्रदान किये जाएँगे।
जान-बूझकर फाउल (Intentional Foul) – जो खिलाड़ी जान-बूझकर गेंद की उपेक्षा करके गेंद वाले विपक्षी खिलाड़ी के शरीर को छूता है, वह जान-बूझकर फाउल करता है। ऐसे खिलाड़ी को खेल के अयोग्य ठहराया जा सकता है तथा उसे खेल से निकाला भी जा सकता है।
पाँच फाउल (Five Foul) - एक खिलाड़ी के जब पाँच फाउल व्यक्तिगत अथवा तकनीकी हो जाएँ तो उसे स्वतः ही खेल से बाहर आ जाना चाहिए और उसका स्थान स्थानापन्न खिलाड़ी को दे दिया जाता है।
फ्री थ्रो (Free Throw ) — फ्री थ्रो वह छूट है जो किसी खिलाड़ी को थ्रो लाइन के ठीक पीछे से बिना रोक-टोक के गोल करने के लिए दी जाती है। गोल हो जाने पर इसका एक अंक मिलता है तथा गेंद खिलाड़ी को पाँच सेकण्ड के अन्दर ही फेंकनी पड़ती है।
गणना (Scoring ) करना
(1) जब गेंद ऊपर के बास्केट से प्रवेश करके वहीं रुक जाए या नीचे आकर गिर जाए तो गोल माना जाता है।
(2) मैदान से किये गये गोल के दो अंक तथा फ्री थ्रो से किये गये गोल का एक अंक प्राप्त होता है।
टाइम आउट (Time Out ) —— टाइम आउट तभी माँगा जा सकता है जबकि गेंद डैड हो तथा अधिकारी के निम्नलिखित संकेतों के देने पर खेल घड़ी रोक दी गई हो-
(1) फाउल,
(2) जम्प बाल,
(3) चोट लगने के कारण या रेफरी द्वारा आदेश पर किसी खिलाड़ी को हटाने के कारण खेल का रुक जाना,
(4) डैड बाल को खेल में लाने में असाधारण विलम्ब,
(5) अधिकारी द्वारा खेल रोकने का आदेश,
(6) 60 सेकण्ड संकेत की आवाज।
खेल के प्रत्येक अर्ध- भाग में एक टीम को दो बार टाइम आउट दिया जाएगा। जिस टाइम आउट का उपयोग नहीं किया गया है, उसे दूसरे अर्ध-भाग में नहीं दिया जाएगा। इसका एक मिनट का समय होता है और खिलाड़ी बदलने के लिए 20 सेकण्ड होता है।
डैड बाल (Dead Ball) - बाल निम्नलिखित स्थिति में डैड हो जाता है—
(1) जब गोल हो जाता है।
(2) जब डैड बाल हो जाता है।
(3) खेलते समय जब अधिकारी की सीटी बज जाती है।
(4) जब समय समाप्त हो है।
(5) जब कोई फाउल हो जाता है।
हेल्ड बाल (Held Ball) - हेल्ड बाल तब घोषित की जाती है जो विरोधी टीमों के दो खिलाड़ी गेंद को एक या दोनों हाथों से पकड़े हों या जब भली-भाँति सुरक्षित खिलाड़ी अपने सामने के मैदान में गेंद को रोके रहे तथा पाँच सेकण्ड के अन्दर गेंद को खेलने के लिए छोड़ने का कोई प्रकट प्रयास न कर रहे हों।
रोकना (Blocking) - ब्लॉकिंग का आशय है किसी ऐसे विपक्षी खिलाड़ी के शरीर को छूकर या पकड़कर उसकी गति को रोकना, जिसके हाथ में गेंद न हो।
पिवट (Pivot)- पिवट उस समय होता है जब कोई खिलाड़ी दो गेंद को पकड़े हुए हैं। ही पैर से किसी भी दिशा में एक से अधिक कदम रखता है। दूसरा पैर पिवट फुट कहलाता है, जो फर्श के सम्पर्क में रहता है।
तीन सेकण्ड नियम (Thrce Second Rule) - गेंद जब किसी टीम के अधिकार में हो या आ जाए तो उस टीम का कोई खिलाड़ी विपक्षी टीम के नियन्त्रित क्षेत्र में तीन सेकण्ड से अधिक नहीं रहेगा। इस नियम का उल्लंघन करने पर विपक्षी टीम को साइड थ्रो दी जाएगी।
बास्केटबॉल खेल का महत्व।
बास्केटबॉल खेल का महत्व विभिन्न पहलुओं से होता है। यह एक स्वास्थ्यवर्धक शारीरिक गतिविधि है जो सामाजिक और मानसिक लाभ भी प्रदान करती है। इससे संघर्ष की क्षमता, सहनशीलता, टीमवर्क, नेतृत्व, और समयबद्धता की अभिवृद्धि होती है। साथ ही, यह आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है और तनाव को कम करने में मदद करता है। इसलिए, बास्केटबॉल एक उपयोगी और मनोरंजक खेल है, जो लोगों को एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।