Sport training B.P.Ed Examination 2017 Paper 2nd years types of micro cycles

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Bachelor of physical education 2017 के Sport training  पेपर में पूछे जाने वाले प्रश्नो के उत्तर निम्नलिखित हैं।


प्रश्न - सूक्ष्म कालचक्र के विषय में विस्तार से बताइए।
उत्तर- सूक्ष्म काल चक्र के प्रकार types of micro cycles प्रशिक्षण के क्षेत्र में यह चर्चा का विषय काफी समय तक चलता रहता है कि सूचना कालचक्र अति सूचना कालचक्र से तैयार किया गया है इसमें धीरे-धीरे स्थिरता तथा सच्चाई स्वाभाविक रूप से ही आ गई सूचना कालचक्र आमतौर पर 3 से 6 महीने का होता है प्रशिक्षण के काल विभाजन की व्यवस्था करने के लिए अनेक प्रकार के सूक्ष्म कालचक्र को व्यवस्थित रूप से तैयार किया जाता है ।
प्रारंभिक सूचना कालचक्र introductory micro-cycle इस सूक्ष्म कालचक्र में सामान्य खेल प्रदर्शन की वापसी पर ध्यान दिया जाता है तथा कम तीव्रता के प्रशिक्षण कार्यक्रम को लागू किया जाता है इसकी अवधि 3 से 4 सप्ताह से लेकर 6 सप्ताह तक होती है।
आधिकारिक सूक्ष्म कालचक्र basic micro-cycle इसकी अवधि 2 से 3 सप्ताह की होती है इसमें कौशलों की योग्यता को सीखने तथा तकनीकों को विकसित करने के प्रदर्शन में घटकों को उपयोग में लिया जाता है इसमें उच्च भार देकर तीव्रता तथा घनत्व को विकसित किया जाता है।
प्रारंभिक तथा नियंत्रित सूक्ष्म कालचक्र preparatory and controlled इस काल में प्रदर्शन के अलग-अलग घटकों को प्रशिक्षण स्थानांतरण के द्वारा विकसित किया जाता है इसमें विशेष परीक्षण को महत्व दिया जाता है प्रतियोगिता में गति को मापने के लिए क्रियाओं को महत्व दिया जाता है।
संपूर्ण सूक्ष्म कालचक्र perfect micro cycle इस अवधि में खिलाड़ी की कमजोरियों को दूर किया जाता है, कौशलों में की गई गलतियों को दूर किया जाता है कौशलों तथा प्राप्त की गई योग्यताओं को अस्थाई रूप से विकसित किया जाता है। इसमें विशेष तौर पर व्यायाम को महत्व दिया जाता है।
प्रतियोगितात्मक सूक्ष्म कालचक्र competitive micro cycle इसमें योग्यता के दौरान कलाओं को विकसित करने के लिए उपयोग में लाया गया कालचक्र है प्रदर्शन का विकास अलग-अलग परिस्थितियों में किया जाता है।
मध्यास्थित सूक्ष्म कालचक्र intermediate micro cycle इस काल अवधी को दो भागों में विभाजित किया जाता है प्रथम काल में प्रतियोगिताओं में कमजोरियों को दूर करना तथा प्रतियोगिता के बाद प्रदर्शन में सुधार करना इसमें कठिन नामो को भी महत्व दिया जाता है दूसरे कालचक्र में लंबी अवधि की प्रतियोगिताओं के काल प्रदर्शन की वापसी तथा स्थिरता को ध्यान में रखा जाता है इसमें अधिभार को भी कम किया जाता है।
प्रतियोगिता पूर्व सूक्ष्म कालचक्र Pre competitive micro cycle प्रतियोगिता से पूर्व प्रदर्शन के सभी घटकों को विकसित किया जाता है इसमें घटकों में स्थिरता भी लाई जाती है इसमें मुख्य कार्यक्रम के अंतर्गत प्रारंभिक परिणामों की संख्या तथा आधारिक एवं प्रारंभिक सूक्ष्म कालचक्र में प्रदर्शन की अच्छी संभावनाओं को आधार बनाया जाता है।

प्रश्न- प्रशिक्षण काल में प्रारंभिक चक्र को समझाइए।
उत्तर- प्रारंभिक काल(Preparatory period) प्रशिक्षण काल में आमतौर पर या सबसे लंबा कॉल होता है सन 1987 में बर्गर एवं मिनो (Berger and Minow) ने प्रशिक्षण चक्र की संपूर्ण अवधि के 2/3 से 3/4 तक का समय प्रारंभिक काल के लिए निर्धारित किया है।
यह काल खिलाड़ियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है इस काल में खिलाड़ियों की शारीरिक अनुकूलता के विकास के साथ-साथ खेल कौशलों को भी विकसित किया जाता है शारीरिक क्षमता के तत्व, गति, शक्ति, बल, सहनशीलता, लचीलापन, स्वसन व रक्ताभिसरण क्षमता के ऊपर विशेष ध्यान दिया जाता है। वैज्ञानिक तकनीकों द्वारा खिलाड़ियों के कौशलों का विकास किया जाता है। तथा उनमें परिपक्वता लाई जाती है। इस काल में खिलाड़ी की आदतों उत्साह सहयोग अनुशासन तथा चरित्र का विकास किया जाता है। इस काल में सुविधाओं साधनों तथा साहित्य पर विशेष ध्यान दिया जाता है प्रतियोगिता काल के लिए खिलाड़ियों को परिपूर्ण बनाया जाता है।
आमतौर पर प्रारंभिक काल को दो या तीन परिस्थितियों में विभक्त किया जाता है। परंतु यह प्रशिक्षण की कुल अवधि पर निर्धारित किया जाता है। प्रशिक्षण काल की निम्नलिखित तीन परिस्थितियां हैं।
परिस्थिति एक (Phase 1) इस परिस्थिति के तीन मुख्य उद्देश्य हैं।
इसमें पहले प्राप्त किए गए प्रशिक्षण को फिर से प्राप्त करना खिलाड़ी को अनुकूलता द्वारा अगले पर स्थित में दिए जाने वाला प्रशिक्षण बाहर तथा काल के लिए तैयार करना इस पर स्थित में प्रतियोगिताओं को अर्जित करना चाहिए।
इस काल में खिलाड़ी की सामान्य गामक योग्यता का विकास किया जाता है।
परिस्थिति दो (Phase 2) प्रारंभिक काल की दूसरी स्थिति में खिलाड़ियों के उन घटकों का विकास किया जाता है जिन पर प्रदर्शन सीधे तौर पर आश्रित हो। सामान्य व्यायाम के साथ-साथ विशेष व्यायाम को भी शुरू किया जाता है।
खिलाड़ी की सामान्य योग्यता के विकास के साथ-साथ विशेष गामक की योग्यता का भी विकास किया जाता है।
गामक योग्यताएं जो कि प्रदर्शन के लिए आवश्यक ना हो उन पर अधिक बल नहीं दिया जाता है इसका सामान्य रूप से ही रखरखाव किया जाता है।
इसमें प्रशिक्षण के तकनीक सिखाने एवं उनमें तीव्रता लाने तक ही सीमित होते हैं।
परिस्थिति तीन (Phase 3) प्रारंभिक काल की यह तीसरी एवं अंतिम स्थित है। इसका उद्देश्य खिलाड़ी को प्रतियोगिता के लिए तैयार करना है। इसमें प्रदर्शन को अलग से विकसित करने के लिए दबाव नहीं डाला जाता है। इसमें सभी तकनीक को एवं युक्तयों को एक साथ विकसित करने का प्रयास किया जाता है।
 इसमें उन्हें गामक योग्यताओं को विकसित किया जाता है जिसका प्रतियोगिता से सीधा संबंध होता है इसमें गामक योग्यताओं को विकसित करने के लिए प्रति योगात्मक व्यायाम को उपयोग में लाया जाता है। इसमें तकनीकों को परिपक्व किया जाता है। इसमें नए कौशलों को नहीं सिखाया जाता है। इसमें उन सभी युक्तियों को सिखाया जाता है जिनका उपयोग प्रतियोगिता में किया जाता है।

प्रश्न - प्रशिक्षण काल में प्रतियोगिता चक्र तथा संक्रांति चक्र को समझाइए।
उत्तर - प्रतियोगितात्मक काल का उद्देश्य है की प्रशिक्षण में उच्चतम प्रदर्शन एवं लंबे समय के लिए उसका रखरखाव करना इसमें सामान्य एवं विशेष गामक योग्यताओं को प्रतियोगितात्मक क्रियाओं में परिवर्तित करना होता है प्रतियोगिता के लिए उच्चतम विशेष व्यायामो को उपयोग में लाया जाता है। प्रतियोगिता गामक परिस्थितियों में तकनीकों को अच्छी तरह से उपयोग में लाना प्रशिक्षण का यह काल खिलाड़ियों को प्रतियोगिता में भाग लेने के योग्य बनाता है खिलाड़ी को कौशलों का नियमित रूप से अभ्यास करवाया जाता है। खिलाड़ियों की कमजोरियों तथा गलतियों को दूर करने के लिए मैत्री प्रतियोगिताओं में खेलने के लिए दलों को भेजा जाता है इन स्पर्धाओं में कमजोरियों तथा गलतियों को देखकर खिलाड़ियों को कमजोरियां तथा गलतियां बताई जाती है। उन्हें दूर करने के उपायों को प्रयोग में लाया जाता है इस काल में खिलाड़ियों में खेल का अनुभव उत्साह गति तथा तकनीकों का विकास किया जाता है नियमों का ज्ञान खेलों के संकेतों तथा नवीन खेल नियमों का ज्ञान खिलाड़ियों को दिया जाता है इस काल में खेल में सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है इस काल में खिलाड़ियों को खेल के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए खेल के उद्देश्य को अपनाते हुए आगे बढ़ाना होता है।

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