Kinesiology and Biomechanics B.P.ED examination 2017 model paper

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 Bachelor of physical education में 2017 के Kinesiology and Biomechanics पेपर में पूछे जाने वाले प्रश्नो के उत्तर निम्नलिखित हैं।


प्रश्न- पेशीय गति विज्ञान तथा खेल जैव - यांत्रिकी विज्ञान का शारीरिक शिक्षा के शिक्षक, एथलीट और खेल प्रशिक्षक के लिए महत्व स्पष्ट कीजिए। Clarify the importance of kinesiology and sport biomechanics to physical education teacher athletes and sport coaches.
उत्तर- पेशीय गति विज्ञान और जैव - यांत्रिकी विज्ञान खेल शिक्षकों शिक्षकों एवं वैज्ञानिकों के लिए अनिवार्य एवं महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके आधार पर खेल प्रदर्शन को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है शारीरिक शिक्षा एवं खेलों में इसका निम्नलिखित महत्व है-
[1] प्रदर्शन में सुधार( improvement in performance) खिलाड़ी की प्रदर्शन अनेक बातों पर निर्भर करता है यथा संतुलित आहार, नियोजित, प्रशिक्षण, मनोवैज्ञानिक प्रभाव, उचित तकनीकी ज्ञान, आदि लेकिन प्रदर्शन में सुधार हेतु यांत्रिकी विज्ञान को अत्यंत प्रभावी माना जाता है। यदि खिलाड़ी या प्रशिक्षक को प्राणी गतिकी विज्ञान के विषय और सिद्धांतों का ज्ञान हो तथा उनका प्रयोग वह अपने खेल में करता है तो वाह श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकता है इस विज्ञान के नियमों तथा सिद्धांतों का उपयोग लगभग सभी खेलों में किया जाता है। जैसे अन्य खेलों में स्थिरता की जरूरत होती है कुश्ती जिमनास्टिक,भारोत्तोलन में उत्तोलक(lever) के सिद्धांतों का प्रयोग खिलाड़ी अपने प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए करता है। गेंद या वस्तु पर वायु प्रतिरोध लग रहा है तो उसका क्या प्रभाव होगा इसकी जानकारी खिलाड़ी एवं प्रशिक्षक को प्राणी यांत्रिकी अभिज्ञान द्वारा ही प्राप्त होता है और किसी एक कौशल को करने में मांस पेशी हड्डियों के जोड़ मांस पेशी क्रिया आदि प्रयोग के संबंध में प्राणी गतिकी विज्ञान द्वारा ही ज्ञान होता है।
[2] खेलों के उपकरणों में सुधार (To improve sports equipments) प्राणी यांत्रिकी विज्ञान की सहायता द्वारा खेलों के उपकरणों में सुधार होता है जैसे pole valt में fibre glass का pol , तैराकी में स्विमसूट आदि। खेलने के लिए विशेष प्रकार के जूतों का निर्माण किया जाता है जिससे खिलाड़ी प्लेट के ऊपर दौड़ कर खिलाड़ी के पैर पर दबाव बिंदु ज्ञात कर उसके जूते की बनावट और रूप तैयार किया जाता है। खेल वाले जूते के तल में रबर, किले लगाकर घर्षण में वृद्धि की जाती है घर्षण के कारण खिलाड़ी तीव्र गति तथा अपना शरीर संतुलन बनाए रखता है।
[3] खेलों की विशिष्ट कलाओं में सुधार (improvement of sport techniques)इन विज्ञान के द्वारा हम खेलों की विशेष कलाओं को सुधार करते हैं प्रथम ओलंपिक खेलों में खिलाड़ी 100 मीटर दौड़ खड़े-खड़े ही शुरु करता था।लेकिन वर्तमान में क्राउच स्थित से शुरू करते हैं। खिलाड़ी झुक कर या बैठकर अपनी दौड़ का स्टार्ट अलग-अलग तकनीकी द्वारा कर लेता है। जैसे मीडियम स्टार्ट, बुलेट स्टार्ट, बंच स्टार्ट आदि। ये स्टार्ट की तरीके खिलाड़ी की हाथ पैर की लंबाई के आधार पर ही चुने जाते हैं। ऊंची कूद में पुराने समय में कैंची कला का प्रयोग किया जाता था। किंतु अब नवीन तकनीकी फोज वरी फ्लोप का प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार वालीबाल में पूर्व में तीन सर्विस दी जाती थी अब इन विज्ञानों के आधार पर फ्लोटिंग सर्विस दी जाती है।
[4] खेलों में सुधार उपकरणों का निर्माण (To design safely equipments) खिलाड़ी जब मैदान में खेलता है तो उसके मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक भय बना रहता है। कि उसे चोट ना लग जाए इस भाई को यांत्रिकी विज्ञान के नए नए उपकरण बनाकर समाप्त किया जाता है जैसे फुटबॉल के लिए सपोर्टर, सिन गार्ड , क्रेब बैंडेज, क्रिकेटर में हेलमेट पेड, एल्बो गार्ड, विकेट कीपिंग ग्लव्स, भारोत्तोलन में कमर की बेल्ट कबड्डी खो-खो में एंकलेट, नी कैप आदि। अनेक उपकरण प्रयुक्त किए जाते हैं कि जब बाल या कोई प्रहार इन पर होता है तो उसके दबाव का क्षेत्रफल बढ़ जाता है। या फैल जाता है। जिससे चोट नहीं लगती। उदाहरण के लिए क्रिकेट में बैटिंग ब्लॉक, विकेट कीपिंग ग्लव्स, बॉक्सिंग में बॉक्सर के दस्ताने आदि। खेलों में जूते इस प्रकार तैयार किए जाते हैं जिससे जूते के सोल का सबसे निचला भाग काले रंग का होता है जोकि कार्बन होता है जब खिलाड़ी दौड़ता है तो घर्षण द्वारा जो गर्मी उत्पन्न होती है उसे कार्बन वही रोक लेता है।
[5] खेल में चोटों से बचाव (preventing of sport injuries) खेल जानता कि विज्ञान के नियम सिद्धांत पर आधारित खिलाड़ी नित नवीन तकनीकी को अपनाकर अपने खेल में बढ़िया कौशल का प्रदर्शन करता है। इन वैज्ञानिक नियमों पर आधारित तकनीकों द्वारा खिलाड़ियों का चोटों से बचाव होता है। जैसे क्रिकेटर में कैच लेते समय खिलाड़ी अपना हाथ उस दिशा में खींचता है। जिस दिशा में बाल जा रही हो खिलाड़ी ऊंचे स्थान से नीचे कूदते समय अपने बल को स्थान पर नियंत्रित कर लेता है। जिससे उसे चोट कम लगती है। कहने का अर्थ यह है कि वह पूरे बल को पैरों पर ना लाकर शरीर के विभिन्न भागों पर वितरित कर देता है भूमि पर आते ही वह लुढ़क ने लगता है। इस प्रकार खिलाड़ी के लौड़ा करने से दबाव के साथ-साथ संवेग भी कम हो जाता है।
[6] प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले कारणों का अध्ययन (Study those factor which effects the sports performance) विज्ञानों द्वारा हमें उन कारणों की जानकारी होती है जो खिलाड़ी के प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं अतः उपकरणों का समाधान खोज कर खिलाड़ी के अच्छे प्रदर्शन में सहायता की जाती है उदाहरण के लिए भाला फेंक स्पर्धा में भले को किस मोड़ पर फेंका जाए ताकि यह अधिकाधिक दूरी तय करें। कोण के अतिरिक्त भी कई कारण हैं जो खिलाड़ी के प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं। जैसे वायु का प्रतिरोध, वायु की दिशा, आरंभिक तथा अंतिम वेग, वस्तु पर लगा बल, वस्तु का आकार बनावट आदि।
[7] खेलों के प्रदर्शन का मूल्यांकन (evolution of sport performance) इन विज्ञानों द्वारा खिलाड़ी के खेल प्रदर्शन से संबंधित तत्व का संख्यात्मक मूल्यांकन भी प्राप्त किया जा सकता है, जैसे- वस्तु की गति क्या है। उस पर कितना बल लग रहा है। वह कितने गुण से प्रक्षेपित किया जा रहा है यदि बातों का बोध होता है और इसके आधार पर इसमें सुधार करके खिलाड़ी के प्रदर्शन को श्रेष्ठ बनाया जाता है।
[8] शोध(Research) इस विज्ञान की सहायता द्वारा शारीरिक शिक्षा एवं खेल में नवीन शोध विषयों का चुनाव कर उनकी खोज संभव है। जैसे एथलेटिक्स में धावक घड़ी के विपरीत ही दौड़ सकता है भाला फेंक स्पर्धा में प्रक्षेपण का कोण 45 अंश होता है तो क्या शेष प्रक्षेपण स्पर्धाओं में यही कोण होता है हाई एल्टीट्यूड समुद्र तल से 1,200 मीटर ऊंचे स्थान पर खिलाड़ी का प्रदर्शन क्यों प्रभावित होता है।

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