Sport Management B.P.ED 2nd year Examination 2017 model paper

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 B.P.ED 2nd year examination 2017 paper









Bachelor of physical education 2017 के परीक्षा में पूछे गए प्रश्न निम्नलिखित है।


प्रश्न- खेल प्रबंधन की अवधारणा तथा प्रकृति स्पष्ट कीजिए?
उत्तर- खेल का समस्त मानव जाति में विशेष महत्व है जो व्यक्ति किसी काम को करते समय थकान उदासीन भाव तथा उसका मन उस काम के प्रति हटने लगता है तो खेल उस व्यक्ति में फिर से आनंद जोश मनोरंजन तथा उत्साह प्रदान करने का काम ही खेल करता है खेल शब्द अत्यंत व्यापक है इसमें अनेक क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है जो शतरंज से लेकर फुटबॉल हांकी तथा पर्वतारोहण तक फैला है। विभिन्न खेलकूद क्रियाओं को खुले मैदानों में आयोजित किया जाता है तो कुछ खेल ऐसे भी हैं जिन्हें बंद कमरों अथवा कक्षाओं में आयोजित किया जाता है इन खेलकूद क्रियाओं का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को स्वस्थ रखना तथा उनका मनोरंजन करना है साथ ही उसे प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है ।
आधुनिक समय में मनुष्य का जीवन अत्यंत दुष्कर हुआ है। आज वाह केवल एक प्रतियोगी बनकर रह गया है हर समय उसे अपने विरोधियों को परास्त करने के लिए तैयार रहना पड़ता है देखा जाए तो यह हर समय की तैयारी ही उसके विकास का मुख्य कारण है इससे मनुष्य में कई कोशलू एवं योग्यताओं का सृजन होता है दूसरी ओर इसके दुष्परिणाम भी सामने आए हैं यथा तनाव द्वेष भावना परस्पर मनमुटाव विवाद तथा उनकी भावना आदि खेल मनुष्य के अतिरिक्त समय का उपयोग एवं उसकी उग्रता को कुशलता में परिवर्तित करते हैं यही कारण खेल को जीवन का विभिन्न अंग बनाता है अतः खेलों से पर्याप्त लाभ प्राप्त हो सके इसके लिए खेलों का उचित प्रबंधन आवश्यक है।
प्रबंधन की अवधारणा प्रत्येक संगठन पर लागू होती है चाहे वह संगठन छोटी हो या बड़ा लाभकारी हो या हानिकारक अथवा निर्माण एवं सेवा उद्योग क्षेत्र का संगठन हो उसे प्रबंध की अवधारणा से अलग नहीं किया जा सकता है लेकिन शारीरिक शिक्षा में प्रबंधन का तात्पर्य खेल और शारीरिक शिक्षा में महत्व से है प्रबंध एक  महत्वपूर्ण साधन एवं विषय के रूप में कार्य करने का प्रयत्न करता है प्रबंधन का विषय किसी विद्यालय महाविद्यालय विश्वविद्यालय एवं विभिन्न प्रकार के संघों की व्यवस्था को सुचारू रूप से क्रियान्वित करने का कार्य करना है प्रबंधन तंत्र के उद्देश्यों या अधिकारियों का उस कार्य को ईमानदारी से करने का दायित्व होता है ।

प्रश्न - नेतृत्व का अर्थ समझाइए एवं नेतृत्व के विभिन्न गुणों तथा महत्व का वर्णन कीजिए ?
उत्तर - किसी भी संस्था को चलाने के लिए एक प्रभावशाली नेतृत्व का होना अति आवश्यक है कोई भी संस्था तभी संगठित होकर सुसंचालित हो सकती है जब उसे कुशल नेतृत्व प्राप्त हो शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार संस्था में प्रबंध का प्रथम और सर्वाधिक महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व संस्था को कुशल नेतृत्व प्रदान करना ही है अतः कहा जा सकता है नेतृत्व एक ऐसी मानवीय विशेषता है जो नेतृत्वकर्ता की दृष्टि को व्यापक बना देती है और उसके निष्पादन स्तर को ऊंचा बनाने में सहायक होती है साथ ही उसके व्यक्तित्व को सामान्य सीमाओं से परे कर देती है।
शारीरिक शिक्षा में नेतृत्व का महत्वपूर्ण स्थान है शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों को तभी से संचालित किया जा सकता है जब शारीरिक शिक्षा को कुशल नेतृत्व प्रदान हो।

प्रश्न - बजट से आप क्या समझते हैं शारीरिक शिक्षा में बजट निर्माण के विविध चरणों को लिखिए ?
उत्तर- किसी भी संस्था विद्यालय तथा अन्य क्षेत्रों को सुचारू रूप से चलाने एवं विकास के लिए अर्थ की आवश्यकता होती है अर्थ ही विभिन्न क्षेत्रों का आधार स्तंभ है तथा संस्था की आयु के अनुसार व्यय करने के लेखे जोखे को ही बजट कहा जाता है शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों में ही नहीं बल्कि किसी भी कार्यक्रम को संपन्न कराने के लिए बजट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
'बजट' शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा के Bougette (बजेट) शब्द से हुई है जिसका अर्थ एक छोटे पहले से है जिस प्रकार इस 'छोटे थैले' में ही विभिन्न क्षेत्रों के विकासात्मक कार्य बजट के माध्यम से संपन्न किए जाते हैं ।
वास्तव में "बजट विभिन्न क्षेत्रों की मास्टर वित्तीय योजना है" बजट वह दस्तावेज है जिसमें विद्यालय की संपूर्ण आय एवम व्यय का ब्यौरा दर्ज किया जाता है। विद्यालय का संपूर्ण विकास बजट पर ही निर्भर करता है बजट के अनुसार पिछले वर्षों के आंकड़ों के आधार पर तैयार किए जाते हैं।
बजट किसी भी संस्था अथवा शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद क्रियाओं के वित्तीय प्रबंध का अत्यंत महत्वपूर्ण उपकरण है और संस्था प्रबंधन का केंद्र बिंदु होता है इसके महत्व के विषय में जितना कहा जाए कम होगा इसके माध्यम से प्रस्तावित व्यय को संभावित आय के अनुसार समायोजित किया जाता है। यह एक ऐसा आधार है इसके जिसके अभाव में संस्था एवं शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद क्रियाओं के संवर्धन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। 

प्रश्न- मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए उसके सिद्धांत हुआ क्षेत्र बताएं?
उत्तर- प्राचीन साहित्य के माध्यम से ऐसा पता लगता है कि मनुष्य अपनी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर एवं उसी की व्यवहारिक रूप में पूर्ति के लिए मापन एवं मूल्यांकन का एक माध्यम के रूप में प्रयोग करता था खाद्यान्नों का आदान प्रदान एवं स्वर्ण निर्माण वस्तुओं आदि क्रियाओं को मापन मूल्यांकन के आधार पर संपन्न किया जाता था धीरे-धीरे आदिमानव जरूरी और शब्दों की पूर्ति से ऊपर उठकर शिल्प कला संबंधी कार्यों जैसे मूर्ति रचना मानव आकार संबंधी कला प्रतियों के निर्माण कार्यों को सही एवं अनुपातिक ढंग से प्रस्तुत करने के लिए मापन मूल्यांकन का प्रयोग द्वितीय चरण में करता था शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों का मूल्यांकन भी इस प्रक्रिया की कड़ी है शारीरिक शिक्षा के द्वारा छात्रों के शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक क्षेत्र में किन गुणों का विकास किस मात्रा में हुआ है इसका पता लगाना मूल्यांकन है मूल्यांकन द्वारा छात्र की ग्रहण शक्ति का भी माफ हो सकता है मूल्यांकन द्वारा पाठ्यक्रम की शिक्षण विधियां साधनो एवं उपकरणों व्यवसायिक क्रियाओं तथा अन्य बातों का छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ा इसका भी सही अनुक्रम लगाया जा सकता है।
हम यह जानने को उत्सुक रहते हैं कि विद्यार्थी को शारीरिक शिक्षा से कितना लाभ मिला और इसके लिए कौन-कौन सी क्रियाएं सहयोगी रहे प्रक्रिया का अर्थ यह है कि इस जांच में हमने यह निष्कर्ष निकाला है लक्ष्य क प्राप्ति के लिये हमने क्या कार्य किए तथा कितनी प्रगति हुई इस प्रकार के मूल्यांकन में शारीरिक शिक्षा की भावी रूपरेखा सुनिश्चित करने में बहुत मदद मिलती है या मूल्यांकन की प्रक्रिया एवं वर्ष के लिए ही नहीं है इसे लगातार चलते रहना चाहिए।

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