भार प्रशिक्षण का अर्थ एवं परिभाषा, भार प्रशिक्षण में तीव्रता,तकनीकी प्रशिक्षण क्या है।

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प्रशिक्षण भार का अर्थ
(Meaning of training Load)

खेल प्रशिक्षण (Sport Training) में प्रशिक्षण भार का केंद्रीय कल्पना के रूप में कार्य करता है तथा खेल प्रदर्शन को उत्तम बनाने में मदद करता है खेल प्रदर्शन को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण भार को बढ़ाना पड़ता है प्रशिक्षण भर में स्थिरता का मतलब है खिलाड़ी के प्रदर्शन में स्थिरता होना।
प्रशिक्षण भार मनोवैज्ञानिक तथा शरीर क्रिया विज्ञान के मांग है, तथा इसके साथ ही प्रदर्शन को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण भार की हलचलो को बनाए रखना पड़ता है। प्रशिक्षण भार (Ttraining Load)को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है।

(1) बाह्य भार (External load) - 

खिलाड़ी के द्वारा किया गया कार्य बाह्य भार कहलाता है। बाह्य भार में एक धावक द्वारा कुल दूरी की दौड़ को पूरा करना है बाह्य भार में क्रिया की कुल अवधि को भी गिना जाता है।

(2) आंतरिक भार (Internal load)- 

खिलाड़ी के बाह्य भार के मनोवैज्ञानिक तथा शरीर क्रिया विज्ञान के प्रतिक्रिया का अंश आंतरिक भार कहलाता है। आंतरिक भाग को नाड़ी की गति से मापा जाता है थकान के अलग-अलग विभिन्न घटकों से भी आंतरिक भार को मापा जाता है आंतरिक तथा आभार आपस में एक दूसरे पर निर्भर करते हैं बार-बार आंतरिक भारत का ही एक कारण है।

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भार प्रशिक्षण का अर्थ एवं परिभाषा, भार प्रशिक्षण में तीव्रता,तकनीकी प्रशिक्षण क्या है।

भार प्रशिक्षण की परिभाषा
(Definition of training load)

भार प्रशिक्षण एक शारीरिक शिक्षा प्रक्रिया है जिसमें व्यायाम, वजन उठाना, योग, अस्थायी और स्थायी संवेदनशीलता के अभ्यास और अन्य तार्किक गतिविधियों का आदान-प्रदान किया जाता है। इस प्रकार की प्रशिक्षण प्रमुखतः शारीरिक तंदुरुस्ती, शक्ति, स्थायित्व, लचीलापन, समय-व्यवस्था, ऊर्जा उत्पादन, सुसंगत मांसपेशियों का विकास और मनोवैज्ञानिक लाभ को प्रोत्साहित करने के लिए किया जाता है।

भार प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य शारीरिक स्थायित्व का विकास, मांसपेशियों की मजबूती, वजन नियंत्रण, आरामदायक और स्वस्थ जीवनशैली को स्थापित करना और मानसिक तनाव कम करना है। इसे एक योग्य प्रशिक्षक के निर्देशन में सम्पन्न किया जाता है, जो व्यायाम तकनीकों, सुरक्षा मार्गदर्शन और सही तरीकों का ज्ञान रखता है।
भार प्रशिक्षण के अंतर्गत अलग-अलग उपक्रम शामिल हो सकते हैं जैसे कि बारबेल एक्सरसाइज, दंड व्यायाम, वजन उठाना, योगाभ्यास, खुदरा संयम, गतिशीलता प्रशिक्षण, कार्डियोवास्कुलर व्यायाम आदि। इन उपक्रमों का सही रूप से अभ्यास करने से शारीरिक क्षमता, स्थायित्व, मांसपेशियों की मजबूती, शरीर की आक्रमण रोकने की क्षमता और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

यद्यपि भार प्रशिक्षण खिलाड़ियों, खेलों और शारीरिक संगठनों के लिए मुख्य रूप से प्रयोग होता है, लेकिन यह आमतौर पर लोगों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है जो स्वस्थ जीवनशैली बनाना, शारीरिक रूप से तंदुरुस्त रहना और मानसिक तनाव को कम करना चाहते हैं।

"खिलाड़ियों में अच्छा प्रदर्शन को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण भार (Training load) मनोवैज्ञानिक तथा शारीरिक क्रिया विज्ञान की मांग की पूर्ति करता है।"

भार प्रशिक्षण के प्रकार।
(Types of training load)

 प्रशिक्षण भार को निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया गया है जो इस प्रकार (1) सामान्य भार Normal load, (2) शिखर भार Crest load, (3) अधिक भार Over load है ।

(1) सामान्य भार (Normal load) - 

शारीरिक क्रियाओं को करते समय मांसपेशियों को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है यदि शरीर को कोई किया करते समय ऑक्सीजन पूर्ण मात्रा में बिना किसी रूकावट के उपलब्ध होती है और मांसपेशियों की आवश्यकता पूरी होती रहती है तो इसको साधारण भार का नाम लिया जाता है। सामान्य भार के समय थकान के लक्ष्मण निम्नलिखित दिखाई देते हैं। जैसे चमड़ी का रंग थोड़ा लाल दिखाई देना, तापमान के अनुसार थोड़ा-थोड़ा पसीना आना, सीखने के स्तर के अनुसार अच्छा विश्वास होना, लगातार प्रशिक्षण के लिए तैयार रहना, खिलाड़ी समूह में आनंद प्राप्त करता है, खिलाड़ी की क्रियाओं को रोकने की क्षमता क्षीण नहीं होना, प्रदर्शन के लिए सदैव तैयार रहना।

(2) शिखर भार (Crest load) -

जब किसी क्रिया में शरीर द्वारा की गई कसरत के परिणाम स्वरुप ऑक्सीजन का प्रयोग उसकी प्राप्ति के अनुसार पूरा - पूरा हो और अपने अन्य अंगों से ऑक्सीजन किसी भी प्रकार उधार न ली जाए तो यह शिखर भार कहलाता है शिखर भारत में ऑक्सीजन की पूर्ति (Supply) शरीर के कार्य के बिल्कुल सामान्य होती है।
शिखर भार के समय थकान की निम्नलिखित विशेषताएं दिखाई देती है जैसे कि शरीर की चमड़ी का रंग पूरी तरह से लाल दिखाई देना, शरीर पर कूल्हों के ऊपर अधिक पसीना आने लगना, आत्मविश्वास खून लगता है, गलतियां शुरू हो जाती हैं, क्रिया करते समय सही ढंग से मांसपेशयों का संचालन नहीं होता है, एकाग्रता कम होती है, मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है, सांस लेने में कठिनाई होती है, कौशल के प्रदर्शन में कमी आने लगती है, काफी समय तक प्रदर्शन स्थिर रहता है और द्वितीय दिवस के प्रशिक्षण के लिए आनंद पूर्वक तैयार रहना।

(3) अधिक भार (Over load) - 

अधिक भार से अभिप्राय है कि जब शरीर में ऑक्सीजन की आवश्यकता बढ़ जाती है और प्राप्त होने वाली ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है ऐसी अवस्था में शरीर दूसरे अंगों से ऑक्सीजन उधार ले लेता है जिस प्रकार क्रियाओं में वृद्धि हो ती है इसके साथ ही ऑक्सीजन के (Oxygen debt) की वृद्धि होती है। इस व्यवस्था को अधिक भार (over load) कहा जाता है व्यायाम के बाद इस उधार को चुकाने के लिए काफी समय तक स्वास काफी तेज से चलती है।

शारीरिक क्रियाएं करते समय इसका ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है यदि किसी कौशल (Skill) को सीखने के लिए एक साधारण भार की आवश्यकता होती है तो उसका प्रशिक्षण (Training) शिखर भार देखकर करने से उस क्रिया में गति और स्फूर्ति आती है अतः शारीरिक शिक्षा की क्रियाओं को सीखने के लिए इस सिद्धांत को ध्यान में रखने से बहुत ही अच्छी और उपयोगी परिणाम निकलते हैं।

अधिभार के समय थकान की निम्नलिखित विशेषताएं दिखाई देती है जैसे कि शरीर की चमड़ी पीले रंग की होने लगती है, पूरे शरीर में पसीना बहुत ज्यादा आने लगता है, क्रियाओं का समन्वय पूरी तरह से ध्वस्त हो हो जाता है, शरीर की हलचल कमजोर पड़ जाती है, कार्य करने की शुद्धता समाप्त हो जाती है, बड़ी मात्रा में गलतियां होती है और एकाग्रता बिल्कुल ही समाप्त हो जाती है।

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उपयोग अनुप्रयोग तथा अध्योपयोग का सिद्धांत (Principle of use disuse and overuse) 

उत्तम व्यायाम में ही जीवन की सार्थकता है आधुनिक अनुसंधानो से यह सिद्ध हो चुका है कि जीवन का विकास व्यायाम के माध्यम से होता है, निष्क्रियता से क्रियात्मक प्रणालियों का पतन होता है, जैविक क्षेत्रों में इसे उपयोग तथा अनुप्रयोग का नियम कहा जाता है, जिससे अभिप्राय है कि शरीर के अंगों उपयोग से विकसित तथा अनुप्रयोग से अविकसित होते हैं।

उपयोग का सिद्धांत
(Principle of use)


उपयोग का अर्थ शरीर के अंग का सामान्य एवं उचित उपयोग है जिसके अभाव में शरीर व्यायाम का वृद्धि तथा विकास की दृष्टि से कोई उद्देश्य एवं अस्तित्व ही नहीं रह जाता।

संसार में सब लोग अपनी दैनिक जीवन के लिए अपने  शरीर का उपयोग करते जिससे शारीरिक परिश्रम भी कहीं ना कहीं अवश्य ही होता है परंतु आधुनिक युग वैज्ञानिक युग होने के कारण मनुष्य को कार्य करने के लिए भागदौड़ ज्यादा करनी पड़ती है, तथा मशीनों के सहारे ही करना पड़ता है। मनुष्य यंत्र साधन आधुनिक सभ्यता का सदस्य होने के नाते वह अपनी शरीर के अंगों को व्यायाम करने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं दे पाता जीवन की इस दौड़ में मनुष्य की मानसिक प्रणालियों जिसके मानसिक स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डाला है।

मानसिक तनाव को दूर करने के लिए जब व्यक्ति भागता, उछलता, कूदता, तथा दौड़ता और खेलता है। तब ही इसे वास्तविक लाभ मिलता है, जब कोई व्यक्ति अपने कार्यालय में कार्य करने के लिए पहुंचता है तो दिन भर कार्यालय में इधर-उधर घूमने तथा फाइलों को ढूंढने आदि की क्रियाओं तो अवश्य करता है क्या इसी व्यायाम अर्थात शरीर के उचित उपयोग की संज्ञा दी जानी चाहिए, नहीं। वास्तव में यह शरीर का अनुपयोग ही है।

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