Sport Training खेल प्रशिक्षण शक्ति, सहनशीलता, समन्वय, लचीलापन क्या है बीपीएड सेकंड ईयर खेल प्रशिक्षण यूनिट 2 नोट्स

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खेल प्रशिक्षण इकाई [ii]

इससे पहली की पोस्ट में (Sport Training) खेल प्रशिक्षण इकाई [i] में जाना खेल प्रशिक्षण क्या है ,खेल प्रशिक्षण उद्देश्य क्या है,  खेल प्रशिक्षण का अर्थ, खेल प्रशिक्षण की परिभाषा,खेल प्रशिक्षण के लक्ष्य,खेल प्रशिक्षण का उद्देश्य और अंत में जाता था खेल प्रशिक्षण की विशेषताएं अगर आप ने वह पोस्ट नहीं पढ़ा तो पहले यहां खेल प्रशिक्षण का अर्थ, परिभाषा एवम उद्देश्य क्या (इकाई 1) पर पढ़े फिर यह पोस्ट पढ़े। इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए खेल प्रशिक्षण इकाई [ii] में निम्न लिखित बातो को जानेंगे।

शक्ति ताकत का अर्थ।
(meaning of strength.)

खिलाड़ी कि वह योग्यता है जिसके द्वारा खिलाड़ी खेल प्रतिस्पर्धा में सभी भाषओं को पार करता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो शक्ति वह योगिता है जिसमें खिलाड़ी के विरोध में कार्य करता है खेल की प्रक्रियाओं में कुछ हद तक विरोध अथवा बाधाओं के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। खिलाड़ी के प्रदर्शन स्तर को बढ़ाने के लिए शक्ति महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है। जितना ज्यादा विरोध अथवा बाधाएं होंगी खिलाड़ी उतना ही मजबूत होगा।

शारिरिक शिक्षा में शक्ति के प्रकार (Tipes Of Strength)

शारीरिक शिक्षा में शक्ति को तीन भागों में विभाजित किया गया है ।  शक्ति के नाम अधिकतम शक्ति/ maximum strength, विस्फोटक ताकत/ explosive strength ,सहनशीलता ताकत/ strength endurance हैं।

अधिकतम शक्ति (Maximum strength )इसमें अधिकतम संभावना खिलाड़ी की ऐच्छिक मांसपेशियों के सिकुड़ने की है जब वह किसी क्रिया को कर रहा हो क्रिया को करते समय मांसपेशियां उसके विरोध में सिकुड़ती हैं  अधिकतम ताकत शक्ति युक्त या स्थिर ताकत हो जाती है अधिकतम स्थिर ताकत वह उच्चतम स्वभाव तनाव है जिसने खिलाड़ी एक ऐच्छिक उड़न को विकसित कर सकता है अधिकतम ताकत उन खेलों में महत्वपूर्ण है जिसमें उच्च स्तरीय रुकावट को दूर करना पड़ता है।
विस्फोटक ताकत(Explosive strength) यह खिलाड़ी की वह योग्यता है जिसमें खिलाड़ी उच्च गति से रुकावट में सफलता प्राप्त करता है विस्फोटक ताकत हमेशा स्थिर होती है तथा लगभग प्रत्येक खिलाड़ी की महत्वपूर्ण आवश्यकता होती है विस्फोटक ताकत गति एवं ताकत का सहसंबंध है । तथा मिश्रित योग्यता भी है। अलग-अलग क्रियाओं में यह दोनों ही ताकते अलग-अलग तरह से कार्य करती हैं । हमें भी विभिन्न प्रकार की ताकतों से उलझना पड़ता है, फेंकने तथा भार उठाने की क्रियाओं में ताकत के तत्व गति के तत्वों से महत्वपूर्ण है। लेकिन दौड़ने तथा सामूहिक खेल में गति के तत्व ही अधिक महत्वपूर्ण हैं।
सहनशीलता ताकत (Strength endurance)  जिसमें लंबे समय तक या थकान के समय योग्यता के अनुसार बाधाओं को पार कर सकें विस्फोटक ताकत की तरह ही यह भी ताकत तथा सहनशीलता का मिश्रण है। सहनशीलता ताकत विस्फोटक अथवा स्थिर हो सकती है। लगभग सभी खेलों में विस्फोटक ताकत तथा सहनशीलता ताकत दोनों ही महत्वपूर्ण योग्यताएं हैं। जब खिलाड़ी उच्च गति से कार्य करता है तो खिलाड़ी की सभी परिस्थितियां अनुकूल हो जाती हैं । खिलाड़ी की गति विस्फोटक ताकत पर निर्भर करती है, चाहे वह बिना उपकरण के अथवा उपकरणों सहित क्रियाओं को करें।

 शारीरिक शिक्षा में गति (Speed) का क्या अभिप्राय है।


Physical education में गति गामक क्रियाओं की वह योग्यता है जो कि दिए गए समय में या कम- से -कम समय में अपनी क्रियाओं को करने के लिए संभव हो सके। गति की योग्यता में उच्चतम विशेष हलचलें होती हैं। गति का प्रदर्शन प्रशिक्षण द्वारा 20% से अधिक विकसित नहीं किया जा सकता है। गति कुछ निर्धारित घटकों के ऊपर निर्भर करती हैं। विभिन्न खेलों में गति विभिन्न तरीकों से प्रयोग में लाई जाती हैं, गति का सबसे बड़ा संगठन है, कि वह प्रतिक्रियात्मक योग्यता गति की हलचल तथा गति सहनशीलता में पाई जाती है कई खिलाड़ी गति में अपना प्रदर्शन अच्छा करते हैं परंतु खिलाड़ी कम हलचल में भी अच्छा प्रदर्शन दे देते हैं तेज गति के धावकों की टांगों में गति अधिक होती है, तथा उनकी क्रियाओं में भी हलचल तेजी से होती है।

गति की विशेषताएं
(Characteristics of speed)

1.गति प्रशिक्षण के लिए अच्छा उत्तेजित व्यायाम चाहिए।
2.गति की योग्यता के लिए प्रशिक्षण के समय सावधानी की आवश्यकता होना चाहिए।
3.गति योग्यता के प्रशिक्षण के समय एकाग्रता की आवश्यकता होती है।
4.गति का प्रशिक्षण सप्ताह में दो से चार बार होनी चाहिए।
5.गति की योग्यता को विकसित करने के लिए खिलाड़ी तरोताजा स्वभाव में होना चाहिए।
6.गति प्रशिक्षण हमेशा अधिकतम तीव्रता से नहीं देना चाहिए।
7.गति की योग्यताएं कुछ विशिष्ट योग्यताएं हैं।


लचीलापन का अर्थ।(Meaning of flexibility.)

लचीलापन वह योग्यता है जो गति को करने के लिए पर्याप्त विस्तार में सहायक होता है। लचीलापन न ही अनुकूलता की योग्यता है और न ही वह सामान्य योग्यता है लचीलापन (Flexibility) मांस पेशियों (muscle)के संकुचन (contraction) एवं विस्तार(Scope) पर निर्भर करता है। लचीलापन आमतौर पर किसी भी एक जोड़े से संबंधित होता है लेकिन किसी किसी क्रिया में अधिकतम विस्तार होने के कारण लचीलापन का प्रभाव एक से अधिक जोड़ों पर पड़ता है,खेल की गति में लचीलापन पर्याप्त मात्रा एवं पर्याप्त गुणों के आधार पर एक अच्छी प्राथमिक आ सकता है उदाहरण/Example स्वरूप ताकत, सहनशीलता, योग्यता तथा गति आदि। जब तक की क्रिया को अधिकतम विस्तार से नहीं किया जाता है अब तक पर्याप्त मात्रा में बल विकसित नहीं होता है। सहनशीलता की क्रियाओं में शरीर के जोड़ों की गति अधिक मात्रा में होती है।

लचीलापन की विशेषताएं(characteristics of flexibility)

निम्नलिखित तरीके से लचीलापन विशेषता को समझा जा सकता हैं।
उच्चतम स्तर पर क्रियाओं को करने के लिए लचीलापन महत्वपूर्ण है। लचीलापन से खेल में चोटों से बचाव होता है। समन्वय उनकी क्रियाओं में हलचल को करने के लिए सहायक होता है। लचीलापन कौशल पर प्रभाव डालता है और सहनशीलता की क्रियाओं पर अधिक प्रभाव डालता है तथा जोड़ों द्वारा गत से क्रिया करने में सहायक होता है। गामक की योग्यताओं को विकसित करता है एवं बल को विकसित करने में सहायक होता है, खेल की हलचल ओं को प्राथमिकता के तौर पर आधार का कार्य करता है।

लचीलापन का आधार 
(Basis of Flexibility)

शारीरिक बनावट/Anatomical Structure विभिन्न जोड़ अपनी अपनी विभिन्न गति करते हैं, तथा जोड़ों की हलचल उनको निर्धारित करते हैं। खिलाड़ियों के कंधों के जोड़ कूल्हों के जोड़े से अधिक शक्तिशाली होते हैं घुटने तथा कोहनी के जोड़ उनकी शारीरिक बनावट के कारण व सीमित क्षेत्र में समानता से हलचल करते हैं। जोड़ तथा शारीरिक बनावट अधिकतर वंशानुक्रम पर निर्भर करती है किशोरावस्था में शारीरिक बनावट को प्रशिक्षण के द्वारा भी नहीं बदला जा सकता है।
मांसपेशियों तथा अस्थि बंधक तंतुओं की लंबाई/Length of muscles and ligaments अस्तिबंधक तंतु की लंबाई तथा उनकी सिधाई जोड़ों की गति के ऊपर निर्भर करती है अस्ति बंधक तंत्र अधिकतर फैलाव वाले नहीं होते हैं। असली बंधक तंत्रों की लंबाई बढ़ने से गति के रेंज भी अधिक हो जाती है।
मांसपेशियों की ताकत/Ttrength of the muscles बाहरी ताकत के विरोध को रोकने के लिए मांसपेशियों की ताकत पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिए। खेल की अधिकतर क्रियाएं बाहरी ताकत को रोकने के लिए की जाती हैं।
समन्वय/Co-ordination जब शरीर गति में होती है तो शरीर की हलचलो का विस्तार समन्वय का महत्व पूर्ण आधार माना जाता है। कौशल भी एक आधार है जिसके कारण शरीर की हलचल तथा लचीलापन पर प्रभाव डालता है।
मांसपेशियों का तापमान/Temperature of muscles मांसपेशियों का तापमान भी लचीलापन पर प्रभाव डालता है।
थकान/Fatigue लचीलापन का आधार का थकान भी है। थकान के कारण भी लचीलापन पर प्रभाव पड़ता है।
लिंग एवं आयु/Age and Sex लचीलापन का आधार लिंग तथा आयु भी है। लचीलापन की बनावट खिलाड़ियों के लिंग तथा आयु के आधार पर होती है।
भावनाएं/Emotions लचीलापन और खिलाड़ियों की भावनाओं का भी अधिकतर प्रभाव पड़ता है।

लचीलापन को लचीलापन को विकसित करने की पद्धतियां (Methods of development of flexibility)

बैलिस्टिक पद्धति/Ballistic Methods इस प्रकार की पद्धति में तालबद्ध तरीके से क्रियाओं को किया जाता है घुमाओ की क्रिया करने से जोड़ों में खिंचाव आता है व्यायामो को गिनती के तालबध्द किया जाता है। प्रत्येक क्रियाओं को करते समय जोड़ का कि चुनाव तथा संकुचन संभव है क्रिया को करने से पहले उत्तेजित व्यायाम करने आवश्यक है क्योंकि जोड़ों की हल चलें आसानी से की जा सकती हैं।
धीमी विस्तार पद्धति/Slow stretching method धीमी विस्तार पद्धति के कारण प्रतिक्रियात्मक क्रियाएं आसानी से की जा सकती हैं धीमी गति से जोड़ों के विस्तार से मांसपेशियां भी धीमी गति से विस्तार करते हैं जोड़ों में धीमी गति से किया गया विस्तार धीरे-धीरे पुनः अपने पूर्व स्थिति में आसानी से आ जाता है।
धीमा विस्तार बताइए रोकना/Low stretching and holding  पद्धति में जोड़ों का धीमी गति से विस्तार करना तथा अधिकतम सीमा तक खींचना उस स्थिति में कुछ देर तक रुकना तथा धीरे-धीरे पूर्व स्थिति में लाना। 

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