काल विभाजन ,सूछ्म चक्रण, प्रशिक्षण काल, योजना के सिद्धांत, कक्षा प्रबंधन, प्रशिक्षण सूत्र, गुणों का समीकरण बी पी एड खेल प्रशिक्षण इकाई 4

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काल विभाजन का अर्थ (meaning of periodization)

खिलाड़ियों को प्रतियोगिता के लिए तैयार करने के लिए शिक्षक एवं प्रशिक्षक को विभिन्न कार्यों एवं स्थितियों में प्रशिक्षण कार्यक्रम को संपन्न कराना पड़ता है कोई भी खिलाड़ी प्रशिक्षण के दौरान अपना प्रदर्शन(Performance) नहीं दिखा सकता है। खिलाड़ी अपने कौशल का प्रदर्शन तभी कर सकता है जब वह अपने प्रशिक्षण के सभी कालो को पूर्ण कर ले।
प्रतियोगिता में खिलाड़ी को कुछ प्रदर्शन दिखाने के लिए वर्ष भर के प्रशिक्षण की अलग-अलग स्थितियों में से गुजरना पड़ता है तभी वह अपने कौशल का प्रदर्शन दिखा सकता है।
प्रतियोगिता का कैलेंडर प्रतियोगिता के समय एवं तिथि को बतलाता है जिसमें खिलाड़ी को अपने उच्चतम प्रदर्शन के साथ भाग लेना आवश्यक होता है।
प्रतियोगिता का कैलेंडर अनुकूलता के काल विभाजन पर अपना महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। परंतु कैलेंडर सही काल विभाजन को नहीं दर्शाता है। काल विभाजन के लिए शिक्षक प्रशिक्षण की प्रकृति को दर्शाता है, तथा खिलाड़ी को अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए मदद करता है।

काल विभाजन के प्रकार एवं अवधि(Types periodization and duration of periods)

आमतौर पर सभी खेलों के प्रशिक्षण का काल विभाजन 1 वर्ष के लिए होता है प्रशिक्षण कालचक्र वार्षिक कार्यक्रम पर निर्भर करता है जो निम्न प्रकार से है।

पृथक काल विभाजन/Single periodization पृथक काल विभाजन में केवल एक प्रारंभिक काल एक प्रतियोगिता काल तथा एक ही संक्रांति काल होता है जिसे कि माइक्रो कालचक्र के नाम से जाना जाता है। इसमें प्रारंभिक काल एक 6 महीने तथा प्रति योगात्मक काल 4 महीने तक संक्रांति काल 2 महीने तक माना जाता है।
खिलाड़ियों के लिए काल विभाजन बहुत ही आवश्यक तथा सुविधाजनक है। जिन खिलाड़ियों को अपने खेल के स्तर को उच्चतम शिखर पर पहुंचा ना हो उनके लिए यह बहुत ही लाभप्रद है। जिन खिलाड़ियों का प्रदर्शन अति उत्तम होता है उनके लिए भी पृथक काल विभाजन लाभप्रद साबित होता है, तथा प्रशिक्षण के लिए इसी का उपयोग किया जाता है आज किसी खिलाड़ी का प्रदर्शन अति उत्तम हो तो उसका उपयोग 1 से 3 वर्ष बहुविध काल विभाजन में किया जाता है।
बहुविध काल विभाजन बहुत काल विभाजन 1 वर्ष कार्यक्रम होता है एक से अधिक प्रारंभिक काल तथा 1 से अधिक प्रतियोगिता कार होता है इसमें 1 से अधिक सूक्ष्म काल चक्र होता है जिस काल विभाजन में दो प्रारंभिक काल तथा दो प्रतियोगिता काल तथा एक संक्रांति काल होता है उसे दोहरा काल विभाजन कहते हैं।
तीन काल विभाजनो में 1 वर्ष में 3 आरंभिक काल 3 प्रतियोगितात्मक काल तथा एक संक्रांति काल होता है ध्यान रखने योग्य बात है कि आरंभिक काल तथा प्रतियोगिता काल चाहे 2 हो या 3 परंतु संक्रांति काल केवल एक ही होगा संक्रांति काल एक से अधिक नहीं हो सकता संक्रांति काल साल में एक ही हो सकता है।
कभी-कभी बहुविध काल विभाजन 1 साल से अधिक भी होता है जो प्रतियोगिता का कैलेंडर इस प्रकार की मांग करें तो आमतौर पर काल विभाजन 1 साल का भी होता है। दोहरे काल विभाजन में आरंभिक काल का 4 महीने प्रतियोगिता का 2 महीने फिर से आरंभिक काल 3 महीने का होता है ।
तीन काल विभाजनो में आरंभिक काल 2 महीने प्रतियोगिता काल एक महीना फिर से आरंभिक काल 3 महीने प्रतियोगिता काल एक महीना तथा दोबारा से आरंभिक काल 3 महीने प्रतियोगिता का एक महीना तथा संक्रांति काल 1 महीने का ही होता है।




प्रतियोगितात्मक काल की अवधि (duration of competition period)

प्रतियोगितात्मक काल की अवधि 6 सप्ताह से कम नहीं होनी चाहिए। क्योंकि कम समय की अवधि में कला के उच्चतम शिखर को पाना संभव नहीं है। अधिक से अधिक प्रतियोगिता तक काल की अवधि 5 महीने तक हो सकती है, प्रतियोगितात्मक काल की अवधि प्रशिक्षण के कार्यक्रम एवं पद्धतियों पर निर्भर करती है यह अवध प्रतियोगिता की संख्या पर भी निर्भर करती है प्रतियोगिता तत्काल प्रशिक्षण की तकनीकों एवं कलाओं के प्रभाव को बढ़ाता है इस प्रकार का तनाव और अधिकार युद्ध प्रशिक्षण अधिक लंबे समय तक नहीं दिया जा सकता है फुटबाल वालीबाल तथा बास्केटबॉल के खेलों में इस अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है यह तभी संभव हो सकता है यदि महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं में दो या दो से अधिक महिनो का अंतर प्रतियोगिता की कालावधि निम्नलिखित घटकों पर निर्भर करती है।
यदि किसी काल की अवधि कम हो तो खिलाड़ियों का आधार मजबूत नहीं बनता है। इस स्थिति में स्थान स्थाई होता है तथा उसे अधिक समय तक बनाए रखना आसान नहीं होता है, प्रतियोगिताओं की संख्या तथा प्रतियोगिताओं के बीच का अंतराल भी उच्चतम घनत्व तथा उच्चतम स्तर के विरोध में सहायक होता है प्रतियोगिता की अवधि व्यक्तिगत घर पर निर्भर करती है खिलाड़ी उच्च प्रशिक्षण की प्रक्रिया अवस्था क सहन नहीं कर सकता है।
 कई खिलाड़ी से घटा से उच्चतम स्तर तक पहुंचने के लिए कम समय लेते हैं तथा कई खिलाड़ी उच्चतम स्तर तक पहुंचने के लिए लंबी अवधि तथा प्रतियोगिता की अधिक संख्या की आवश्यकता महसूस करते हैं।

संक्रांति काल की अवधि(duration of transitional periods)

संक्रांति काल की अवधि 1 सप्ताह से 6 सप्ताह तक हो सकती है। यदि संक्रांति अवधि अधिक हो तो अगले या आने वाले प्रारंभिक काल में कार्य करना पड़ता है संक्रांति काल की अवधि प्रारंभिक काल तथा प्रतियोगात्मक काल में प्रशिक्षण के स्वरूप तथा प्रशिक्षण की क्रियाओं पर अधिक करती है यदि आरंभिक काल कठिन तथा उसके साथ अधिक अवैध का प्रतियोगात्मक काल हो तो संक्रांति की अवधि भी अधिक होनी चाहिए। यदि प्रारंभिक काल तथा प्रतियोगिता काल की अवधि कम या आसान हो तो सरकार को कम किया जा सकता है। या इसको हटाया भी जा सकता है। सक्रांति काल की अवधि अग्रिम प्रशिक्षण कालचक्र के लक्ष्य एवं उद्देश्य पर भी निर्भर करती है।

सूक्ष्म कालचक्र के प्रकार (Type of micro-cycles)

प्रशिक्षण के क्षेत्र में यह चर्चा का विषय काफी समय तक चलता रहा की सूक्ष्म कालचक्र (micro Cycles) अति सूक्ष्म काल से तैयार किया गया है। इसमें धीरे-धीरे स्थिरता तथा सच्चाई स्वाभाविक रूप से ही आ गई सूक्ष्म काल आमतौर पर 3 से 6 महीनों का होता है। प्रशिक्षण के काल विभाजन की व्यवस्था करने के लिए अनेक प्रकार के सूक्ष्म का काल चक्र को व्यवस्थित रूप से तैयार किया जाता है।
प्रारंभिक सूक्ष्म कालचक्र/Tntroductory Micro-Cycle  इस सूक्ष्म कालचक्र में सामान्य खेल प्रदर्शन की वापसी पर ध्यान दिया जाता है। तथा कम तीव्रता के प्रशिक्षण कार्यक्रम को लागू किया जाता है। इसकी अवधि 3-4 सप्ताह से लेकर 6 सप्ताह तक होती है।
आधारिक सूक्ष्म कालचक्र/Basic Micro -Cycle इसकी अवधि 2 से 3 सप्ताह की होती है इसमें कौशलों के योगिता को सीखने तथा तकनीकों को विकसित करने के प्रदर्शन को घटकों को उपयोग में लाया जाता है इसमें उस जगह देकर देवता तथा घनत्व को विकसित किया जाता है।
प्रारंभिक तथा नियंत्रित सूक्ष्म कालचक्र/Preparatory and controlled Micro-cycle इसकाल में प्रदर्शन के अलग-अलग भटकने को प्रशिक्षण स्थानांतरण के द्वारा विकसित किया जाता है जिसमें विशेष प्रशिक्षण को महत्व दिया जाता है प्रतियोगिता में गति को मापने के लिए क्रियाओं को महत्व दिया जाता है।
संपूर्ण सूक्ष्म कालचक्र/Perfect Micro-Cycle इस अवध में खिलाड़ी की कमजोरियों को दूर किया जाता है, कौशल में की गई गलतियों को दूर किया जाता है कौशल तथा प्राप्त की गई योग्यताओं को अस्थाई रूप से विकसित किया जाता है इसमें विशेष तौर पर व्यायामओं को महत्व दिया जाता है।
प्रति योगात्मक सूक्ष्म कालचक्र/Competitive Micro-cycle इसमें प्रतियोगिता के दौरान कलाम को विकसित करने के लिए उपयोग में लाया गया काल चक्र है, प्रदर्शन का विकास अलग-अलग परिस्थितियों में किया जाता है।


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