Kabaddi skills में यह चौथी पोस्ट है। कबड्डी स्किल श्रेणी श्रंखला को आगे बड़ते हुए कबड्डी में थाई होल्ड स्किल के विषय में पढ़ेंगे। पहली पोस्ट में कबड्डी के मेजरमेंट वा इतिहास को जाना, दोसरी पोस्ट में टो टच कैसे करते है को जाना, तथा तीसरी पोस्ट में जाना की कबड्डी में हैंड टच स्किल कैसे करते हैं। और आज सीखेंगे कि कबड्डी में थाई होल्ड स्किल कैसे करते हैं। के बारे में जानेंगे। एक पोस्ट में बात इतिहार की हुई है तो चलिए सबसे पहले संक्षिप्त में कबड्डी खेल के इतिहास के बारे में जान लेते हैं। कबड्डी एक भारतीय खेल है इसका उदय हमारे प्राचीन इतिहास में उस समय से ढूंढा जा रहा है जब से मानव ने जंगली जानवरों के घेराव में अपनी सुरक्षा के लिए समूह में रहना सीखा था। सामूहिक रूप से जानवरों पर प्रहार करना सीख इस प्रकार मानव ने अपने बचाव में प्रहार के तरीके ढूंढो और इसी बचाओ और प्रहार से कबड्डी का जन्म तभी से भारत में हुआ यह खेल महाराष्ट्र के सतारा जिले में इस खेल में रुचि लेने वालों ने इसको विकसित तथा सुनियोजित करने का प्रयत्न किया इस खेल के नियम बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में दक्कन जिमखाना द्वारा बनाए गए सन 1923 में हिंद वजय जिमखाना बडोदा ने इस खेल के नियमों को छपरा या और उसी वर्ष एक अखिल भारतीय प्रतियोगिता का आंदोलन बड़ौदा में कराया गया इस खेल के नियमों को 1934 में अखिल महाराष्ट्र शारीरिक परिषद द्वारा संशोधित किया गया।
भारत के विभिन्न देशों में यह विभिन्न नामों से पुकारा जाता है महाराष्ट्र मध्य प्रदेश गुजरात में हु-तू-तू तमिलनाडु और मैसूर में चुडाडू-चुडाडू केरल में वाचकत्ता व बंगाल में हे-डु-डु तथा उत्तरी भारत में कबड्डी । इन सभी प्रकार के कोई निश्चित नियम नहीं थे इसी कारण देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग तरीकों से खेली जाती थी कबड्डी भारत के पड़ोसी देशों में भी लोकप्रिय है जिसको वहां पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है बांग्लादेश में हु-डू-डू श्रीलंका में गु-ड्ड इंडोनेशिया में चब नेपाल में डो-डो तथा पाकिस्तान में भी इस खेल को कबड्डी कहा जाता है इसकी प्रमुख तीन सहेलियां थी संजीवनी, गामिनी और अमर। 1936 Berlin America में तथा 1982 नई दिल्ली एशियाई खेलों में इसका प्रदर्शन मैच कराया गया था ।1936 बर्लिन ओलंपिक के प्रदर्शन मैच के उपरांत कबड्डी को वह 1938 में कोलकाता के पश्चिमी ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया।
कबड्डी खेल दो टीमों के बीच की स्पर्धा खेल है इस खेल को खेलते समय मैदान पर दोनो टीमों की खिलाडियो की संख्या 14 होती है। जो टीम रेड डालती है उसे रेडर कहते है और जो टीम रेडर को पकड़ती है उसे डिफेंडर कहते है और यह स्किल डिफेंडर की स्किल है।
कबड्डी थाई होल्ड स्किल
रेडर जब खेल मैदान के कोर्ट के मध्य रेखा से रेड डालने डिफेंडर के कोर्ट में प्रवेश करता है तो रेडर के पैर को पकड़ने की स्किल का प्रयोग डिफेंडर खिलाड़ी करता है। डिफेंडर द्वारा रेडर के थाई को पकड़ लेना थाई होल्ड स्किल कहलाता है।
थाई होल्ड स्किल का अभ्यास कैसे करें।
प्रशिक्षित ट्रैनर की देख में करे कबड्डी खेल में थाई होल्ड स्किल सीखने के लिए किसी कुशल प्रशिक्षित ट्रेनर की देखरेख में सीखें ट्रेनर को चाहिए कि सभी बारीकियों को ध्यान में रखकर प्रशिक्षित करें।
चोट वा बचाव प्रशिक्षण लेते समय खिलाड़ी को चाहिए कि आक्रामक ना हो तथा सही नियमों का पालन करे, चोट लगने की स्थित से दूर रहें।
ड्रेस का सही चुनाव अभ्यास के दौरान सही पहनाव का चुनाव करना आवश्यक है।
नियमित अभ्यास कबड्डी में थाई होल्ड स्किल को परफेक्ट करने के लिए खिलाड़ी को चाहिए कि प्रतिदिन नियमित रूप से अभ्यास करें।
कबड्डी खेल के कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
१.सन् 1950 ईस्वी में राष्ट्रीय कबड्डी फेडरेशन की स्थापना हुई।
२.सन् 1982 ई. श्री एच. के. गोड बोले की अध्यक्षता में प्रथम ३.भार स्त्रियों की राष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित कराई गई।
४.सन् 1957 में मास्को के विश्व युवक सम्मेलन में कबड्डी का प्रदर्शन किया गया।
५.सन् 1961 में अंतर विश्वविद्यालय की प्रतियोगिताओं में इसे शामिल किया गया।
६.सन् 1962 में अखिल भारतीय विद्यालय खेल (SGFI) प्रतियोगिताओं में बालिकाओं के लिए सम्मिलित किया गया।
७.सन् 1974 ईस्वी में भारतीय कबड्डी टीम बांग्लादेश में गई।
८.सन् 1975 में बालिकाओं को भी सम्मिलित किया गया।
९.सन् 1972 में कबड्डी फेडरेशन को (I.O.A) से मान्यता मिली तथा एमच्चोर Kabaddi federation of India (A.K.F.I) का उदय हुआ। सन 1978 में एशियन एमच्चोर कबड्डी फेडरेशन (A.A.K.F) की स्थापना हुई।
नीचे दिए गए वीडियो में कबड्डी थाई होल्ड स्केल को स्लो मोशन में दिखाया गया है वीडियो को देख कर के स्किल को सीख सकते हैं।