शलभासन कैसे करते हैं लाभ तथा सावधानियां क्या है

शलभासन क्या है shalabh asana kya hai

शुरुआत में शलभ आसन करना थोड़ा मुश्किल लगता है लेकिन निरंतर अभ्यास करने से यह आसन बहुत ही आसान हो जाता है शलभासन को "Locust Pose yoga" दूसरे नाम से भी जानते हैं  Locust एक कीड़ा ( टिड्डा )है यह आसन टिड्डा  की तरह आसन है इसीलिए इस आसन को टिड्डा आसन के नाम से भी जानते हैं।


शलभासन करने की सही विधि(shalabh ashan karne ki Sahi vidhi)

सबसे पहले पेट के बल फर्श पर लेट जाएं और दोनों पैर के पंजे को आपस में जोड़ लें इसके बाद अपने दोनों हाथ की हथेलियों को  जांघों के नीचे रख ले रखने के बाद दोनों पैरों को धीमे-धीमे सांस भरते हुए ऊपर की ओर यथासंभव जितना हो सके उतना ले जाएं और उसी स्थिति में वहीं पर रोके रहे रोकने पर सांस सामान्य कैसे लें और छोड़ें जितनी देर हो सके रोके उसके बाद धीमे-धीमे सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को नीचे की तरफ लेकर आएंगे फर्श पर दोनों पैर रख देंगे यह क्रिया शुरुआत में 3 से 5 बार करें  बाद में बड़ा भी सकते हैं।

"शलभासन करने के लाभ (Shalabh asana karne ke labh)"


कमर दर्द में लाभ प्रारंभिक समय में शलभासन करना थोड़ा कठिन लगता है लेकिन लगातार अभ्यास से कठिन आसान आसान आसन हो जाता है। पेट के बल लेटने के बाद दोनों पैरों को पीछे की तरफ ऊपर उठाने पर कमर पर बल लगता है उसी बल की वजह से कमर का दर्द कम होकर के साधक को आराम मिलता है।
दमा के रोग में लाभ शलभासन करने से दमोह वाले पेशेंट को आराम मिलता है जिन व्यक्तियों को कई सालों से इनहेलर लेते चले आ रहे हैं उन व्यक्तियों को शलभासन करने से इनहेलर लेना छूट सकता है।
तंत्रिका तंत्र में लाभ संपूर्ण शरीर का नियंत्रण तंत्रिका तंत्र के द्वारा ही होता है ज्ञानेंद्रियों के स्पर्श से न्यूरॉन्स तक पहुंचने वाला संदेश को शलभासन मजबूत बनाता है। शलभासन करने से शरीर की एक ऐसी स्थिति बन जाती है जिसमें दोनों पैर पीछे की तरफ उठते हैं तो शरीर के निचले भाग का जो रक्त संचार होता है वह कम होकर के शरीर के ऊपरी भाग की तरफ बढ़ने लगता है जिससे मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में रक्त संचार पहुंचने लगता है इस वजह से तंत्रिका तंत्र पूर्ण सक्रिय हो जाता है।

पेट की चर्बी कम करने में लाभ आमतौर पर देखा गया है कि हर दूसरा व्यक्ति मोटापे से ग्रसित है अनियमित खान-पान के कारण पेट पर चर्बी चढ़ जाती है शलभासन करने से पेट की चर्बी कम होकर के शरीर को फिट बनाता है।

पेट की मालिश में लाभ शलभासन एक ऐसा आसन है जो पेट के बल लेट कर के दोनों पैरों को ऊपर पीछे की तरफ उठाया जाता है ऐसी स्थिति में पेट की मालिश हो जाती है ।

कब्ज में लाभ शलभासन करने से कब्ज में लाभ जो व्यक्ति शलभासन को प्रतिदिन करता है उनको कब्ज की शिकायत नहीं होती है। आज के समय में कब्ज का सबसे बड़ा मुख्य कारण है मिलावटीपन अधिकतर हर भोज पदार्थ में मिलावट हो गया है जो पाचन तंत्र को कमजोर कर देता है।

मधुमेह के रोग में लाभ उन व्यक्तियों को यह आसन नियमित रूप से करना चाहिए जिनको मधुमेह की शिकायत बनी रहती है शलभासन करने से मधुमेह वाले रोगियों को आराम मिलता है।

सायटिक रोग में लाभ ऐसे साधकों जो सायटिक बीमारी से ग्रसित हैं उनको प्रतिदिन शलभासन करने की आवश्यकता है आसन करने से लाभ मिलेगा।

गर्भाशय में लाभ जिन महिलाओं के यूट्रस में समस्या है वह महिला शलभासन करना प्रारंभ कर दें शलभासन करने से गर्भाशय की समस्या दूर हो सकती है।

वजन कम करने में लाभ इस आसन के नित्य अभ्यास करने से वजन बढ़ने में नियंत्रण आने लगता है नियमित अभ्यास करने से बड़ा हुआ वजन कम होने लगता है।

इस आसन को करने के अनेकों लाभ है जिनके गर्दन में दर्द, कमर में दर्द है उनके लिए यह आसन बहुत ही लाभदायक है जिन लोगों को दमा, अस्थमा की समस्या रहती है उनके भी लिए यह आसन लाभप्रद है तंत्रिका तंत्र इस आसन को करने से मजबूत रहता है पेट की मालिश भी हो जाती है इस आसन से कब्ज दूर होता है मधुमेह सायटिक वजन कम करने में गर्भाशय की दिक्कत पेट में गैस और यह आसन नाभि को अपने स्थान पर बनाए रखता है और भी इसके अनेकों लाभ हैं।

शलभासन सावधानियां (shalabh asana ki savdhani)

उच्च रक्तचाप में सावधानी जिन व्यक्तियों को high blood pressure की शिकायत रहती है वह व्यक्ति शलभासन को ना करें।
गंभीर दमा रोग मैं सावधानियां जिन व्यक्तियों को गंभीर दमा मर्ज बन गया है सांस देर तक नहीं रुकती है उन व्यक्तियों को शलभासन करना उचित नहीं रहेगा।

कमर में दर्द या चोट में सावधानी जिन साधकों के कमर में गंभीर समस्या है या गंभीर चोट हां चोट लगी है उन लोगों को शलभासन करने से परहेज करना होगा।

आसन करने में सावधानी शलभासन को सांस भरते हुए बहुत ही आहिस्ते आहिस्ते करना चाहिए किसी भी आसन को जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए नहीं तो उसका प्रभाव शरीर पर गलत पड़ने लगता है जल्दबाजी से बचना चाहिए।

प्रारंभिक स्थिति में सावधानी प्रारंभिक स्थित में साधक अपने बल का प्रयोग करने लगता है जिसकी वजह से मांस पेशियों में खिंचाव आने की संभावना है प्रबल हो जाती हैं ध्यान रखने वाली बात है कि शलभासन को प्रारंभिक दौर में कम से कम बार अभ्यास करें।

योग स्थान चुनने में सावधानी शलभासन करने के लिए समतल स्थल की आवश्यकता होती है ध्यान रखने योग्य बात यह है कि जहां पर योग का अभ्यास किया जा रहा है वह स्थान संपन्न होना चाहिए नहीं तो शरीर में ब्याज उत्पन्न हो सकती है।

योग के दौरान पहनावे के चुनाव में सावधानी योगासन करते समय वस्तुओ का चयन करना सबसे पहली ध्यान देने वाली बात होती है वस्त्र कैसे पहने जो ढीले ढाले हो योग करने में किसी भी प्रकार की कोई बाधा उत्पन्न ना कर सकें योग के दौरान उन्हीं वस्तुओं को धारण करके योगाभ्यास करना चाहिए।

शलभासन करने के लिए अन्य सावधानियां शलभासन करते समय सावधानियों का विशेष ध्यान रखें जिलेट के उच्च रक्तचाप हो यह आसन ना करें जिनको दमा कमर दर्द हो वह इस आसन से दूर रहना यह आसन बहुत ही आस्ते आस्ते करें जल्दबाजी में ना करें शुरुआत में यह आसन कम से कम बार करें।

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