भुजंगासन(Cobara Pose yoga)क्या है।
भुजंग आसन को अन्य कई नामों से जाना जाता है भुजंगासन को अंग्रेजी भाषा में "Cobara Pose yoga" हिंदी भाषा में "सर्प आसन" और संस्कृत में "भुजंग" शब्द से भुजंगासन लिया गया है भुजंगासन करने से हमारी पीठ की हड्डी मजबूत होती है और कई प्रकार के रोगों से निजात दिलाता है।
"भुजंगासन करने की विधि(Method of doing Bhujangasana)"
सबसे पहले खुले स्थान पर साफ सुथरी जगह पर समतल स्थान पर चटाई बिछाकर पेट के बल लेट जाएंगे, लेटने के बाद अपने दोनों पैरों को आपस में जोड़कर पंजों को बिल्कुल सीधा करेंगे और दोनों हाथ को दोनों तरफ की पसलियों के पास गदेलियों को खोलते हुए रखेंगे दोनों हाथ के कोहनी आसमान की तरफ उठे हुए होंगे मत्था जमीन को स्पर्श करेगा अब धीमे-धीमे सांस भरते हुए अपने गर्दन को ऊपर की ओर उठाएंगे उसके बाद धीमे-धीमे अपने शरीर के आगे वाले भाग को दोनों हाथ के सहारे से ऊपर की ओर उठाएंगे दोनों पैर जमीन पर सटे रहेंगे पैर नहीं उठाएंगे ऊपर की ओर देखेंगे यह स्थित 20 से 30 सेकंड तक बनाए रखेंगे और सामान्य गति से सांस लेते रहेंगे इसके बाद धीमे-धीमे सांस को छोड़ते हुए नीचे की और फिर आएंगे मत्था जमीन से स्पर्श कराएंगे और वैसे ही शुरुआत में 3 से 5 बार यह आसन करेंगे।
भुजंगासन करने का सही समय
भुजंगासन करने से पहले पेट खाली होना चाहिए। भुजंगासन करने से पहले कुछ खा लिया है तो उसके 3 घंटे बाद की इस आसन को करना चाहिए आसन को सुबह के समय करे तो अच्छा लाभ मिलेगा।
"भुजंग आसन करने के लाभ(Benefits of doing Bhujang posture)"
- पेट की चर्बी कम करने में लाभ भुजंग आसन के नियमित अभ्यास से पेट के ऊपर जमी हुई चर्बी को कम कर देता है बेली के स्थान पर जमे हुए चर्बी को कम करने में भुजंगासन बहुत सहायक होता है भुजंग आसन के नियमित अभ्यास से बेली अस्थान पर जमी की चर्बी को कम किया जा सकता है।
- कमर दर्द में लाभ कमर दर्द होने पर आगे की ओर झुकने वाले आसन को नहीं कराना चाहिए। ऐसा करने पर कमर में दर्द अधिक बढ़ जाती है। भुजंगासन करने से कमर के ऊपर का भाग ऊपर की तरफ उठ जाता है जिससे कमर दर्द में आराम मिलता है।
- रीड की हड्डी में लाभ कई प्रकार के व्यक्ति हैं जिनके रीड की हड्डी में समस्या उत्पन्न हो गई है या किसी दुर्घटना में रीड की हड्डी में चोट लग गई हो तो भुजंगासन करने से रीढ़ की हड्डी में नई शक्ति का संचार होने लगता है और व्यक्ति को धीमे-धीमे लाभ प्राप्त होने लगता है।
- पाचन तंत्र में लाभ आज के आधुनिक समय में अधिकतर हर खाने पीने वाली वस्तुओं में मिलावट हो गया है जिसके कारण व्यक्तियों के पाचन तंत्र कमजोर हो गए हैं। भागदड़ भरी जिंदगी में लोग फास्ट फूड पर निर्भर हो गए हैं ऐसी स्थिति में पाचन की समस्या अमान्य हो गई है। पाचन तंत्र कमजोर होने से कुछ भी खाया पिया शरीर में नहीं लगता है भोज्य पदार्थ पूरी तरह डाइजेस्ट नहीं हो पाता। भुजंगासन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
- कब्जियत में लाभ स्वस्थ व्यक्ति वही माना जाता है जो सुबह खाया गाया हुआ भोजन शाम को शौच क्रिया द्वारा निकाल दे और शाम का भोजन सुबह शौच क्रिया के द्वारा निकाल दे। आज के समय में वह व्यक्ति स्वस्थ है सुबह शाम शौच क्रिया करने के पश्चात भी पेट भरा भरा लग रहा है तो समझ लीजिए आप कब्ज से ग्रसित हैं। कब्जियत शरीर में अन्य विकार उत्पन्न कर सकता है ऐसे में भुजंगासन बहुत लाभदायक है।
- शरीर में लचीलापन भुजंग आसन के नियमित अभ्यास करने से शरीर में लचीलापन आ जाता है भागदौड़ भरी जिंदगी में शरीर में लचीलापन नहीं रह जाता है इसका कारण यह है कि व्यक्ति अपने शरीर को क्रियाकलापों से दूर रखता है।
- किडनी को स्वस्थ बनाने में लाभदायक किडनी मानव शरीर में फिल्टर का काम करता है यह शरीर से अवशिष्ट पदार्थों को मूत्र वाहन नलिका के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल देता है शरीर में किडनी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है कि किडनी को भी योग द्वारा तंदुरुस्त रखें। भुजंगासन करने से किडनी को लाभ मिलता है।
- लिवर को स्वस्थ में बनाने में लाभदायक लीवर शरीर का आंतरिक मुख्य अंग है यह भी किडनी के तरह ही फिल्टर का काम करता है। जैसे किडनी अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है वैसे ही लीवर रक्त में से मरी हुई सेल्स को लीवर बाहर निकालता है। और इसके साथ ही लीवर पित्त रस का निर्माण करता है जो पाचन संबंधी क्रियाओं में सहायक होता है। ऐसे में लीवर को तंदुरुस्त रखने के लिए नित्य भुजंगासन का अभ्यास करना चाहिए।
- पुरूष प्रजनन अंग में लाभदायक भुजंगासन करने से पुरुष के प्रजनन अंगों में लाभ पहुंचता है इसके नित्या से शुक्राणुओं की संख्या बढ़ती है। लगातार अभ्यास करने से पुरुषों में पौरुष शक्ति आने के साथ ही स्तंभन शक्ति भी बढ़ती है।
- महिलाओं के प्रजनन अंग में लाभदायक जैसे पुरुषों के प्रजनन अंग में भुजंगासन सहायक होता है वैसे ही स्त्री के प्रजनन अंगों में उतना ही भुजंगासन लाभदायक है।
भुजंगासन के लाभ जितना भी बताएं उतना ही कम है नियमित भुजंग आसन के अभ्यास से महिलाओं में मासिक चक्र की अनियमितता दूर हो जाती है और पुरुष और महिलाओं दोनों के प्रजनन अंग संबंधी समस्या दूर हो जाती है और इसके साथ ही रीड की हड्डी कब्जियत पाचन तंत्र की समस्या दूर हो जाती है शरीर में लचीलापन आता है हमारे शरीर की किडनी, लिवर, आदि मजबूत हो जाते हैं।
अभी तक आप ने (भुजंगासन करने की विधि) लेख में जाना की भुजंगासन करने का सही तरीका क्या है । अब आगे जाने कि भुजंगासन करते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए।
"भुजंगासन करते समय सावधानियां(Precautions while doing Bhujangasana)"
भुजंगासन करते समय निम्न सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए ।
- हर्निया के पेशेंट जिन व्यक्तियों में हर्निया का तुरंत में ऑपरेशन करवाया है या जो व्यक्ति हर्निया के समस्या से ग्रसित हैं उन व्यक्तियों को भुजंगासन नहीं करना चाहिए।
- समय का ध्यान भुजंगासन करते समय सही स्थिति का ज्ञान होना अति आवश्यक है। कौन सी स्थित कितने समय तक करनी चाहिए इन सभी बातों को ध्यान में रखना चाहिए। कहीं भूल बस ऐसा तो नहीं है कि एक ही स्थिति में अधिक समय तक रुके रहे। प्रारंभिक समय में भुजंगासन 3 से 5 बार ही करना चाहिए जैसे-जैसे पूर्णतया प्राप्त होती जाए धीमे-धीमे कर के भुजंगासन करने की संख्या को बढ़ाते जाएं।
- अधिक तीव्रता के साथ नहीं करना जल्दबाजी में आसन ना करें किसी भी तरह के आसन को तेज गति में नहीं चाहिए। वैसे ही भुजंगासन को भी जल्दबाजी में या तीव्र गति से नहीं करना चाहिए भुजंगासन करते समय सांसो की गति के अनुसार भुजंग आसन की सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए आसन को प्रारंभ करना चाहिए।
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निष्कर्ष : भुजंगासन करने की विधि लेख में आप ने जाना कि किस प्रकार आसान को करते है भुजंगासन करने के क्या लाभ है, और अंत में जाना कि भुजंगासन करते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए। भुजंगासन करने की विधि पोस्ट में सुझाव देना है तो कृपया कमेंट कर सूचित करें।
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