सूर्य नमस्कार कैसे करते हैं - लाभ एवम सावधानियां

सूर्य नमस्कार कैसे करते हैं : सूर्य देव को नमस्कार अर्पण करना है सूर्य नमस्कार 12 आसनों का एक कंप्लीट  पैकेज  है। सूर्य नमस्कार करने से शारीरिक और मानसिक रूप से दोनों तरह से व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
प्रातः काल के समय सूर्य नमस्कार करना शरीर और मान को स्वस्थ रखने में बहुत ही लाभप्रद है।
भारतीय 6 शास्त्र में से एक शास्त्र योग शास्त्र है महर्षि पतंजलि द्वारा योग शास्त्र लिखा गया है शास्त्र के अनुसार अगर सूर्य नमस्कार प्रतिदिन करते हैं तो प्रमुख लाभ इस प्रकार है आयु, विद्या,यस, वीर्य,बल आदि की वृध्दि होती है।


सूर्य नमस्कार करने से 12 योगासनों का अभ्यास हो जाता है अगर 12 आसनों के साथ 12 मंत्र का जाप करें तो और भी ज्यादा लाभ प्राप्त होगा तथा आत्म सुख की अनुभूत होगी।
सूर्य नमस्कार के 12 मंत्र नित्य प्रातः काल सूर्य नमस्कार के साथ किया जाए तो शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से बलवान हो जाएंगे।

सूर्य नमस्कार के साथ बोले जाने वाले 12 मंत्रो के नाम इस प्रकार हैं।
सूर्य नमस्कार 12 मंत्रो के नाम
अभी तक आप ने कि सूर्य नमस्कार में कितने मंत्र होते है नीचे जानेंगे की सूर्य नमस्कार कैसे करते हैं क्या लाभ है और क्या सावधानियां है।

सूर्य नमस्कार की 12 स्थित (position )कुछ इस प्रकार है। 

Surya Namaskar करने की सही विधि।

सूर्य नमस्कार की 12 स्थित (position )

  • 1." प्राणायाम आसन "सूर्य नमस्कार की सबसे पहली स्थित प्राणायाम आसन है इस स्थिति को करने के लिए प्रातः काल के समय खुले स्थान पर समतल भूमि पर कुचालक वस्तु को जमीन पर बिछा दें और उसके ऊपर दोनों पैर को सटाकर सीधा खड़े हो जाएं कमर गर्दन सर को सीधा रखें और अपने दोनों हाथों को धीमे धीमे ऊपर की ओर उठाते हुए दोनों हाथों को सीने के सामने दोनों पसलियों के बीच सूर्य चक्र पर हाथों को जोड़कर रखें इस स्थित को अंग्रेजी में prayer position कहते हैं।
  • 2. "हस्त उत्तानासन" यह आसन सूर्य नमस्कार का दूसरा आसन होता है इस आसन को करने के लिए प्राणायाम आसन के बाद अपनेे दोनों हाथों को सामने की तरफ धीमे धीमेे सीधा करके आकाश की तरफ सर के पीछे ऊपर के भाग को यथासंभव जितना होो सके कमर के ऊपर के भाग को पीछे की तरफ मोड़े।
  • 3. "हस्त पादासन" हस्त पादासन सूर्य नमस्कार का तीसरा आसन है कमर से ऊपर का भाग और हाथों को धीमे धीमे आगे की ओर लाकर के अपने दोनों हाथों के पंजे को पैरों के दोनों साइड में रख देना है। और यथासंभव अपने सर को घुटनों में स्पर्श कराने का प्रयास करें।



  • 4. "अश्व संचालन" या आसन सूर्य नमस्कार का चौथा आसन होता है सबसे पहले अपने दाहिने पैर को पीछे की तरफ ले जाएंगे और दूसरे पर को मोड़ते हुए छाती पर लगाएंगे और नजरें सामने की तरफ गर्दन सिर्फ रहेगी।
  • 5. "पर्वतासन" सूर्य नमस्कार का पांचवा आसन पर्वतासन कहलाता है जैसा कि नाम से ही पता चल जाता है कि शरीर की आकृति पर्वत की तरह होगी इसलिए इस आसन को पर्वतासन कहा जाता है अपने दोनों हाथों को और पैरों को जमीन पर स्पर्श करेंगे और कमर का भाग ऊपर की तरफ उठाएंगे यथासंभव स्थित रखेंगे।
  • 6. "अष्टांग" नमस्कार छठा पोजीशन अष्टांग नमस्कार होता है अष्टांग नमस्कार करते समय शरीर का 8 अंग पृथ्वी को स्पर्श करता है दाढ़ी, दोनों हाथ की गदेली , छाती दोनों पैर के घुटने, दोनों पैर के पंजे स्पर्श करते हैं,इसलिए इसको अष्टांग नमस्कार कहते हैं।
  • 7. "भुजंगासन" अष्टांग आसन के बाद उसी पोजीशन को आगे बढ़ाते हुए दोनों हाथों को अपने सीने के दाएं और बाएं रखते हुए और कमर से ऊपर का भाग आहिस्ता आहिस्ता उठाते हुए भुजंग आसन की स्थिति में लाएंगे।
  • 8. "पर्वतासन" दोनों हाथ और दोनों पैर को जमीन पर स्पष्ट करते हुए कमर का भाग ऊपर की तरफ उठाते हैं।
  • 9."अश्वसंचालन आसन" इस स्थिति में दाहिना पैर पीछे और बाया पैर आगे और होता है बाया पैर मुड़ा हुआ छाती से स्पर्श रहता है चेहरा गर्दन सामने की ओर होता है।
  • 10. "हस्त पादासन" हस्त पादासन में अपने दोनों हाथों को जमीन पर दोनों पैरों के बगल में रख देंगे और अपने सर को घुटनों से स्पर्श करने का यथासंभव प्रयास करेंगे।
  • 11. "हस्त उत्थान" आसन इस आसन में शरीर को पीछे की तरफ जितना हो सकेगा उतना झुका आएंगे।
  • 12. "प्रणाम आसन" और अपने दोनों हाथों को जोड़ करके सूर्य चक्र पर रखते हुए प्रार्थना की स्थिति में खड़े हो जाएंगे।

ऐसे व्यक्तियों को सूर्य नमस्कार करना वर्जित है।

  1. शारीरिक दुर्बलता - जो व्यक्ति अधिक समय तक किसी भी बीमारी के चलते उनके शरीर में दुर्बलता आ गई हो या हड्डियों में कमजोरी आ गई है तो ऐसे व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह से या अच्छे ट्रेनर की देखरेख में सूर्य नमस्कार करना चाहिए, ऐसे व्यक्ति सूर्य नमस्कार ना करें।
  2. उच्च रक्तचाप - (High blood pressure) जिन साधकों को उच्च रक्तचाप या निम्न रक्तचाप है उन साधकों को सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए नहीं तो इसका दुष्परिणाम उनके शरीर पर दिखाई पड़ने लगेगा।
  3. गंभीर हृदय संबंधी बीमारी - (heart problem & bypass surgery disease) सूर्य नमस्कार करते समय दिल की समस्या वाले साधकों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
  4. कमर से संबंधित बीमारी अथवा रीड में समस्या, मेरुदंड में समस्या - जिनकी back bone में समस्या है अथवा चोट है और मेरुदंड में समस्या है वाह यह आसन बिल्कुल ना करें।
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