शॉट पुट (Shot Put) क्या है?
शॉट पुट जिसे हिंदी में गोला फेंक कहा जाता है, एथलेटिक्स की महत्वपूर्ण फील्ड प्रतियोगिता है। इसमें खिलाड़ी एक निर्धारित वृत्ताकार क्षेत्र से भारी धातु का गोला फेंकते हैं। जीत उसी की होती है जो सबसे दूर तक गोला फेंक सके।
शॉट पुट (Shot Put) क्षेत्र और माप
- गोला फेंकने का क्षेत्र व्यास – 2.135 मीटर
- फेंकने का कोण – 34.92°
- सेक्टर की लाइनें – 20 मीटर तक चिन्हित
- लाइनों की मोटाई – 5 सेमी
- वृत्त का रिम – 6 मिमी मोटा
शॉट पुट (Shot Put) स्टॉप बोर्ड (Stop Board)
- लंबाई – 1.22 मीटर
- ऊँचाई – 10 सेमी
- चौड़ाई – 11.2 सेमी
- आकार – अर्धचंद्राकार
- रंग – सफेद
शॉट पुट का गोला – भार और व्यास
- पुरुष – 7.26 किग्रा., 110-130 मिमी व्यास
- महिला – 4 किग्रा., 95-110 मिमी व्यास
शॉट पुट गोला फेंकने की तकनीक
- पकड़ (The Grip) – गोला उंगलियों पर टिकना चाहिए।
- गोले को रखना (Placement) – कंधे और ठोड़ी के पास रखा जाता है।
- स्टांस (Stance) – फेंकने की शुरुआती पोजीशन।
- ग्लाइड (The Glide) – पीछे से आगे की ओर तेजी से आना।
- डिलीवरी (Delivery) – पूरी ताकत से गोला फेंकना।
- रिवर्स (Reverse) – फेंकने के बाद संतुलन बनाना।
- क्लियरेंस (Clearance) – गोला छूटने के बाद पीछे की ओर बाहर निकलना।
शॉट पुट की प्रमुख तकनीकें (Skills)
- परंपरागत स्किल (Traditional Skill)
- पैरी ओ’ब्राइन स्किल (Parry O’Brien Technique)
- डिस्कोपट स्किल (Discopat Technique)
शॉट पुट ग्लाइड तकनीक के चरण
- तैयारी (Preparation)
- ग्लाइड (Glide)
- डिलीवरी (Delivery)
- रिकवरी (Recovery)
गोला फेंकते समय सावधानियां
- पकड़ मजबूत होनी चाहिए।
- गोला हमेशा कंधे के पास रखना चाहिए।
- T-आकार की स्थिति सही बनानी जरूरी है।
- पैर वृत्त से बाहर नहीं जाना चाहिए।
- नियमों का पालन करते हुए फेंकना चाहिए।
शॉट पुट का इतिहास
शॉट पुट की शुरुआत प्राचीन यूनान से मानी जाती है। ओलंपिक खेलों में इसे पहली बार 1896 में पुरुषों के लिए और 1948 में महिलाओं के लिए शामिल किया गया।
भारत के तेजिंदरपाल सिंह तूर ने 2019 एशियाई चैंपियनशिप में 20.92 मीटर फेंककर स्वर्ण पदक जीता।
निष्कर्ष
शॉट पुट (Shot Put) एक शक्ति और तकनीक पर आधारित खेल है। इसमें सही पकड़, संतुलन और ग्लाइड तकनीक का अभ्यास जरूरी है। यह खेल ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियों से और भी खास बन गया है।