मिल्खा सिंह (Milkha Singh) जीवन परिचय | उड़न सिख का इतिहास
मिल्खा सिंह, जिन्हें पूरी दुनिया "उड़न सिख" (Flying Sikh) के नाम से जानती है, भारत के महानतम एथलीटों में से एक रहे हैं। उन्होंने भारत का नाम विश्व स्तर पर रोशन किया और एथलेटिक्स में देश को एक नई पहचान दिलाई।
मिल्खा सिंह का जन्म व प्रारंभिक जीवन
मिल्खा सिंह का जन्म 8 अक्टूबर 1935 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लायलपुर (अब फैसलाबाद) में हुआ था। भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया और शरणार्थी बनकर भारत आए। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने एथलेटिक्स को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया।
एथलेटिक करियर और उपलब्धियां
- 1958 एशियाई खेल – 200 मीटर और 400 मीटर में स्वर्ण पदक।
- 1958 राष्ट्रमंडल खेल – 440 यार्ड दौड़ में स्वर्ण पदक।
- 1960 रोम ओलम्पिक – 400 मीटर दौड़ में चौथा स्थान, 45.60 सेकंड का समय।
- 1962 एशियाई खेल – स्वर्ण पदक।
- 1960 पाकिस्तान दौड़ – अब्दुल खालिद को हराकर स्वर्ण पदक, यहीं से मिला "Flying Sikh" का उपनाम।
मिल्खा सिंह का 400 मीटर रिकॉर्ड
मिल्खा सिंह ने 400 मीटर दौड़ में 45.60 सेकंड का समय निकालकर चौथा स्थान प्राप्त किया। यह उस समय का एक ऐतिहासिक प्रदर्शन था और भारतीय एथलेटिक्स को नई ऊंचाई दी।
सम्मान और पुरस्कार
- पद्म श्री पुरस्कार
- हेल्मस अवॉर्ड (Helms Award)
व्यक्तिगत जीवन
1962 में उन्होंने भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान निर्मल कौर से विवाह किया। उनके बच्चे – सोनिया संवलका, जीव मिल्खा सिंह (विश्व प्रसिद्ध गोल्फर) और हविलदार बिक्रम सिंह हैं।
मृत्यु
भारत के इस महान धावक का निधन 18 जून 2021 को हुआ। उनका जीवन संघर्ष, मेहनत और समर्पण की प्रेरणादायक कहानी है।
मुख्य जानकारी (Quick Info)
पूरा नाम | मिल्खा सिंह |
---|---|
जन्म | 8 अक्टूबर 1935, लायलपुर (पंजाब, पाकिस्तान) |
उपनाम | उड़न सिख |
पुरस्कार | पद्म श्री, हेल्मस अवॉर्ड |
पत्नी | निर्मल कौर |
बच्चे | सोनिया, जीव मिल्खा सिंह, हविलदार बिक्रम सिंह |
मृत्यु | 18 जून 2021 |
निष्कर्ष
मिल्खा सिंह केवल एक महान धावक नहीं थे, बल्कि वे संघर्ष, मेहनत और देशभक्ति की जीवंत मिसाल थे। उनकी उपलब्धियां और उड़न सिख की उपाधि उन्हें हमेशा अमर बनाए रखेंगी।