मिल्खा सिंह (Milkha Singh)
मिल्खा सिंह का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लायलपुर ग्राम में 8 अक्टूबर 1935 को हुआ था। वे एक सिक्ख धावक थे जिन्होने रोम के 1960 ग्रीष्म ओलपिक और टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उनको 'उड़न सिख' का उपनाम दिया गया था, वे भारत के बेहतरीन खिलाडियों में से एक हैं।
भारत के विभाजन के बाद की अफरा तफरी में मिल्खा सिंह ने अपने माँ बाप को खो दिया। अंततः वे शरणार्थी बन के ट्रेन द्वारा पाकिस्तान से भारत आए। ऐसे भयानक बचपन के बाद उन्होंने अपने जीवन में कुछ कर गुजरने की ठानी। एक होनहार धावक के तौर पर ख्याति प्राप्त करने के बाद उन्होने 200 मी. और 400 मी. की दौड़े सफलतापूर्वक को, और इस प्रकार मिल्खा सिंह भारत के अब तक के सफलतम धावक बनें। कुछ समय के लिए वे 400 मी. के विश्व कीर्तिमान धावक भी रहे।
कार्डिफ वेल्स, संयुक्त साम्राज्य में 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण जीतने के बाद सिख होने की वजह से लम्बे बालों के साथ पदक स्वीकारने पर उन्हें पूरा खेल विश्व जानने लगा। इसी समय मिल्खा सिंह को पाकिस्तान में दौड़ने का निमंत्रण मिला, लेकिन बचपन की द्रवित कर देने वाली घटनाओं की वजह से वे वहाँ जाने से आना कानी रहे थे। परंतु न जाने पर राजनैतिक उथल पुथल के डर से उन्हें जाने को कहा गया। मिल्खा सिंह ने दौड़ने का न्यौता स्वीकार कर के जाना सुनिश्चित कर लिया।
दौड़ में मिल्खा सिंह ने सरलता से अपने प्रतिद्वन्द्वियों को ध्वस्त कर दिया, और आसानी से जीत गये। अधिकांशतः मुस्लिम दर्शक इतने प्रभावित हुए कि पूरी तरह बुर्कानशील औरतों ने भी इस महान धावक को गुजरते देखने के लिए अपने नकाब उतार लिये थे, तभी से उन्हें 'उड़न सिख' की उपाधि मिली। मिल्खा सिंह ने बाद में खेल से सन्यास ले लिया और भारत सरकार के साथ खेलकूद के प्रोत्साहन के लिए काम करना शुरू किया। अब वे चंडीगढ़ में रहते हैं।
मुख्य बिंदु | जीवन परिचय |
जन्म | 8 अक्टूबर 1935 पाकिस्तान के पंजाबप्रांत के लायलपुर |
धर्म पत्नी | निर्मल कौर(1962) |
बच्चे | सोनिया संवलका,जीव मिल्खा सिंह, हविलदार बिक्रम सिंह |
उपनाम | उड़ता सिख |
अवॉर्ड | पद्म श्री |
मृत्यु | 18 जून 2021 |
मिल्खा सिंह 400 मीटर रिकॉर्ड
- इन्होंने 1958 के एशियाई खेलों में 200 मी. व 400 मी. में स्वर्ण पदक जीते।
- 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता तथा मिल्खा सिंह ने 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में भी स्वर्ण पदक जीत कर भारत का नाम रोशन किया।
- मिल्खा सिंह ने 400 मी0 दौड़ में 45.60 सैकण्ड का समय निकालकर चौथा स्थान प्राप्त करते हुए भी विश्व रिकार्ड को पीछे छोड़ा।
पहले यह रिकार्ड जमैका के खिलाड़ी जोर्ज रोडेन (George Roden- Jamaika) के नाम था, जिसने 1952 हेलसिंकी फिनलैण्ड (Helnsiki Finland) 45.90 सैकण्ड का समय निकाल कर विश्व रिकार्ड बनाया था। इस ओलम्पिक में प्रथम तीन धावक-
(1) Otis Davis (USA)-44.9 sec.
(2) Carl Kautmann (Germany) - 44.90 sec.
(3) Mal Spence (South Affrica) - 45.5 sec.
1958 एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने 200 मी. व 400 मी. में स्वर्ण पदक तथा 1958 में ही राष्ट्रमंडल खेल के 440 यार्ड की दौड़ में स्वर्ण पदक जीता था । अमेरिका ने मिल्खा सिंह को इनकी उपलब्धियों पर हैल्मस पुरुस्कार (Helams Award) से नवाजा था। 1960 में पाकिस्तान व हिन्दुस्तान के विभाजन के बाद मित्रता व सदभावना बनाये रखने हेतु पाकिस्तान में एथलेटिक खेल में विशेष रूप से 400 मीटर दौड़ का आयोजन किया गया। भूतपूर्व प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के विशेष आग्रह पर मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान में प्रतिभाग किया और 400 मीटर की दौड़ में पाकिस्तान के धावक अब्दुल खालिद (Abdul Khalid) को पराजित कर स्वर्ण पदक जीता। इस विजयी दौड़ के पश्चात ही पाकिस्तान के जनरल अयूब खान (Ayub Khan) ने मिल्खा सिंह को बुलाकर कहा "You didnt run today, you flew" (तुम दौड़े नही बल्कि उड़े हो)। इसी के बाद से ही मिल्खा सिंह को उड़न सिख (Flying Sikh) के नाम से जाना जाता है। मिल्खा सिंह ने 1960 रोम ओलम्पिक में 400 मीटर दौड़ के फाइनल में रिकॉर्ड सिंडर ट्रैकपर बनाया गया था, जो 1998 में परमजीत सिंह ने सिंथेटिक ट्रैक पर 45.70 सेकण्ड का समय निकालकर तोड़ा। यह समय पूर्ण ओटोमेटिक टाईम मशीन (Automatic Time Machine) का है। वैसे मिल्खा सिंह का ओलम्पिक रिकॉर्ड 45.60 सेकण्ड का है, जो हाथ की घड़ी का है। इस समय की तुलना पूर्ण स्वचालित मशीन या ओटोमेटिक टाईम मशीन (Automatic Time Machine) से देखी जाये तो यह समय 45.73 सेकण्ड आयेगा ।