योग का अर्थ और परिभाषा।
योग भारत की प्राचीन संस्कृति की देन है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन प्रदान करता है। आइए समझते हैं योग का अर्थ, इतिहास और इसके प्रमुख प्रकार।
योग का इतिहास: 5000 साल पुरानी विरासत।
प्राचीन उत्पत्ति:योग का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता (3000 ईसा पूर्व) से जुड़ा है। खुदाई में मिली मूर्तियाँ योग मुद्राओं जैसी हैं।
वैदिक संदर्भ: वेद, उपनिषद, रामायण और महाभारत में योग क्रियाओं का वर्णन मिलता है।
पतंजलि का योगदान:147 ईसा पूर्व में पतंजलि ने "योग सूत्र" लिखकर योग को एक व्यवस्थित शास्त्र बनाया।
मध्यकालीन योग:सूरदास, तुलसीदास जैसे संतों ने अपनी रचनाओं में योग के महत्व को उजागर किया।
योग का अर्थ क्या है?
- जीवात्मा और परमात्मा का मिलन
- शरीर, मन और आत्मा का एकीकरण
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते है कि योग प्रत्येक व्यक्ति के दुखों का नाश करने वाला तथा सुख प्रदान करने वाला है। योग मुक्ति प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ साधन है तथा व्यक्ति के संसार में जन्म लेने के बंधनों से मुक्ति प्राप्त करने का नाम ही योग है।
योग का अर्थ परमात्मा से मिलन भी बताया गया है योग शब्द का अनेक अर्थो में प्रयोग किया जाता है जैसे जोड़ना, मिलाना, "मेल आदि । इसी अवधारणा पर जीवात्मा और परमात्मा पर का मिलन ही योग कहलाता है। यह मनुष्य की चेतना के विकास का विज्ञान है। इसका अर्थ मानव के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक अध्यात्मिक पहलुओं का एककीकरण भी है।
योग की परिभाषाएँ: विद्वानों के विचार
- पतंजलि: "मन की वृत्तियों को रोकना ही योग है।"
- भगवद्गीता:"कर्म करने की कुशलता योग है।"
- महर्षि वेद व्यास: "योग समाधि का दूसरा नाम है।"
- डॉ. राधाकृष्णन:"योग अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला मार्ग है।"
योग के 8 प्रमुख प्रकार
प्रकार | प्रकार |
1.हठयोग | शारीरिक मुद्राओं और साँसों पर आधारित |
2.लययोग | ध्वनि और मंत्रों का प्रयोग |
3.राजयोग | मन के नियंत्रण पर फोकस |
4.ज्ञानयोग | ज्ञान प्राप्ति पर जोर |
5.भक्तियोग | ईश्वर भक्ति के माध्यम से |
6.कर्मयोग | निस्वार्थ कर्म को महत्व |
7.जपयोग | मंत्र जाप द्वारा ध्यान |
8.अष्टांगयोग | पतंजलि के 8 सिद्धांत (यम, नियम आदि) |