राइट टू एजुकेशन इन हिंदी (Right to Education in hindi) : किसी भी देश को उन्नतशील बनाने के लिए वहां की जनता पढ़ी-लिखी शिक्षित होनी चाहिए देश का विकास तभी संभव है जब कार्यशील जनता पढ़ी लिखी हो। इस लेख से आप जानेंगे छात्र-छत्राओं के शिक्षा के क्षेत्र में क्या अधिकार हैं।
छात्र संपूर्ण देश के सर्वश्रेष्ठ संपत्ति होते हैं छात्र आने वाले समय के भावी मानव संसाधन के रूप में होते हैं। मानव जीवन के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण अंग होता है। शिक्षा का अधिकार सभी को समान रूप से होना चाहिए इसलिए भारतीय संविधान में 86 वां संशोधन करके 2002 में अनुच्छेद 21A को जोड़ा गया ताकि शिक्षा मौलिक अधिकार बन जाए। इस अनुच्छेद के तहत 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया है। इस अधिकार को क्रियान्वित करने के लिए संसद में अनिवार्य शिक्षा तथा निशुल्क शिक्षा को 2009 में पारित किया गया। जो देश में 1 अप्रैल 2010 में पूर्णतया लागू हुआ।
उन्नतशील देशों की अपेक्षा भारत की जनता अभी भी कम पढ़ी लिखी है भारत में अभी भी ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों के बच्चों में शिक्षा का अभाव देखा गया है भारत वर्ष में जब तक ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक सभी जनता पढ़ी-लिखी नहीं होगी तब तक देश का विकास उन्नतशील देशों के बराबर नहीं होगा।
शहरी शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं उन्हें शिक्षा की आवश्यकता है और इसी को देखते हुए सरकारों ने समय-समय पर संविधान शिक्षा नीति में बदलाव किया है आज आप उसी बदलाव RTE 2009 के विषय में जानेंगे।
राइट टू एजुकेशन इन हिंदी RET 2009 :परिचय
- शिक्षा प्रारंभ में एक संवैधानिक रूप में था अब या एक मौलिक अधिकार के रूप में है। अनुच्छेद 21Aभारतीय संविधान संशोधन 86 वें संशोधन में जोड़ा गया था।
- भारत के संविधान में अनुच्छेद 21Aके तहत शिक्षा का मूल अधिकार के रूप में उल्लेखित किया गया है।
- 86 वा संशोधन भारत संविधान में 2 दिसंबर 2002 को किया गया था उस संशोधन में अनुच्छेद 21A को शिक्षा का मौलिक अधिकार बनाकर जोड़ा गया था।
- 2009 में अधिकार अधिनियम के तहत निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा पारित किया गया जो 1 अप्रैल 2010 में लागू हुआ।
राइट टू एजुकेशन इन हिंदी: संवैधानिक संदर्भ
- अनुच्छेद 39 (f) और अनुच्छेद 45 भारतीय संविधान के भाग- IV में प्रावधान है कि सभी राज्य को सरल शिक्षा और सभी को समंता का अभिकार रहेगा।
- सभी को समान शिक्षा के अधिकार प्रथम आधिकारिक पहल राममूर्ति समित की रिपोर्ट के साथ सन् 1990 में हुई थी। आंध्र प्रदेश राज्य बनाम उन्नीकृष्णन जेपी सन् 1993 मामले में उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसल सुनाया था। अनुच्छेद 21 के अंतर्गत के शिक्षा एक मौलिक अधिकार है।
- शिक्षा के अधिकार को तपस मजूमदार समिति ने वर्ष 1999 में अनुच्छेद 21(A) की शामिल होने के लिए दर्खास्त की थी। सन् 2002 में 86 वें संवैधानिक बदलाव से भाग 3 में मौलिक अधिकार के रूप में अनुच्छेद 21A में जोड़ा था।
- इसके अन्तर्गत 6से14 वर्ष के बच्चो के लिए शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया था।
राइट टू एजुकेशन इन हिंदी :शिक्षा का अधिकार अधिनियम RET 2009
- RTE 2009 के अन्तर्गत शिक्षा का अधिकार अधिनियम को पारित किया गया । जो संपूर्ण देश में 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ था।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम का मुख्य उद्देश्य देश के सभी बच्चों को जो 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चो की निशुल्क शिक्षा तथा अनिवार्य शिक्षा प्रदान हो।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम के धारा 12 (1) C में वर्णित किया गया है कि गैर- सहायता,गैर-अल्पसंख्यक, निजी, स्कूल वंचित पृष्ठभूमि और आर्थिक रूप से कमज़ोर वार्षिक प्रवेस के लिए 25 % की शीट रक्षित हो।
- विद्यालय न जा पाने वाले बच्चों के लिए इस अधिनियम के तहत उक्त कक्षा में दाखिला का भी प्रवधान प्रदान करता है।
- इस अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत केन्द्र तथा राज्य के बीच वित्तीय सम्बन्ध स्थापित करता है।
- भवन और बुनियादी ढाँचा, छात्र-शिक्षक अनुपात,विद्यालय-कार्य दिवस , अध्यापको के लिये कार्यावधि से संबंधित मानकों और मानदंडों का प्रावधान यह अधिकर अधिनियम प्रदान करता है।
- इस अधिनियम में जनगणना, सांसद के चुनाव ,विधायकी के चुनाव, आपदा तथा अन्य गैर - शैक्षणिक कार्य प्रदान करता है।
- इसके द्वारा प्रशिक्षित तथा कुशल अध्यापक की नियुक्ति करता है।
- इस प्रावधान के अंतर्गत ( EWS)ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के छात्रों को कक्षा 9 के ऊपर की शिक्षा को मुफ्त दिया जाएगा।
राइट टू एजुकेशन इन हिंदी : अधिनियम 2009 निषेध निम्न लिखित बातो का करता है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत सरकारी गैर सरकारी विद्यालय किसी भी बच्चे को शारीरिक दंड तथा मानसिक दंड नहीं दे सकता।
- इस अधिनियम के अंतर्गत छात्रों के प्रवेश में स्क्रीनिंग प्रक्रिया से दाखिला होगा।
- इस अधिनियम के अंतर्गत विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र को किसी भी तरह के कोई शुल्क देय नहीं होगा।
- इस अधिनियम के अंतर्गत कोई भी विद्यालय का सरकारी अध्यापक किसी भी बच्चे को प्राइवेट ट्यूशन नहीं दे सकता है।
- किस अधिनियम के अंतर्गत बिना मान्यता प्राप्त विद्यालय नहीं चलाया जाएगा अगर ऐसा करते पाए गए तो आर्थिक दंड भी दिया जा सकता है।
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निष्कर्ष: आशा करते हैं कि आप ने इस लेख से जानकारी प्राप्त की होगी टू एजुकेशन इन हिंदी में आपने जाना की भारतीय छात्रों का शिक्षा में क्या अधिकार है किस अनुच्छेद के अंतर्गत शिक्षा का अधिकार बच्चों को प्राप्त है। और अंत में जाना निषेध अधिकार अधिनियम। अगर आपको इस पोस्ट में कुछ सुझाव देना है तो कृपया नीचे कमेंट कर कर कर सुझाव दे सकते हैं।
पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs
Q.1 बच्चों का शिक्षा अधिकार क्या है?
A . भारतीय संविधान में 86 वां संशोधन करके 2002 में शिक्षा को मूल अधिकार के रूप में जोड़ दिया गया है जिसके तहत 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराई जाए।
Q.2 शिक्षा का अधिकार कौन सा अधिकार है?
A. भारत में पहले शिक्षा का अधिकार संवैधानिक अधिकार के रूप में था सन 2002 में संशोधन करके इसको अनुच्छेद 21a के तहत मूल अधिकार के रूप में जोड़ा गया।
Q.3 शिक्षा का अधिकार किस अनुच्छेद के तहत आता है?
A. शिक्षा अब मूल अधिकार के रूप में है जो सभी को समान रूप से देने का प्रावधान है यह अनुच्छेद 21A के अंतर्गत आता है। 2002 में 86 वा संशोधन करके जोड़ा गया है और इसको 1 अप्रैल 2010 से लागू किया गया है।