अभियोग्यता या अभिरुचि का अर्थ (Meaning of Aptitude)
अभियोग्यता का व्यक्ति के विकास में महत्वपूर्ण हाथ होता है इसलिए निर्देशन कार्यकर्ता के लिए बालकों की अभियोग्यता को जानना बहुत आवश्यक है। निर्देशन चाहे शैक्षिक हो या व्यावसायिक, अभियोग्यता परीक्षणों के आधार पर ही बालक का भावी कार्यक्रम निर्भर होता है। अध्यापक के लिए अभियोग्यता या अभिरुचि का पता लगाना उतना ही आवश्यक होता है, जितना कि बुद्धि और शैक्षिक कार्य का पता लगाना अभियोग्यता (अभिरुचि) को कुछ योग्यता का समूह कहा जाता है। इसी को विभिन्न कुशलताओं को सीखने की क्षमता भी कहते हैं। बालक की अभियोग्यता के द्वारा अध्यापक को बालक के व्यवसाय क्षेत्र या रोजगार में सफलता या असफलता से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त होती है। अभियोग्यता एक वर्तमान स्थिति है जो भविष्य की ओर संकेत करती है। अधिकतर माता-पिता या अध्यापकों के द्वारा बालकों के सम्बन्ध में यह कहते हुए सुना जाता है कि 'वह बालक तो जन्मजात वक्ता है' या 'इस छात्र में गायन की प्रतिभा है। इन कथनों के द्वारा स्पष्ट हो जाता है कि ये बालक अन्य बालकों की अपेक्षा कुछ विशेष योग्यता रखते हैं यही गुण (Talent ) या योग्यता 'अभियोग्यता या अभिरुचि' कहलाते हैं।
(Toc) #title=(Teblet Of Content)
अभियोग्यता (अभिरचि) की परिभाषाएँ (Definitions of Aptitude)
अभियोग्यता के सम्बन्ध में अलग-अलग मनोवैज्ञानिकों ने अलग-अलग विचार प्रकट किये हैं। अभियोग्यता के सम्बन्ध में कुछ महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी गई परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-
(1) ब्लम और बैलिंस्की के अनुसार, "अभियोग्यता में बुद्धि, रुचियाँ, व्यक्तित्व और प्रशिक्षण तथा अधिगम द्वारा प्राप्त वातावरण का प्रभाव सम्मिलित होता है। "
(2) वारेन ने अभियोग्यता के सम्बन्ध में अपने कोष में कहा है-"अभियोग्यता वह स्थिति या विशेषताओं का समूह है जो व्यक्ति को उस योग्यता की ओर संकेत करती है जो प्रशिक्षण के बाद ज्ञान, दक्षता या प्रतिक्रियाओं को सीखता है, जैसे भाषा को बोलने या संगीतोत्पादन की योग्यता ।"
(3) ट्रैक्सलर के अनुसार, "अभियोग्यता (अभिरुचि) एक ऐसी शर्त है जिसका सम्बन्ध नौकरी की सफलता से है।"
(4) जोन्स के अनुसार, "अभियोग्यता विशेष योग्यताओं का वह समूह है उसके आधार पर सफलता की सम्भावना की जा सकती है। "
(5) स्किनर ने अभियोग्यताओं को 'विशेष कौशल', 'ज्ञान' और 'रुचियों' का नाम दिया है।
(6) बिंघम (Bingham) के अनुसार अभियोग्यता या अभिरुचि मुख्यतः तीन धारणाओं पर निर्भर करती है—
(i) एक व्यक्ति की सम्भावनाएँ समान रूप में शक्तिशाली नहीं होतीं।
(ii) विभिन्न व्यक्तियों की सम्भावनाओं में अन्तर होते हैं।
(iii) उन विभिन्न प्रकार के अन्तरों में बहुत से अन्तर स्थायी होते हैं।
(7) सुपर (Super) ने अभियोग्यताओं की मुख्य रूप से चार विशेषताएँ बताई हैं-
(i) विशिष्टता (Specificity),
(ii) एकात्म रचना (Unitary Composition),
(iii) सीखने में सुगमता (Facilitation of Learning),
(iv) स्थायीपन (Constancy),
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अभियोग पता किसी व्यक्ति की वर्तमान दशा या गुणों का वह समूह है जो उसकी भविष्य की क्षमताओं की ओर संकेत करती है। यह क्षमता जन्मजात तथा वातावरणजन्य दोनों प्रकार की परिस्थितियों की अन्तः क्रिया (interaction) पर निर्भर करती है। साथ ही साथ अभियोग्यता कुछ विशिष्ट कौशल (Specific Skills) को सीखने और उन योग्यताओं को जो किसी विशेष कार्यक्षेत्र में सफलता के लिए आवश्यक है, उन्हें अर्जित करने की क्षमता है।
अभियोग्यताओं (अभिरुचियों) के प्रकार (Types of Aptitudes)
(1) बिंघम (Bingham) नामक मनोवैज्ञानिक के अनुसार अभियोग्यताओं के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं-
1. अध्यापन कार्य के लिए अभियोग्यता (Aptitude for teaching)
2. क्लर्क की जॉब के लिए अभियोग्यता (Aptitude for Clearical jobs)
3. संगीत तथा कला के लिए अभियोग्यता (Aptitude for Music and Art)
4. डॉक्टरी व्यवसाय के लिए अभियोग्यता (Aptitude for Medical Profession)
5. इंजीनियरिंग व्यवसाय के लिए अभियोग्यता (Aptitude for Engineering Profession)
6. दस्तकारी के कार्यों के लिए अभियोग्यता (Aptitude for Manual Occupation)
7. वकालत के लिए अभियोग्यता (Aptitude for Legal Profession)
8. कुशल व्यवसाय के लिए अभियोग्यता (Aptitude for Skill Occupation) ।
(2) अभियोग्यताओं का वर्गीकरण कैले (Kelley) ने निम्न प्रकार से किया है-
1. स्थान सम्बन्धी अभियोग्यता (Space related] Aptitude)
2. गति सम्बन्धी अभियोग्यता (Motor Aptitude)
3. सामाजिक अभियोग्यता (Social Aptitude)
4. यान्त्रिक अभियोग्यता (Mechanical Aptitude)
5. मौखिक अभियोग्यता (Vertical Aptitude)
6. संख्यात्मक अभियोग्यता (Numerical Aptitude)
7. संगीत सम्बन्धी अभियोग्यता (Musical Aptitude) |
अभियोग्यता (अभिरुचि) परीक्षणों के प्रकार (Types of Aptitude Tests)
अभियोग्यता को मापने वाले परीक्षणों को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है, जो कि निम्नलिखित हैं-
(1) विशेष क्षेत्रों से सम्बन्धित अभियोग्यता परीक्षण (Aptitude Tests for Specific Areas) — इस प्रकार के अभियोग्यता परीक्षण कला, संगीत, क्लर्को, इंजीनियरिंग, मैकेनिकल आदि व्यावसायिक क्षेत्रों से सम्बन्धित होते हैं।
(2) कारक विश्लेषण परीक्षण (The Factor Analysis Tests ) — इस प्रकार के परीक्षण व्यक्ति की प्रधान योग्यताओं का मापन करने के लिए प्रयोग किये जाते हैं।
(3) अन्तर- दर्शक परीक्षण (The Differential Tests) इस प्रकार के परीक्षणों के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के बैटरी परीक्षण आते हैं जिनके द्वारा व्यक्ति की एक से अधिक परीक्षाएँ ली जाती हैं। इन बैटरी परीक्षणों की प्रत्येक परीक्षा व्यक्ति को कम या अधिक अभियोग्यता को मापने की कोशिश करती हैं।
विशिष्ट क्षेत्रों में उपयोग किये जाने वाले अभियोग्यता परीक्षण (Aptitude Tests used in Specific Areas)
(1) दस्तकारी से सम्बन्धित अभियोग्यता परीक्षण (Manual Related Aptitude Tests) दस्तकारी से सम्बन्धित कार्यों में हाथ की माँसपेशियों की तेज गति तथा साथ-ही- साथ हाथ और भुजाओं के तालमेल की जरूरत होती है। दस्तकारी से सम्बन्धित मापन के निम्नलिखित परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है-
(i) चिमटी कुशलता परीक्षण (Tweezer Dexterity Tests ) - परीक्षण में विभिन्न प्रकार की लोहे की छोटी-छोटी कीलों को निश्चित समय में एक लोहे के बोर्ड पर दिये हुए विभिन्न छिद्रों में व्यक्ति को एक-एक करके चिमटी की सहायता से डालना होता है।
(ii) अंगुली दक्षता परीक्षण (Finger Dexterity Test)—इस प्रकार के परीक्षण के अन्तर्गत विभिन्न छोटी-छोटी चीजों को अंगुली की सहायता से तीव्रता से उठाना होता है, जैसे—छोटे-छोटे विभिन्न पुर्जों को उठाना और रखना।
(iii) मिनेसोटा दस्तकारी कुशलता परीक्षण (Minnesota Manual Dexterity Test)— इस प्रकार के परीक्षण में व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के गोलाकार ब्लॉकों को उठाकर उससे सम्बन्धित बोर्ड के छेदों में रखना होता है।
(2) यान्त्रिक अभियोग्यता परीक्षण (Mechanical Aptitude Test) इस प्रकार के परीक्षणों का प्रयोग यान्त्रिक योग्यताओं की परीक्षा लेने के लिए किया जाता है। इस प्रकार के परीक्षणों के लिए कहीं-कहीं कागज-पेन्सिल और कहीं-कहीं यन्त्रों और औजारों आदि का प्रयोग किया जाता है। यान्त्रिक अभियोग्यता में विभिन्न प्रकार के कारकों, जैसे- दस्तकारी कुशलता, विशेष निरीक्षण, शक्ति की गति और सहनशीलता तथा शक्ति की चालक योग्यताओं आदि का सम्मिश्रण होता है।
यांत्रिक अभियोग्यता से सम्बन्धित परीक्षण
(i) स्टेनक्वीस्ट का पुर्जे जोड़ने से सम्बन्धित परीक्षण (Stenquist Assembly Test) - इस प्रकार के परीक्षण के अन्तर्गत व्यक्ति को मशीनों के विभिन्न प्रकार के पुर्जों को जोड़ना होता है। यह परीक्षण व्यक्ति की मशीनों के पुर्जे जोड़ने की गति को मापता है।
(ii) मिनेसोटा कागज रूपी परीक्षण (Minnesota Paper form Test) इस परीक्षण को कागज पेन्सिल परीक्षण के नाम से भी जाना जाता है। यह परीक्षण व्यक्ति की बीजों को बनाने की योग्यता तथा निरीक्षण की योग्यता को मापने में बहुत लाभकारी है।
(iii) मिनेसोटा यान्त्रिक अभियोग्यता परीक्षण (Minnesota Mechanical Aptitude Test) इस परीक्षण में तीन बॉक्स होते हैं जिनकी सहायता से व्यक्ति को कुछ सामान्य यान्त्रिक वस्तुओं को बनाना होता है।
(iv) मिनेसोटा विस्तार सम्बन्धी परीक्षण (Minnesota Spatial Relation Test) इस परीक्षण का प्रयोग पदार्थों के आकार, रूप तथा अन्तर बताने के लिए गति औचित्य के मापन के लिए किया जाता है।
(v) जॉनसन तथा कोनर्स का ब्लॉक परीक्षण (Johnson's O' Connor's Wiggly Blocks Test) — इस परीक्षण का प्रयोग ड्राफ्टमैन, इंजीनियर तथा उच्च तकनीकी से सम्बन्धित व्यवसायों का प्रशिक्षण (Training) देने के लिए व्यक्तियों का चयन करने के लिए किया जाता है।
(3) संगीत अभियोग्यता परीक्षण (Musical Aptitude Test) – इन परीक्षणों का उपयोग संगीत से सम्बन्धित अभियोग्यता को मापने के लिए किया जाता है। संगीत से सम्बन्धित अभियोग्यता के बारे में जानकारी व्यक्ति में निम्नलिखित गुणों के उपस्थित होने पर होती है—
(i) यान्त्रिक पक्ष (Motor Aspect ) — इसके अन्तगत किसी साज को बजाने के लिए सभी प्रकार के आवश्यक कार्यकलापों का ज्ञान आता है।
(ii) चित्रांकन का पक्ष (Perspective Aspect ) — इस पक्ष के अन्तर्गत कई प्रकार के विशेष अक्षरों की खोज आती है, जैसे समय स्वर तथा घनता आदि।
(iii) व्याख्यात्मक पक्ष (Interpretive Aspect )- इसके अन्तर्गत मधुर लय, स्वर,ताल तथा एकरूपता से सम्बन्धित सहज आनन्द निर्णय आता है।
संगीत अभियोग्यता परीक्षण
(a) सीशोर संगीतक परीक्षण (Seashore Musical Test)—इस परीक्षण को बनाने का श्रेय सीशोर (Seashore) को है। सीशोर संगीत परीक्षणों का निर्माण संगीत के विभिन्न अवयवों (Components) का मापन करने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण के स्वर, घनता, स्मरण शक्ति तथा लय आदि को मापने के लिए प्रयोग किया जाता है।
(b) बिंग का प्रमापीकृत संगीतक बुद्धि परीक्षण (Wing Standardized Test of Musical Intelligence ) — इस परीक्षण का प्रयोग इंग्लैण्ड में संगीत सम्बन्धी निपुणता का पता लगाने के लिए किया जाता था। यह परीक्षण हमारे देश के संगीतज्ञों के लिए उपयुक्त नहीं है।
(4) क्लर्क व्यवसाय के लिए अभियोग्यता परीक्षण (Clerical Aptitude) इस प्रकार के परीक्षणों का उपयोग क्लर्क व्यवसाय से सम्बन्धित उपयुक्त व्यक्तियों का चुनाव करने के लिए किया जाता है। ऐसे परीक्षणों के द्वारा व्यक्ति को आलेख सम्बन्धी योग्यताओंया क्लर्क के व्यवसाय के लिए बांछित योग्यताओं का परीक्षण किया जाता है। इन परीक्षणों में शब्द भण्डार से सम्बन्धित, अंकगणित से सम्बन्धित परीक्षण होते हैं।
(1) क्लर्कों के लिए मिनेसोटा व्यवसाय परीक्षण (Minnesota Vocational Test for Clerical workers)- इस परीक्षण का उपयोग क्लकों के लिए व्यक्तिगत तथा सामूहिक दोनों रूपों में किया जा सकता है। इस परीक्षण के द्वारा व्यक्ति को बुक-कीपिंग, टाइपिंग तथा फाइलों के कार्य से सम्बन्धित अभियोग्यताओं का मापन करने के लिए किया जाता है।
(ii) सामान्य क्लर्क अभियोग्यता परीक्षण (General Clerical Aptitude Test) - यह परीक्षण क्लर्क व्यवसाय से सम्बन्धित सभी प्रकार की योग्यताओं के मापन के लिए उपयुक्त है। इस परीक्षण के अन्तर्गत नौ उप-परीक्षण आते हैं। इसका परीक्षण व्यक्ति की कार्यालय में कार्य करने की रुचि का पता लगाने के लिए भी किया जाता है।
(5) शिक्षण अभियोग्यता परीक्षण (Teaching Aptitude Test) — इस प्रकार के परीक्षण का उपयोग शिक्षण व्यवसाय से सम्बन्धित व्यक्तियों के चयन के लिए तथा शिक्षण से सम्बन्धित योग्यताओं, कौशलों (Skills) और अभिरुचियों का मापन करने के लिए किया जाता है। कुछ महत्वपूर्ण शिक्षण अभियोग्यता परीक्षण निम्नलिखित हैं।
(i) शिक्षकों के लिए पाण्डेय द्वारा निर्मित परीक्षण (Pandey 's Professional Test for Teachers) इस परीक्षण का निर्माण सन् 1972 में श्री बी. जी. पाण्डेय ने किया। इसके द्वारा अध्यापक व्यवसाय से सम्बन्धित सभी आवश्यक गुणों का मापन किया जा सकता है।
(i) प्रारम्भिक स्कूल शिक्षकों के लिए अभियोग्यता परीक्षण (Teaching Aptitude Test for Elementary School Teachers) इस परीक्षण का निर्माण श्री एस. एन. शर्मा ने प्रारम्भिक स्कूल शिक्षकों को शिक्षण अभियोग्यता (Teaching aptitude) का मापन करने के लिए किया। इस परीक्षण में पाँच उप-परीक्षण हैं— (i) मानसिक योग्यता, (ii) व्यावसायिक सूचना, (iii) बच्चों के प्रति व्यवहार, (iv) अनुकूलता (Adaptability), (v) व्यवसाय के प्रति इच्छुक,
(1) पाण्डेय द्वारा निर्मित शिक्षण अभियोग्यता परीक्षण (Pandey's Teaching Aptitude) — यह परीक्षण शिक्षण से सम्बन्धित योग्यताओं का मापन करता है। इस परीक्षण का निर्माण जीवाजी विश्वविद्यालय के श्री के. पी. पाण्डेय ने किया। यह परीक्षण हिन्दी भाषी प्रदेशों में प्राइमरी स्तर के शिक्षण संस्थाओं के शिक्षक छात्रों के चयन के लिए बहुत लाभकारी है।
(6) कलात्मक अभियोग्यता परीक्षण (Artistic Aptitude Test) - इस प्रकार के अभियोग्यता परीक्षणों द्वारा व्यक्ति की कलात्मक (Artistic ) तथा सौन्दर्यात्मक (Aesthetic) योग्यता का मापन किया जाता है। कुछ महत्वपूर्ण प्रचलित कलात्मक अभियोग्यता परीक्षण निम्नलिखित है।
(i) मेयर आर्ट जजमेण्ट टेस्ट (Meier art judgement test),
(ii) स्कॉलेरिक टेस्ट (Scholaric test),
(iii) लॉ ऐप्टीट्यूड टेस्ट (Law aptitude test),
(iv) टैस्ट फॉर फिजिकल कैपेसिटीज (Test for physical capacities),
(v) ट्रेड एप्टीट्यूड टेस्ट (Trade aptitude test) आदि।
अभियोग्यता परीक्षणों के लाभ (Advantages of Aptitude Tests)
निर्देशन से सम्बन्धित कार्यों में अभियोग्यता परीक्षणों के बहुत लाभ हैं। निर्देशन में अभियोग्यता परीक्षणों के निम्नलिखित उपयोग हैं-
(1) भावी सफलता की भविष्यवाणी (Prediction of Future Success)— अभियोग्यता परीक्षणों की सहायता से व्यक्तियों की योग्यताओं, कुशलताओं और प्रतिभाओं का पता लगाकर व्यक्ति की किसी विशेष व्यवसाय में भावी सफलता की भविष्यवाणी की जा सकती है।
(2) कर्मचारियों का चयन (Selection of Workers) अभियोग्यता परीक्षणों की सहायता से कर्मचारियों का चयन सरलता से किया जा सकता है।
(3) व्यवसाय का चुनाव (Selection of Vocation)—ये परीक्षण व्यक्ति को उनकी योग्यताओं और अभिरुचियों के अनुसार व्यवसाय का चुनाव करने में अत्यन्त सहायक होते हैं ।
(4) स्कूलों में प्रवेश के लिए (Selection for Admission)- ये परीक्षण स्कूलों में प्रवेश के इच्छुक छात्रों का चयन करने में सहायता करते हैं।
(5) विद्यार्थियों की विशिष्ट क्षमताओं का ज्ञान (Knowledge of Students' Specific Potentialities)— अभियोग्यता परीक्षण छात्रों की विशिष्ट क्षमताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सहायता देते हैं।
(6) पाठ्य विषयों के चयन में सहायक (Helpful in Selection of Subjects)—अभियोग्यता परीक्षण छात्रों को उनकी योग्यताओं, शक्तियों, प्रतिभाओं और कमियों कीजानकारी देकर उचित पाठ्य विषयों का चयन में सहायता करते हैं।
(7) पाठ्यक्रम की योजना (Planning of Curriculum) ये परीक्षण अभियोग्यता परीक्षणों के परिणामों के आधार पर पाठ्यक्रम की योजना बनाने में सहायता करते हैं, जिससे कि छात्रों को सम्भावनाओं में वृद्धि हो सके।
अभियोग्यता परीक्षणों की कमियाँ या दोष (Limitations of Aptitude Tests)-
अभियोग्यता परीक्षणों के अनेक लाभ होने के साथ-साथ इनकी कुछ सीमाएँ भी हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-
(1) इन परीक्षणों के द्वारा उन सभी प्रकार के अवयवों (Components) या तत्वों (Elements) का मापन नहीं किया जा सकता है जो कि सफलता के लिए अनिवार्य होते हैं।
(2) अभियोग्यता परीक्षणों का क्षेत्र संकुचित (Narrow) है।
(3) अभियोग्यता परीक्षणों के परिणामों की व्याख्या करने के लिए शिक्षित व्यक्तियों का नितान्त अभाव है।
(4) इन परीक्षणों के निष्कर्ष अलग-अलग व्यक्तियों के द्वारा अलग-अलग निकाले जाते हैं।
(5) ये परीक्षण क्षेत्रीय या प्रादेशिक भिन्नता की अवहेलना करते हैं।
(6) इन परीक्षणों में औतित्य का पर्याप्त अभाव होता है।