Gati kise kahate Hai (गति किसे कहते हैं परिभाष एवं प्रकार) Types and Definition of Motion - शारीरिक शिक्षा

0
शैक्षणिक के इस लेख से जानेंगे गति किसे कहते हैं (Gati kise kahate Hai) साथ ही साथ जानेंगे गति के प्रकार वा परिभाषा, चलिए सबसे पहले जन लेते है कि गति किसे कहते है।

गति किसे कहते हैं Gati kise kahate Hai.

गति (Motion) – जब किसी वस्तु की स्थिति में समय के साथ अनवरत परिवर्तन आता है तब हम कहते हैं कि वस्तु गतिमान है अर्थात् दो वस्तुओं के सापेक्ष परिवर्तन को गति कहते हैं। यदि समय के साथ वस्तु की स्थिति में परिवर्तन नहीं आता है तो हम कह सकते हैं कि वस्तु स्थिर है। अर्थात् जब कोई वस्तु अपने समीप की अन्य वस्तुओं की तुलना में स्थिति परिवर्तित करती है तो उसे 'गतिशील' तथा स्थिति में परिवर्तन न आने पर उसे 'स्थिर अवस्था' कहा जाता है।

गति में विशिष्ट दिशा तथा उसके विस्थापन की विशेष चाल होती है। वह क्षैतिज, ऊर्ध्वाधर, कोणीय तथा किसी दूसरे प्रकार की हो सकती है। यथा—किसी धावक का सम्पूर्ण शरीर गतिशील हो सकता है अथवा उसका अन्दर का भाग गतिशील हो सकता है।

निर्जीव वस्तुओं में गति उत्पन्न करने के लिए उन पर असन्तुलित बल का प्रयोग करना जरूरी होता है ताकि उनकी अवस्था को स्थिर से गतिशील अवस्था में परिवर्तित किया जा सके। जैसे—किसी खिलाड़ी के शरीर में गति उत्पन्न करने के लिए जरूरी बल अथवा माँसपेशी द्वारा उत्पन्न बल आवश्यक है जिसे किसी खेल उपकरण जैसे बल्ले द्वारा गेंद को गतिशील कर देते हैं अथवा उसकी गति की दिशा परिवर्तित कर देते हैं।

गति की परिभाषा एवं प्रकार Types and Definition of Motion

गति के प्रकार (Types of Motions)

गति के निम्नलिखित प्रकार होते हैं- 

1. स्थानान्तरीय गति—इस प्रकार की गति में किसी भी वस्तु के लिए एक से ज्यादा संयुक्त बलों का प्रत्यारोपित होना जरूरी है। इस प्रकार की गति को भी दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है— (क) रेखिक गति (ख) वक्ररेखीय गति ।

(क) रेखिक गति — इस श्रेणी की गति में किसी भी वस्तु का प्रत्येक कण एक सरल रेखा में गति करता है। यथा—गेंद नीचे गिर रही है, रेल सीधी सरल रेखा में चल रही हो इसमें वस्तु के कणों का पथ परस्पर समान्तर होता है। इसमें समान समय में समान विस्थापन होता है।

(ख) वक्ररेखीय गति - जिस श्रेणी की गति में किसी भी वस्तु का प्रत्येक कण वक्र रेखा में गति करता है वह 'वक्ररेखीय गति' कहलाती है। कुछ विशेषताएँ जैसे गेंद का अपनी धुरी पर घूमना, पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाना तथा पंखे का घूमना आदि इसमें शामिल नहीं की जाती है।

2. कम्पन गति — जब कोई वस्तु बाहरी बल के प्रभाव के कारण अपनी निश्चित मध्यमान स्थिति के दोनों ओर विस्थापन करती है उसे 'कम्पन गति' कहते हैं। जैसे— गिटार अथवा अन्य तार वाले वाद्य यन्त्रों के तारों का कम्पन, चिमटे की भुजाओं में कम्पन, Tuning Fork की भुजाओं में कम्पन, सिलाई मशीन की सुई की गति, घड़ी के दोलक की गति इस गति के अन्तर्गत आती है।

3. घूर्णीय गति (Rotational Motion) - जब कोई वस्तु या उपकरण किसी बाह्य बल के प्रभाव के कारण एक धुरी के चारों ओर घूमता है उसकी इस गति को 'घूर्णीय गति' कहते हैं। जैसे—विद्युत् पंखे का घूमना, पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना आदि। इस गति में विस्थापन, वस्तु में उपस्थिति विभिन्न कणों का वेग, विस्थापन का परिणाम भिन्न-भिन्न होता है।

गति से सम्बन्धित परिभाषाएँ

(अ) चाल- किसी वस्तु द्वारा इकाई समय में चली गई दूरी को उस वस्तु की 'चाल' कहा जाता है। यह एक अदिश राशि है, इसमें दिशा का बोध नहीं होता।

अर्थात् चाल = दूरी/समय

MKS पद्धति में चाल की इकाई (Unit) मीटर प्रति सेकण्ड (m/s) तथा CGS पद्धति में सेण्टीमीटर प्रति सेकण्ड (cm/s) होती है।

इस प्रकार किसी धावक द्वारा चली गई कुल दूरी तथा उसमें लगे कुल समय के अनुपात को धावक की 'चाल' कहते हैं। इसको 'औसत चाल' (Average Speed) भी कहा जाता है ।

औसत चाल = तय की गई कुल दूरी/तय करने में लगा समय

जब कोई धावक प्रत्येक समान दूरी को तय करने में समान समय लगाता है तो उसकी चाल को 'समचाल' (Uniform Speed) कहा जाता है।

जब कोई धावक समान समय में असमान दूरी तय करता है तो उसकी चाल को 'विषम'चाल' (Non-Uniform Speed) कहते हैं।

किसी निर्धारित क्षण पर वस्तु की चाल को 'तात्कालिक चाल' (Instantaneous Speed) कहते हैं। जैसे— साइकिल दौड़ में साइकिल में लगे स्पीडोमीटर (Speedometer) द्वारा ज्ञात होने वाली चाल ।

(ब) वेग (Velocity) — किसी वस्तु द्वारा एक विशिष्ट दिशा में विस्थापन की दर को उसका 'वेग' (Velocity) कहते हैं। 

वेग = विस्थापन/समय 

यह एक अदिश राशि है। इसमें दिशा का ज्ञान होता है। चाल एवं वेग दोनों की इकाइयाँ समान हैं। इसकी भी इकाई MKS पद्धति में m/s है। CGS पद्धति में cm/s है।

जब कोई धावक दौड़ते समय सूक्ष्म तथा समान समय में, समान परिमाण में विस्थापन कर रहा हो तो उसका वेग सम वेग कहलायेगा । सम वेग को Uniform Velocity कहा जाता है तथा उस धावक द्वारा समान समय में असमान दूरी तय की जाए तो उसका वेग विषम वेग कहलाता है। विषम वेग को Non- Uniform Velocity कहा जाता है।

यहाँ हम खेल में प्रशिक्षण अथवा प्रतियोगिता के दौरान प्रदर्शन करते समय खिलाड़ी की भगति के विश्लेषण के विषय में अध्ययन करेंगे।

शारीरिक शिक्षा एवं खेल में शारीरिक शिक्षक एवं प्रशिक्षक के लिए गति विश्लेषण आवश्यक ही नहीं बल्कि महत्वपूर्ण भी है। जब तक गति विश्लेषण का उचित एवं सटीक ज्ञान प्रशिक्षक अथवा शारीरिक शिक्षक को नहीं होगा तब तक जहाँ एक ओर खिलाड़ी अपने अपेक्षित लक्ष्यों तक नहीं पहुँच सकता। वहीं दूसरी ओर वह खिलाड़ी उन कारणों का पता नहीं लगा सकते जो खिलाड़ी के शिखर प्रदर्शन अथवा उसके शिखर प्रदर्शन प्राप्त करने में अवरोधक हैं। इसके अतिरिक्त जो भी महत्वपूर्ण कारक हैं, जो शिक्षक अथवा प्रशिक्षण के लिए खेलों में अपेक्षित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं, वे निम्नांकित हैं-

(1) विविध प्रकार के खेलों को सुरक्षित प्रकार से खेलने के लिए।

(2) खेतों के विभिन्न कार्यक्रमों को सुरक्षित, आकर्षक और पूर्ण नियोजित प्रकार से सम्पादित करने के लिए। 

(3) विविध प्रकार के खेलों के विभिन्न प्रकार के कौशलों का गुणात्मक तथा संख्यात्मक विश्लेषण करने के लिए।

(4) खेलों के दौरान लगने वाली विभिन्न प्रकार की सामान्य और विशिष्ट चोट न लगने के लिए ज्ञान प्राप्ति हेतु ।

(5) विभिन्न प्रकार के खेलों के कौशल के तकनीकी आधार का पता लगाने के लिए। 

(6) विभिन्न प्रकार के खेलों की नई-नई तकनीकों को विकसित करने के लिए।

(7) पुराने कौशल का संख्यात्मक एवं गुणात्मक विश्लेषण करके उसमें व्याप्त दोषों को दूर कर उसे सही प्रकार से प्रदर्शित करने के लिए।

(8) विभिन्न प्रकार के खेलों के विभिन्न कौशलों का पर्यवेक्षण तथा निरीक्षण कर उसका मूल्यांकन करने के लिए।

(9) खेलों को विकसित करने के लिए, उसे आकर्षक तरीके से प्रदर्शित करने के लिए, योजनाबद्ध तरीके से नियोजित करने के लिए, शिखर प्रदर्शन प्राप्त करने के लिए, अनुसंधान के लिए ।

(10) खेलों के उपकरण और इनफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए। 

(11) उपकरणों का सुव्यवस्थित तथा उपयुक्त तरीके से प्रयोग अथवा उपयोग करने के लिए ।

(12) यह पता लगाने के लिए कि खेल उपकरण विशेष प्रकार के क्यों बने होते हैं तथा उनसे क्या लाभ एवं हानि है।

निष्कर्ष : आशा करते हैं कि गति किसे कहते (Gati kise kahate Hai) हैं लेख से आपको कुछ नई जानकारी प्राप्त हुई होगी अगर इस लेख से संबंधित कुछ सवाल जवाब है तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर सूचित करें। और हम आपसे यही आशा करते हैं कि अगर आपको गति किसे कहते हैं  (Gati kise kahate Hai) लेख पसंद आया हो तो इस लेख का लिंक अपने मित्रो के साथ कृपया जरुर साझा करेंगे।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!