खेल मनोविज्ञान (Sports Psychology)- अर्थ, परिभाषा, प्रकार , क्षेत्र , उद्देश्य, सिद्धांत

0
शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है आज आप इस लेख में जानेंगे खेल मनोविज्ञान - अर्थ, परिभाषा, प्रकार , क्षेत्र , उद्देश्य, सिद्धांत क्या है। इस लेख से सबसे पहले आप जानेंगे खेल मनोविज्ञान का अर्थ और अंत में खेल मनोविज्ञान के क्षेत्र क्या है।


(Toc) #title=(Teblet Of Content) 

खेल मनोविज्ञान (Sports Psychology)

खेल मनोविज्ञान अर्थ (Sports Psychology Meaning)

खेल मनोविज्ञान कोई नवीन विषय नहीं बल्कि यह मनोविज्ञान की ही एक है। यह वह विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध शारीरिक क्रिया एवं खेल के क्षेत्र से है। खेल मनोविज्ञान शिक्षार्थी, खिलाड़ी एवं एथलीटों में खेल व शारीरिक क्रिया सम्बन्धी व्यवहार का अध्ययन करता है। यह मनोविज्ञान की वह शाखा है, जो खेल व शारीरिक क्रिया सम्बन्धी का विवेचन, विश्लेषण तथा अन्वेषण मनोवैज्ञानिक पद्धतियों और संकल्पनाओं के आधार पर है। इसमें खेल व शारीरिक क्रिया ग्रहण करने में शिक्षार्थियों के व्यवहार का अध्ययन विभिन्न परिस्थितियों में किया जाता है। खेल मनोविज्ञान शिक्षार्थियों, खिलाड़ियों एवं एथलीटों की शारीरिक, मानसिक क्षमताओं, मूल प्रवृत्तियों, विशेषताओं और उनके विकास के नियमों और विधियों की जानकारी का अध्ययन करता है।

खेल मनोविज्ञान की परिभाषा (Definition of sports psychology)

खेल मनोविज्ञान के अर्थ को और अधिक स्पष्ट एवं सारगर्भित करने के लिए मनोवैज्ञानिकों द्वारा इसे निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया गया है-

के. एम. बर्न्स के अनुसार, "शारीरिक शिक्षा के लिए खेल मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा हैं, जो खेल - कूद में भाग लेने के द्वारा किसी व्यक्ति की शारीरिक सुयोग्यता से सम्बन्ध रखता है।" 

जेन्जर के अनुसार, "खेल मनोविज्ञान एथलैटिक्स में व्यवहार की खोज करता सिंगर के अनुसार, "खेल मनोविज्ञान, एथलैटिक्स में व्यक्ति के व्यवहार की खोजबीन करता है। "

क्लार्क एवं क्लार्क के अनुसार, "खेल मनोविज्ञान व्यावहारिक मनोविज्ञान है। यह व्यक्तियों, खेलों तथा शारीरिक क्रियाओं के प्रेरणात्मक या संवेगात्मक पहलुओं से अधिक सम्बन्धित होता है। इसमें अधिकांशतः उन सभी विधियों का प्रयोग होता है, जो मनोविज्ञान में प्रयोग की जाती हैं।"

ब्राउन एवं महोने के अनुसार, "खेल तथा शारीरिक कार्यक्रमों में सभी स्तर पर कौशल बढ़ाने के लिए मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का उपयोग करना ही खेल मनोविज्ञान कहलाता है।" "खेल मनोविज्ञान खिलाड़ियों की गतिविधियों का व्यावहारिक विज्ञान है।"

वास्तव में खेल मनोविज्ञान का अर्थ इतना व्यापक एवं विस्तृत है कि उसे किसी एक परिभाषा तक सीमित करना या बाँधना असम्भव है। इसके अर्थ को व्यक्ति के खेलों एवं शारीरिक क्रियाओं के बदलते हुए स्वरूप के सन्दर्भ में ही समझा जा सकता है।

शारीरिक शिक्षा तथा खेलों में खेल मनोविज्ञान पढ़ाने की उपयोगिता (Utility of Teaching Sports Psychology in Physical Education and Sports)

खेल मनोविज्ञान के अर्थ एवं परिभाषाओं का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि यह विषय न केवल खेलों तथा शारीरिक क्रियाओं बल्कि शारीरिक शिक्षा के लिए भी अत्यन्त उपयोगी एवं आवश्यक है। यह शारीरिक शिक्षा का मजबूत आधार है। खेल मनोविज्ञान की शारीरिक शिक्षा तथा खेलों में पढ़ाए जाने की उपयोगिता की इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है—

शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञान पढ़ाने की उपयोगिता (Utility of Teaching Sports Psychology in Physical Education) शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञान पढ़ाए जाने की उपयोगिताएँ हैं-

  1. शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञान पढ़ाए जाने से शिक्षार्थियों की मूल प्रवृत्तियोका ज्ञान होता है और उसके अनुसार उन्हें किस प्रकार शिक्षण एवं प्रशिक्षण देना है इसका नियोजन करना सुलभ हो जाता है। 
  2. शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से शिक्षार्थी में अपनी छोटी-मोटी समस्या के समाधान के गुण विकसित होते हैं।
  3. शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से शिक्षार्थियों में क्षमताओं का विकास होता है। 
  4. शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से शिक्षार्थियों के मानसिक तनाव दूर होते हैं जिससे उनमें उत्साह बना रहता है। 
  5. शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से शिक्षार्थियों की शिक्षण के प्रति रुचि बढ़ती है।
  6. शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से शिक्षार्थी अपनी मानसिक शक्तियों एवं क्रियाओं से परिचित होता है जिससे वह इनका उपयोग करके अपने विकास में पूरा-पूरा लाभ उठाता है।
  7. शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से शिक्षार्थी अपने मित्रों को परामर्श दे सकता है।
  8. शिक्षार्थी अपने मूल्यांकन में स्वयं सक्षम होता है। 
  9. शिक्षार्थी अपनी उपलब्धियों एवं कमजोरियों का ज्ञान पाता है जिससे वह अपना मार्गदर्शन कर सकता है।
  10. शिक्षार्थियों में सूझ-बूझ एवं तर्क शक्ति का विकास होता है।
  11. खेलों में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से शिक्षार्थियों एवं खिलाड़ियों में कौशल्यों का विकास तीव्र गति से होता है। 
  12. खेलों में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से शिक्षार्थियों एवं खिलाड़ियों में खेल भावना व खिलाड़ी भावना का विकास होता है। 
  13. खेलों में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से प्रशिक्षक अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार बनता है जिससे वह के मार्ग में आने वाली समस्याओं को दूर कर सकता है। 
  14. खेलों में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से प्रशिक्षक, शिक्षार्थियों एवं खिलाड़ियों में अन्तर्दृष्टि का विकास होता है। 
  15. खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से प्रशिक्षक को समझाने में, खिलाड़ी एवं शिक्षार्थी को समझने में सुगमता आती है। 
  16. खेलों में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से शिक्षार्थी एवं खिलाड़ी अपना व्यक्तिगत अन्तर कर सकते हैं। 
  17. खेलों में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से शिक्षार्थी एवं खिलाड़ी अपनी क्षमताओं का ज्ञान एवं विकास कर सकते हैं।
  18. खेलों में खेल मनोविज्ञान के शिक्षण से शिक्षार्थियों एवं खिलाड़ियों की शारीरिक, मानसिक तथा व्यक्तिगत स्थिति का ज्ञान होता है।

 खेल मनोविज्ञान का महत्त्व (Importance of Sports Psychology)

शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञान का अत्यन्त महत्त्व है। आधुनिक शारीरिक का सबल आधार खेल मनोविज्ञान है। खेल मनोविज्ञान की सहायता से खिलाड़ियों एवं शिक्षार्थियों को उनकी मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं का ध्यानपूर्वक अध्ययन करके शिक्षण एवं प्रशिक्षण दिया जाता है।

आधुनिक शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञान का स्थान अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने में खेल मनोविज्ञान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। शिक्षार्थी, खिलाड़ी, एथलीट, शिक्षक, प्रशिक्षक तथा शारीरिक शिक्षा सभी की दृष्टि से खेल मनोविज्ञान का महत्त्व व उपयोगिता असंदिग्ध है। शारीरिक शिक्षा से सम्बन्धित अनेक प्रश्नों के उत्तर खेल मनोविज्ञान ही प्रदान करता है। जैसे—शिक्षार्थी की शिक्षण- प्रक्रिया कब प्रारम्भ करनी चाहिए ? किस शिक्षण विधि एवं कौशल को अपनाना चाहिए ? प्रकार प्रशिक्षण एवं शिक्षण को प्रभावशाली बनाया जा सकता है ? कौशल्यों को सरलता से कैसे सिखाया जा सकता है ? शिक्षार्थियों एवं खिलाड़ियों की मानसिक एवं शारीरिक योग्यताओं का ज्ञान कैसे प्राप्त किया जा सकता है ? ऐसे न जाने कितने प्रश्नों के उत्तर खेल मनोविज्ञान देता है।

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि शारीरिक शिक्षा में खेल विज्ञान का अत्यधिक महत्त्व है। इस महत्त्व को निम्न बिन्दुओं से और अधिक स्पष्ट किया जा सकता है—

  1. शारीरिक शिक्षा की शिक्षण विधियाँ, शारीरिक शिक्षा के पाठ्यक्रम निर्माण एवं इसके शिक्षण व प्रशिक्षण प्रक्रिया की दृष्टि से खेल मनोविज्ञान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं लाभकारी है।
  2. शारीरिक शिक्षा की क्रियाओं एवं खेल-कूद में योगदान की दृष्टि से खेल मनोविज्ञान महत्त्वपूर्ण है। 
  3. शारीरिक शिक्षा में शिक्षार्थियों की कल्पनात्मक शक्तियों का ज्ञान कराने में मनोविज्ञान सहायक है।
  4. शारीरिक शिक्षा में शिक्षार्थियों, खिलाड़ियों एवं एथलीट्स के शिक्षण एवं प्रशिक्षण से लेकर स्पर्धा के लिए मैदान में उतरने तथा अनेक व्यवहार सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं जिनका केवल खेल मनोविज्ञान की सहायता से समाधान किया जा सकता है।
  5. शारीरिक शिक्षा में क्रिया एवं खेल के समय तथा इनके पश्चात् सफलता- असफलता की स्थिति का सामना करने के लिए शिक्षार्थियों, खिलाड़ियों एवं एथलीट्स को अनेक प्रकार की मानसिक स्थितियों का सामना करना पड़ता है जिसके लिए खेल मनोविज्ञान उन्हें सक्षम बनाता है।
  6. शारीरिक शिक्षा को विकासशील और उन्नतिशील बनाने में खेल मनोविज्ञान का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस सन्दर्भ में दो बातें ध्यान रखनी चाहिए एक तो शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास से सम्बन्धित है और दूसरी खेल मनोविज्ञान का सम्बन्ध के शिक्षार्थियों, खिलाड़ियों एवं एथलीट्स के व्यवहारों, मन की चेतन व अचेतन से है अतः शारीरिक शिक्षा के शिक्षार्थियों, खिलाड़ियों एवं एथलीट्स का विकास और उनकी उन्नति को आगे बढ़ाना खेल मनोविज्ञान की सहायता से ही सम्भव होता है।
  7. शारीरिक शिक्षा शारीरिक शिक्षक व प्रशिक्षक-अभिभावक शिक्षार्थी खिलाड़ी व एथलीट्स के मध्य खेल मनोविज्ञान स्वस्थ सम्बन्ध स्थापित करता है। 
  8. शारीरिक शिक्षा का सबल आधार खेल मनोविज्ञान ही है। 
  9. शारीरिक शिक्षा की शिक्षण-प्रक्रिया खेल मनोविज्ञान के अभाव में संचालित नहीं हो सकती है। 
  10. शारीरिक शिक्षा से सम्बन्धित सभी समस्याओं एवं शंकाओं का समाधान खेल मनोविज्ञान पर निर्भर करता है।

अतः संक्षेप में कहा जा सकता है कि आधुनिक समय में शारीरिक शिक्षा में खेल मनोविज्ञानका महत्व निरन्तर बढ़ता जा रहा है इसका प्रमुख कारक शारीरिक शिक्षा एवं खेलों की बढ़ती लोकप्रियता है। कुछ समय पूर्व तक शारीरिक शिक्षा एवं खेलों को सामान्य शिक्षा का अंग मात्र माना जाता है जिससे इनसे सम्बन्धित समस्याओं का शिक्षा मनोविज्ञान के माध्यम से समाधान कर लिया जाता था। लेकिन आज शारीरिक शिक्षा एवं खेलों का शिक्षा में ही नहीं बल्कि मानव जीवन में भी विशिष्ट स्थान है।

खेल मनोविज्ञान का क्षेत्र (Scope of Sport Psychology)

खेल मनोविज्ञान कोई नवीन विषय नहीं बल्कि यह मनोविज्ञान की ही एक शाखा है। इसलिए दोनों के विषय क्षेत्रों में काफी समानता पायी जाती है। इस समानता के पाये जाने के बावजूद सबसे बड़ा अन्तर यह है कि मनोविज्ञान की अपेक्षा खेल मनोविज्ञान का क्षेत्र काफी संकुचित है। इसका अध्ययन क्षेत्र शारीरिक क्रियाओं एवं खेलों के मनोवैज्ञानिक पक्षों के विश्लेषण तक सीमित है। इसके सिद्धान्तों एवं अध्ययन पद्धतियों को शारीरिक शिक्षा शारीरिक क्रियाओं एवं खेलों में ही लागू किया जाता है। इसके क्षेत्र को निम्नलिखित ढंग से स्पष्ट किया जा सकता है-

  1. खेल मनोविज्ञान इस तथ्य का विश्लेषण करता है कि किस खेल एवं क्रिया का शिक्षार्थी की वृद्धि एवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? तत्पश्चात् खेल मनोविज्ञान उसे उसके योग्य क्रिया एवं खेल के चयन में योगदान देता है।
  2. खेल मनोविज्ञान खिलाड़ियों एवं शिक्षार्थियों में अनुशासन तथा खेल भावना का आचरण करते हैं, उसका अध्ययन खेल मनोविज्ञान में किया जाता है। मौलिक प्रवृत्तियाँ, मनः संचार करता है।
  3. खेल मनोविज्ञान शिक्षार्थियों एवं खिलाड़ियों के व्यवहार का अध्ययन विभिन्न परिस्थितियों में करता है। 
  4. विभिन्न परिस्थितियों में खिलाड़ी एवं शिक्षार्थी जिस प्रकार का स्थितियाँ, सुझाव, सहानुभूति अनुकरण, कल्पना, चिन्तन आदि मानसिक क्रियाओं का इसमें अध्ययन किया जाता है। 
  5. शिक्षार्थी एवं खिलाड़ी (व्यक्ति) सामाजिक, संवेगात्मक, शारीरिक तथा बौद्धिक विकास की दृष्टि से एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। उनकी अपनी कुछ योग्यताएँ, क्षमताएँ, विशेषताएँ, कुशलताएँ एवं विलक्षणताएँ अवश्य होती हैं। इन सभी व्यक्तिगत भिन्नताओं का अध्ययन खेल मनोविज्ञान में किया जाता है।
  6. खिलाड़ियों में अभिप्रेरणा तथा इसे प्रभावित करने वाले कारक एवं सिद्धान्तों का खेल मनोविज्ञान में अध्ययन किया जाता है।
  7. खेल मनोविज्ञान में खेलों पर आनुवंशिकता एवं पर्यावरण के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।
  8. खेलों में नैतिकता को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन खेल मनोविज्ञान में किया जाता है।
  9. खेल मनोविज्ञान में खिलाड़ियों एवं एथलीट्स के विकास तथा उसको प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन किया जाता है।
  10. खेल मनोविज्ञान शारीरिक शिक्षा से सम्बन्धित शिक्षक एवं शिक्षार्थियों की समस्याओं का अध्ययन करता है।
निष्कर्ष: आशा करते हैं कि मेरे द्वारा प्रदान की गई जानकारी  (खेल मनोविज्ञान - अर्थ, परिभाषा, प्रकार , क्षेत्र , उद्देश्य, सिद्धांत ) आपको समझ में आया होगा, अगर फिर भी आपके कुछ सवाल यह सुझाव है तो नीचे कमेंट बॉक्स का प्रयोग कर सकते हैं।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!