स्ट्रेस किसे कहते हैं? (What is stress?)
Stress एक सामान्य प्राकृतिक प्रतिक्रिया है जो हमारे शरीर और मस्तिष्क को संक्रमित करने वाली परिस्थितियों के प्रति होती है। यह हमें सतर्क रहने, संघर्ष करने और समस्याओं का सामना करने के लिए ऊर्जा उत्पन्न करने में मदद करता है।
हालांकि, जब Stress की मात्रा या अवधि बढ़ जाती है और हम इसे सामान्य सीमाओं से बाहर जाते हैं, तो इसका हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव होता है। इसके कारण हमें नींद की कमी, थकान, चिंता, तनाव, दबाव, उदासीनता, स्वास्थ्य समस्याएं, और मनोवैज्ञानिक समस्याएं जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
Stress के कारण विभिन्न हो सकते हैं, जैसे कि काम के दबाव, व्यक्तिगत संबंधों में समस्याएं, आर्थिक चिंताएं, परिवारिक तकरार, और सामाजिक दबाव। Stress को कम करने के लिए ध्यान, योग, व्यायाम, स्वस्थ खानपान, और सही संबंध बनाने में सहायता मिल सकती है। यदि Stress लंबे समय तक बना रहता है और आपके दैनिक जीवन को प्रभावित करता है, तो आपको एक चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
स्ट्रेस होने से शरीर पर प्रभाव (Effects of stress on the body)
Stress खतरनाक हो सकता है क्योंकि यदि यह नियंत्रित नहीं किया जाए, तो इसका नकारात्मक प्रभाव हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर होता है। यह कुछ मुख्य कारण हैं जो Stress को खतरनाक बनाते हैं-
- शारीरिक समस्याएं: लंबे समय तक तनाव में रहने के कारण, हमारा शारीर अत्यधिक तनावित हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, हमें नींद की कमी, थकान, मांसपेशियों के दर्द, तंत्रिका संक्रमण, हृदय संबंधी समस्याएं, पाचन संबंधी विकार, और वजन कम या बढ़ जाने की समस्याएं हो सकती हैं।
- मानसिक समस्याएं: स्ट्रेस बढ़ने के कारण, हमारा मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। यह दबाव, चिंता, उदासीनता, अवसाद, अण्डकोषों में तनाव, बढ़ती हुई मानसिक चिंताएं, और संबंधों में समस्याएं जैसी मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है।
- परिवारिक और सामाजिक समस्याएं: स्ट्रेस के कारण परिवारिक और सामाजिक संबंधों में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह संबंधों को तोड़ सकता है, संघर्ष पैदा कर सकता है, और आत्मविश्वास को क्षीण कर सकता है।
- कॉग्निटिव और पेशेवरी समस्याएं: स्ट्रेस के अधिकारी होने से हमारी कॉग्निटिव क्षमता प्रभावित हो सकती है, जो हमारे निर्णय लेने, समस्या समाधान करने, और कार्य पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। इसके साथ ही, लंबे समय तक स्ट्रेस के अधिकारी होने से हमारी पेशेवरी प्रभावित हो सकती है, जिससे हमारा कार्यक्षमता और उत्पादकता कम हो सकती है।
इन सभी कारणों से Stress को खतरनाक माना जाता है, और इसलिए इसे नियंत्रित करना और Stress प्रबंधन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
स्ट्रेस और योग (Stress And Yoga) का सम्बंध
Yoga For Stress के बीच सम्बंध महत्वपूर्ण है। योग एक प्राचीन भारतीय अभ्यास है जिसमें शरीर, मन, और आत्मा के साथ संयोजन किया जाता है। योग अभ्यास शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर स्थिरता और सुख को प्राप्त करने का एक मार्ग प्रदान करता है।
Yoga के विभिन्न तकनीकों में श्वासायाम, आसन, ध्यान और प्राणायाम शामिल होते हैं, जो शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करते हैं। योगाभ्यास Stress के संकेतों और प्रभावों को कम करने में सहायता कर सकता है जैसे कि ऊब, चिंता, थकान, नींद की कमी और मानसिक अशांति।
Yoga अभ्यास Stress को कम करने के कई तरीकों से मदद करता है। योगासन शरीर की तनाव मुक्ति प्रदान करने में मदद करते हैं और शारीरिक दुर्बलता और कमजोरी को दूर करते हैं। प्राणायाम श्वास को नियंत्रित करने के लिए उपयोगी होता है और श्वास नियंत्रण के माध्यम से मन को शांत करने में मदद करता है। ध्यान और मनन योग चिंता और मानसिक तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं और मन को शांत, स्थिर और सकारात्मक बनाने में सहायता कर सकते हैं।
Yoga के अभ्यास से Stress के कारण उत्पन्न शारीरिक और मानसिक संक्रमण को कम किया जा सकता है। Yoga अभ्यास करने से शरीर में संक्रमण को नियंत्रित करने वाले हार्मोन को शांति मिलती है और तनाव के कारण बढ़े हुए रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। योग के अभ्यास से मानसिक स्तिमित और धीरजित बनने का अनुभव होता है, जिससे चिंता, चिंताओं, और मानसिक उत्तेजना को कम किया जा सकता है।
संक्षेप में कहें तो, Yoga Stress को कम करने में मदद करता है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर होता है। Yoga अभ्यास करने से शरीर और मन की स्थिरता और सुख प्राप्त हो सकती है, जिससे Stress को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
स्ट्रेस महिलाओं को ज्यादा होता है? (Are women more stressed? )
Stress महिलाओं को ज्यादा हो सकता है। जीवन में विभिन्न कारणों से महिलाओं को अधिक स्ट्रेस हो सकता है। यह कारण पारिवारिक, सामाजिक, व्यावसायिक, और राजनीतिक हो सकते हैं। यहां कुछ कारण हैं जिनके कारण महिलाओं को ज्यादा Stress हो सकता है-
- परिवारिक जिम्मेदारियां: महिलाओं को अक्सर घरेलू कार्य, बच्चों की देखभाल, और परिवार की जरूरतों की देखरेख करनी पड़ती है। यह सभी जिम्मेदारियां उन पर एक साथ ढांढ़स कर सकती हैं, जिससे उन्हें तनाव महसूस हो सकता है।
- करियर: महिलाएं अक्सर परिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपने करियर में भी सफलता प्राप्त करने का प्रयास करती हैं। करियर में उन्हें बाधाएं और तंगदस्तियों का सामना करना पड़ सकता है, जो Stress का कारण बन सकता है।
- सामाजिक दबाव: सामाजिक संरचना में महिलाओं के लिए अनेक दबाव हो सकते हैं, जैसे सामाजिक आपेक्षिकता, परिवार के अपेक्षित रोल, और सामाजिक स्थिति के निर्धारण के लिए। यह सभी चुनौतियां महिलाओं को तनावपूर्ण स्थितियों में डाल सकती हैं।
- स्वास्थ्य समस्याएं: महिलाओं को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिससे स्ट्रेस की स्थिति बढ़ सकती है। पीरियड्स, गर्भावस्था, मेनोपॉज़, हार्मोनल परिवर्तन, और अन्य व्यक्तिगत स्वास्थ्य मुद्दे महिलाओं को तनावपूर्ण बना सकते हैं।
यदि किसी महिला को Stress की समस्या हो रही है, तो उसे सही समर्थन, संघटना, और संशोधन के लिए समर्पित संगठनों और पेशेवरों की मदद ले सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ, मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर, Yoga और मेडिटेशन, संगठनित समर्थन समूह आदि से संपर्क करना उपयोगी हो सकता है।
स्ट्रेस के कारण अधिक नशा करना (Binge drinking due to stress)
Stress के कारण नशा करने के कई करण हो सकते हैं, जो निम्नलिखित है।
- संज्ञानिक तत्व: कई लोग अपने स्ट्रेस को कम करने के लिए नशे का सहारा लेते हैं। नशा करने से वे अपनी मनमानी के लिए एक तालियाँ बजाने का प्रयास करते हैं, जो कि शारीरिक और मानसिक रूप से तकलीफ को कम कर सकता है।
- सामाजिक तत्व: समाज में स्वाभाविक है कि लोग नशा करने के माध्यम से अपने स्ट्रेस को कम करने की कोशिश करें। इसके पीछे कारण शामिल हो सकते हैं, जैसे कि सामाजिक दबाव, संबंधों में समस्याएँ, आर्थिक तंगी आदि। नशे का उपयोग इन समस्याओं से दिलासा पाने का एक साधारण तरीका हो सकता है।
- आद्यात्मिक तत्व: कुछ लोग नशा करने के माध्यम से अपने मानसिक और आद्यात्मिक संतुलन को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। इससे वे अपने चिंताओं, विचारों और अनुभवों से दूर होने का प्रयास करते हैं और अपने मन को शांत करने का अनुभव करते हैं।
यदि आप Stress के कारण नशा कर रहे हैं और इसे नियंत्रित करने की चिंता कर रहे हैं, तो मैं आपको सलाह दूंगा कि आप इसे नशा छोड़ने के लिए एक पेशेवर संरक्षक या मनोवैज्ञानिक की सलाह लें। वे आपकी स्थिति को समझेंगे और आपको सही तरीके से मार्गदर्शन करेंगे। नशा के साथ-साथ स्वास्थ्य और संतुलन की देखभाल भी महत्वपूर्ण होती है, तो उनकी सलाह का पालन करना अवश्यक होगा।
स्ट्रेस के लिए योगासन (Yoga Poses For Stress)
योगासन एक प्रमुख तकनीक है जिसे Stress कम करने के लिए अपनाया जा सकता है। योग आपको शरीर, मन, और आत्मा की स्थिति को सुधारने में मदद करता है। यहां कुछ योगासन दिए गए हैं जो आपको Stress को कम करने में मदद कर सकते हैं-
- बालासन (Balasana) - बालासन एक आरामदायक योगासन है जो शरीर को शांति और ताजगी प्रदान करता है। इसे गर्भावस्था के दौरान भी किया जा सकता है।
- विपरीत करणी (Viparita Karani) - यह आसन आपके शरीर को आराम देता है और तनाव को कम करने में मदद करता है।
- शवासन (Shavasana) - शवासन आपको पूरी तरह से शांति और सुख देता है। यह आपके मस्तिष्क को शांत करके मनोवृत्ति को शांत करने में मदद करता है।
- उत्तानासन (Uttanasana) - इस योगासन को करने से शरीर में जमा हुए तनाव को कम किया जा सकता है।
- भुजंगासन (Bhujangasana) - यह आसन तनाव को कम करने में मदद करता है और दिमाग को शांति देता है।
- वृष्टिकरणी (Vrikshasana) - यह आसन शांति, स्थिरता, और ध्यान को बढ़ाने में मदद करता है।
- अनुलोम-विलोम प्राणायाम (Anulom Vilom Pranayama) - यह प्राणायाम स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है और मन को शांत करने के लिए उपयुक्त है।
- उष्ट्रासन (Ustrasana) - इस योगासन को करने से तनाव को कम किया जा सकता है और मन को शांत करने में मदद मिलती है।
योग अभ्यास करते समय सुनिश्चित करें कि आप अपने शरीर की सीमा के अंदर रहें और आपके लिए सही होने वाले हर योगासन को सही ढंग से करें। यदि आप किसी खास स्वास्थ्य स्थिति या चिकित्सा समस्या से पीड़ित हैं, तो पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें और उनकी सलाह के अनुसार योग करें।
स्ट्रेस के लिए योगासन (Yoga Poses For Stress) करने की विधि
1. बालासन (Balasana)
- योग मेट या आसन पर चटाई या एक योगा मैट पर बैठें। अपने नीचे विस्तारित और थोड़ी मदद के लिए तकिया रख सकते हैं।
- अपने जोड़े हुए घुटनों के साथ बैठें और अपने पैरों को आपस में जुड़ दें। अगर आपके पैरों को जोड़ना मुश्किल होता है, तो अपने पैरों को आपस में छोटा करने के लिए अपने नीचे तकिया रख सकते हैं।
- उन्हें आराम से अपने हाथों को अपने सिर के साथ आगे करें और अपने उन्हें अपने आसन के साथ बैठें। आपके हाथ आपके शरीर के दोनों ओर सिमट जाने चाहिए और अपनी उंगलियों को आगे फैलाने चाहिए।
- श्वास को सामान्य रखते हुए शरीर को आगे झुकाएँ और धीरे-धीरे अपने चेस्ट को अपने आप से सिमटें। यह आपके बाहों और पीठ को आराम देने के लिए मदद करेगा।
- आपको अपनी दृष्टि को अपने बाएं पैर की तरफ दिखानी चाहिए और अपनी नाभि के सामीप या अपने आसन की समता में तनाव को छोड़ देना चाहिए।
- ध्यान रखें कि आपके शरीर को सबसे आरामदायक स्थिति में रखने के लिए अपनी चेस्ट को अपने घुटनों पर संपर्क में रखें।
- धीरे-धीरे सांस लें और शांति के साथ ध्यान केंद्रित करें। आप इस स्थिति में कुछ मिनटों तक बने रह सकते हैं।
2. विपरीत करणी (Viparita Karani)
- एक सम्मिश्रण योग चट्टान के पास या दीवार के पास बिछा लें। अगर आप चट्टान का उपयोग कर रहे हैं, तो अपने पैरों को चट्टान से थोड़ा दूर रखें ताकि वे आराम से ऊपर उठ सकें।
- एक चटाई या एक पैड पर बैठें और अपने बैक के पास सहायता के लिए अपने हाथों का उपयोग करें।
- धीरे-धीरे पैरों को उठाते हुए पूरी तरह आराम से उठें। पैरों को आपकी सीने के समान सीधा रखें।
- समय के बीच में, अपनी जांघों को और नीचे लेकर आपके सीने के पास रखें। इस पोजिशन में बनाए रखें और सांस लेते रहें।
- यदि आप चाहें तो, आप अपने पैरों को विभिन्न गतिविधियों के साथ स्वयंसेवा में रख सकते हैं, जैसे कि अपनी पीठ के समीप अपने उभरते नखरे को छूना।
- आराम से सांस छोड़ें और ध्यान केंद्रित करें। आप इस स्थिति में कितनी देर तक रहते हैं, यह आपकी सुविधा पर निर्भर करता है। ध्यान रखें कि अगर आप अपने पैरों को ऊपर लेकर रखते हैं, तो योग के अंत में धीरे-धीरे उन्हें नीचे लाएं।
3. शवासन (Shavasana)
- सबसे पहले एक स्थिर और सुव्यवस्थित आसन जैसे सुखासन, पद्मासन, वज्रासन या योगमुद्रा धारण करें।
- अपने पूरे शरीर को सुखी और शांत महसूस करने के लिए आराम से लेट जाएं। शवासन में आपकी पृथ्वी तत्व से मिलन चाहिए।
- पैरों को आराम से फैलाएं और उन्हें आराम से एकदम स्थित करें। पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें।
- हाथों को आराम से बाहर फैलाएं, उन्हें सुखी और शांत रखें। अपने आप को संयमित रखें और अपने लिंग समान रखें।
- आपके सांस लंबी और नियमित होनी चाहिए। ध्यान दें कि आप अपनी सांस को आराम से ले रहे हैं।
- अपनी मनसामर्थ्य को शांत रखें और ध्यान को शवासन की अनुभूति पर केंद्रित करें। अपने मन को चिंताओं, तनाव और विचारों से मुक्त करें।
- शवासन में 10-15 मिनट या अधिक समय बिताएं। इस समय में आपके शरीर को संपूर्ण आराम मिलेगा और आपकी मानसिक तनाव कम होगा।
- जब आप शवासन से बाहर निकलें, तो सबसे पहले धीरे-धीरे अपने आप को जगाएं और अपने हाथों और पैरों को हिलाएं। फिर सामान्य गति से अपनी आँखें खोलें और बैठ जाएं।
4. उत्तानासन (Uttanasana)
- प्रारंभ में, एक योग मैट पर खड़े हो जाएँ। अपने पैरों को हड्डी के लिए हॉलो और थोड़ी सी दूरी रखें।
- अपनी सांस धीरे से लें और शरीर को समथ्र करें।
- अपने हाथों को साइड पर रखें या यदि आप चाहें तो उन्हें अपने जोड़ा हुआ पीठ के पीछे लाएँ।
- सांस छोड़ते हुए, धीरे से आगे की ओर झुकें। हड्डी को सीधा रखें और शरीर को थोड़ा आगे की ओर खींचें। ध्यान दें कि आपका पेट और छाती आपके जोड़ा हुआ है।
- झुकते समय, धीरे से अपने सिर और गर्दन को छत्र की ओर लाएँ। यदि आपकी संभावना हो तो अपने शीर्ष को बाएं या दाएं ओर घुमाएँ।
- यहां तक कि आपके शरीर को संघटित करने में समय लग सकता है, इसलिए धैर्य रखें और अपने शरीर के अनुसार सीमा तक झुकें। यदि आप आगे और नीचे की ओर उत्तानासन करना चाहते हैं, तो आपको एक समय के बाद सीमा तक आने में मदद कर सकता है।
- आसन को स्थिर रखें और 3-5 सांसों तक यहां ठहरें।
- अब सांस छोड़ते हुए, धीरे से शरीर को सीधा करें और योग मैट पर खड़े हो जाएँ।
5. भुजंगासन (Bhujangasana) या सर्पासन (Sarpasana)
- एक योगमाट या चटाई पर सीधे लेट जाएँ। पैरों को समतल रखें, जंग्हें मिली हुई हों, और अपने हाथों को उंगलियों से नीचे रखें, ताकि अपने नितंबों के पास हों।
- आपके हाथों को अपनी छाती के नीचे स्थित करें और अपनी उंगलियों को बाहर की ओर रखें।
- अब आपको ध्यान केंद्रित करना होगा। अपनी सांस ले और धीरे से अपने सर को ऊपर उठाएं। इसके साथ ही, अपनी चेस्ट को बाहर ढीले अंगों की मदद से उठाएं। अपने हाथों का इस्तेमाल करते हुए, आपको अपने तन को ऊँचा और निचा घुमाना होगा जिससे आपकी पीठ का तंत्र व्यायाम होता है।
- इस स्थिति में, आपको कोशिश करनी चाहिए कि आपकी हड्डीयों में झुकाव के लिए ज्यादा दबाव न हो। इसे नियंत्रित करने के लिए, अपनी सांस को छोड़ने की कोशिश करें और आपकी पीठ को धीरे-धीरे आगे ढीला करें।
- ध्यान रखें कि आपकी गर्दन को ज्यादा झुकाव न दें। अपनी आंतरिक भावना को उच्चतम स्थान पर रखें, और आपकी पीठ की पूर्ण लंबाई तक अपने हाथों और ऊपर बढ़ाएं। इस स्थिति में 20 सेकंड से 1 मिनट तक रुकें, और फिर धीरे से श्वास छोड़ें और अपने सर को नीचे धारण करें।
6. वृष्टिकरणी (Vrikshasana)
- सबसे पहले एक योगमाट या साफ़ और चिकनी जगह पर खड़े हो जाएँ। अपने पैरों को एक दूसरे से समान दूरी पर रखें।
- अपने शरीर को धीरे-धीरे ढलाएँ और अपना वजन अगले एक पैर पर ढलाएँ। इसे अपने पैर की अंगुलीयों और टालुओं के बाल की सहायता से करें।
- अपनी पीठ को सीधी और समान रखें। इससे आपके स्थिरता और संतुलन में मदद मिलेगी।
- अब आपको अपने बाएं पैर के पैरवत द्वारा अपने दाएं जांघ के ऊपर उठना होगा। इसे अवस्था में पेड़ की डाल को बढ़ाते हुए करें।
- ध्यान रखें कि आपके पैर के बजाए जांघ या गुटने पर वज़न आना चाहिए। इससे आपका वजन बेहतरीन ढंग से विभाजित होगा।
- आपके नाभि को सीधा रखें और अपने हाथों को अपनी छाती के सामने जोड़ें। आप चाहें तो अपने हाथों को ऊपर की ओर उठा सकते हैं जैसे कि पेड़ की शाखाएं होती हैं।
- अपनी ध्यान केंद्रित रखें और सुधारित साँस लें। शांति और स्थिरता की भावना को अनुभव करें जब आप इस योगासन में हैं।
- साँस को सावधानीपूर्वक छोड़ें और 10-15 सेकंड तक ध्यान बनाए रखें। धीरे-धीरे वापस अपने पैर को जमीन पर रखें और बाएं पैर को उठाएं। इसे कुछ समय के लिए जमीन पर खड़े होने दें।
7. अनुलोम-विलोम प्राणायाम
- आराम से बैठें: शांत और सुरम्य वातावरण में आराम से बैठें। सीधे और समरूप रूप से अपनी पीठ को समरूप रूप से रखें।
- श्वास की शुरुआत करें: अपनी आँखें बंद करें और दायें नाक के उपरी छेद को अंगूठे से ढंक दें। अपनी दायें नाक से गहरी सांस लें।
- विलोम करें: दायें नाक के उपरी छेद को उठाएं और बायें नाक के उपरी छेद को अपने छोटे और अनामिता अंगूठे के साथ ढंकें। धीरे से और ध्यानपूर्वक दायें नाक से श्वास छोड़ें।
- अनुलोम करें: अब अपने बायें नाक के उपरी छेद को उठाएं और दायें नाक के उपरी छेद को अपने अंगूठे से ढंकें। धीरे से और ध्यानपूर्वक बायें नाक से श्वास छोड़ें।
- प्रक्रिया को जारी रखें: अपनी श्वासयात्रा को यहां तक जारी रखें - दायें नाक, बायें नाक, दायें नाक, बायें नाक। ध्यान दें कि हर श्वास को समान लंबाई और समय दिया जाना चाहिए।
- समाप्ति: अपनी श्वास यात्रा के अंत में अपनी आँखें खोलें और सामान्य श्वास लेने के बाद आराम से बैठें।
8. उष्ट्रासन (Ustrasana)
- सबसे पहले, एक योगमाट या एक सफेद चादर पर खड़े हो जाएँ। आपके पैर सामान रूप से हिप विड्थ (हिप के छोटे गोले की दूरी) के बराबर दूरी पर रखें।
- अब अपने घुटनों को थोड़ा सा ढीला करें और अपने पैरों के नीचे चटाई या माट लगाएं।
- उठते हुए इन्हें अपने ऊपरी गाढ़ नियंत्रित नीचे की ओर करें, जब तक आपकी पीठ एकदिवसीय नहीं हो जाती है। आपके नाभि सामान रूप से हिप्स के सामने होना चाहिए।
- अब अपने दाहिने हाथ को अपनी दाहिनी अंगुली पर या उससे थोड़ा नीचे रखें, और अपने बाएं हाथ को अपनी बाएं अंगुली पर या उससे थोड़ा नीचे रखे। यह आपकी सहायता करेगा आसान को स्थिर रखने में।
- अब आप अपनी सांस को धीरे-धीरे छोड़ें और अपनी छाती को आगे करें, जब तक आप उष्ट्रासन की सही रुपरेखा न बना लें। आपकी गर्दन को सुखाने के लिए आप अपनी आँखें आगे की ओर देख सकते हैं या उन्हें बंद कर सकते हैं।
- आसन को करने के दौरान, अपनी सांस को सामान्य रखें और इसे गहराई से लें। यदि आपको किसी तरह की दिक्कत या दर्द महसूस होता है, तो तुरंत योगाचार्य या स्वास्थ्य पेशेवर की सलाह लें।
- कुछ समय तक आसन को बनाए रखें, और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आसन से बाहर निकलें।